बिलासपुर – सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा की याचिका पर सुनवाई के बाद जमानत दे दी है। बीते सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत प्रदान कर दी थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए दो दिन का समय दिया था। याचिकाकर्ता पूर्व महाधिवक्ता की ओर से अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, विवेक तन्खा व वरुण तन्खा ने पैरवी की। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद पूर्व महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जमानत याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान पैरवी करते हुए पूर्व एजी के अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ईडी ने जिस मामले में पूर्व एजी को दोषी ठहराया है वह 2015 का प्रकरण है।
छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा का प्रकरण 2019 में निराकरण हो गया है। आलोक शुक्ला के प्रकरण में 2015 में ही निराकरण कर दिया गया है। लंबे समय बाद नान घोटाले से जुड़े राज्य शासन के दो अफसरों के साथ मिली भगत का आरोप ईडी ने पूर्व एजी पर लगाया है। ईडी ने अपने आरोप में यह भी कहा कि पूर्व एजी के द्वारा रिप्लाई बनाया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कहा कि देश में यह व्यवस्था है कि एजी के द्वारा कोई रिप्लाई नहीं बनाया जाता और ना ही फाइल किया जाता है। याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ सरकार के पूर्व एजी होने के साथ ही सीनियर एडवाेकेट भी हैं। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट के सामने दलील पेश करते हुए कहा कि ईडी ने वाट्सएप चैटिंग को आधार बनाकर पूर्व एजी के खिलाफ आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हत वाट्सएप चैटिंग को नहीं मानते।