जब कथित रूप से 144 साल बाद आए महाकुंभ में स्नान करके बड़े- बड़े नेताओं, उद्योगपतियों, फिल्म और टीवी स्टारों, संत-महात्माओं आदि-इत्यादि के पाप धुल रहे हैं तो उसके क्यों नहीं धुल सकते?
महाकुंभ की महिमा अपरंपार है। मध्य प्रदेश के शाजाहंपुर जिले के विकृत मानसिकता के एक अपराधी रमेश सिंह ने पांच साल की बच्ची से बलात्कार किया। वह पकड़ा गया। उसे दस साल की सज़ा हुई। वह जेल से बाहर आया। उसे यह सजा शायद कम लगी होगी। उसने फिर से आठ साल की लड़की से बलात्कार किया। इस बार उसे पहले के मुकाबले आधी सजा मिली- केवल पांच साल! शायद कानून कहता होगा कि बलात्कृता की उम्र पांच वर्ष से अधिक हो, अगर आठ वर्ष हो तो बलात्कार की सज़ा पा चुके अपराधी को पहले से आधी सज़ा मिलेगी। बाहर आकर फिर उसने इसी 2 फरवरी को 11 साल की मूक-बधिर लड़की से बलात्कार किया। चूंकि बलात्कृता की उम्र इस बार आठ से अधिक है और ऊपर से वह मूक- बधिर भी है तो हो सकता है, इस बार उसे केवल ढाई साल की सज़ा मिले! जैसा माहौल है, उसमें उसे इसकी कोई सजा मिले, यह जरूरी भी नहीं! मान लो, उसे सज़ा हो ही गई तो इसे मात्र संयोग मानना चाहिए और यह कुछ उसी तरह का संयोग होगा, जैसे इस बार 144 साल बाद यह महाकुंभ आया है!
अबकी बार बलात्कार करने के बाद उसे पता चला होगा कि सब अपने-अपने पाप धोने के लिए इलाहाबाद के महाकुंभ जा रहे हैं तो वह भी चला गया! उसने शायद सोचा होगा कि क्या पता मेरे पाप वहां इतने अधिक धुल जाएं कि इस बार कोई सज़ा न हो बल्कि चारों ओर जय- जयकार हो कि देखो, कितना बड़ा ‘वीर ‘ है, इसने तो गूंगी- बहरी लड़की से भी बलात्कार करके दिखा दिया! यह आगे और प्रगति करेगा। हिंदुत्व के विकास में अपना विनम्र योगदान यह देकर रहेगा!
जाहिर है कि बड़े- बड़े लोग कुंभ स्नान करने के बाद भी आगे पाप करना छोड़ेंगे नहीं बल्कि पाप की गठरी का बोझ हल्का हो जाने पर कठिनाई महसूस करेंगे, उनके कंधे दुखने लगेंगे तो वे फिर से पाप करेंगे। फिर तीन साल बाद उज्जैन में सिंहस्थ (कुंभ) आएगा तो वहां इस बीच किए अपने सारे पाप धो आएंगे। हर तीन साल बाद कोई न कोई कुंभ आता रहेगा, इनके पाप धुलते रहेंगे, तो बलात्कारी भी यही करेगा, वह इनसे पीछे क्यों रहे!