नई दिल्ली – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मणिपुर के लोगों की सुरक्षा करने में ”पूरी तरह विफल” रहने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य में अशांति भारत के लोगों के साथ उनके ”विश्वासघात” की लंबी सूची में एक और कड़ी है.
खरगे ने आरोप लगाया कि मणिपुर में हिंसा को 16 महीने हो गए हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘डबल इंजन’ सरकार ने समस्या का समाधान करने के लिए कुछ नहीं किया. यहां ‘डबल इंजन’ से आशय केंद्र और राज्य, दोनों में भाजपा की सरकार से है. उन्होंने दावा किया कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है जिससे सभी समुदायों के लोगों में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए विश्वास पैदा हो सके.
खरगे ने कहा, ”आपने मणिपुर के मुख्यमंत्री (एन बीरेन सिंह) को अब तक बर्खास्त क्यों नहीं किया? क्या वह राज्य तंत्र को लगभग पंगु बनाने और घृणित बयान देने के लिए दोषी नहीं हैं, जो अब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है? अवांछनीय परिस्थिति से बचने के लिए बड़ी बेशर्मी के साथ इस्तीफा देने का नाटक किया गया.” कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”मोदी जी, आप इतने निर्दयी क्यों हो गए हैं? आपने राज्य में जाने की जहमत क्यों नहीं उठाई? ??आपके अहंकार के कारण ही सभी समुदायों के लोग पीड़ित हैं. आपकी सरकार की अक्षमता और बेशर्मी के कारण बुनियादी शांति प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है.”
उन्होंने कहा कि इंफाल पश्चिम जिले में ड्रोन हमलों के जरिए बमबारी की गई है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ”सोए हुए प्रतीत होते हैं”. उन्होंने कहा, ”यहां तक ??कि आपके अपने भाजपा नेताओं और उनके घरों पर भी हमले हो रहे हैं. क्या राज्यपाल को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि उन्होंने राहत शिविरों की दयनीय स्थिति के खिलाफ आवाज उठाई थी?”
खरगे ने कहा, ”कम से कम 235 लोग मारे गए हैं. अनगिनत लोग घायल हुए हैं तथा 67,000 लोग विस्थापित हैं. महिलाओं और बच्चों समेत हजारों लोग दयनीय परिस्थितियों में राहत शिविरों में रह रहे हैं.” उन्होंने कहा कि आंतरिक अशांति के अलावा अब मणिपुर की सीमाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा का भी खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री मोदी जी, आप मणिपुर के लोगों की सुरक्षा करने में पूरी तरह विफल रहे हैं. मणिपुर की अशांति भारत के लोगों के साथ आपके विश्वासघात की लंबी सूची में एक और बड़ी कड़ी है.” पिछले साल मई से मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.