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शेख हसीना: -चार बार लगातार PM बनीं, 45 मिनट में 15 साल का राज खत्म; दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट से निपटीं

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चार बार लगातार PM बनीं, 45 मिनट में 15 साल का राज खत्म; दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट से निपटीं
1975 के तख्ता पलट के बाद शेख हसीना पहली बार भारत में पौने छह साल तक रही थीं। इस बार भी तख्ता पलट होने पर उन्हें भारत से मदद की उम्मीद है।

ढाका/नईदिल्ली – भारत का पाकिस्तान के साथ सीमा पर पहले से ही तनाव है। चीन के साथ एलएसी पर गतिरोध जारी है। म्यांमार में जारी उथल-पुथल की वजह से पूर्वोत्तर भारत में समस्याएं हैं। बांग्लादेश में यह बदलाव भारत के लिए सीमापार आतंक, घुसपैठ और तस्करी की चुनौतियां बढ़ाएगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर नई दिल्ली में पहले बिम्सटेक बिजनेस शिखर सम्मेलन का मंगलवार को उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को अयोध्या आएंगे। सीएम योगी लोकसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद पहली बार आ रहे हैं। चुनाव के नतीजे चार जून को आए थे। इस तरह दो महीने बाद उनका यहां पर आगमन हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में कई दिनों की भारी बारिश के कारण जल प्रलय की स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश में जगह-जगह अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के चलते मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग और 87 अन्य सड़कें बंद हो गई हैं।

बांग्लादेश में 49 साल पहले का इतिहास एक बार फिर दोहराया गया। 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद पहली बार तख्ता पलट हुआ। तब भी सेना ने देश की बागडोर संभाली।

तब अपनी बहन के साथ विदेश से भारत में शरण लेने वाली शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना दिल्ली में पौने छह साल तक रही थीं। इस बार भी तख्ता पलट होने पर उन्हें भारत से मदद की उम्मीद है। अमर उजाला आर्काइव के पन्नों में बांग्लादेश में हुए तख्ता पलट और उसके बाद के सत्ता संघर्ष दर्ज हैं।

1975 के तख्ता पलट के बाद शेख हसीना पहली बार भारत में पौने छह साल तक रहीं। वह 18 मई 1981 को बांग्लादेश अपनी बेटी के साथ वापस लौटीं। इंडियन एयरलाइंस के विमान से वह कोलकाता से ढाका एयरपोर्ट पर उतरी थीं, जहां अवामी लीग के नेताओं ने उनके बांग्लादेश लौटने पर स्वागत किया था।

उनकी वापसी महज 12 दिन बाद ही बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उर रहमान की हत्या चटगांव में कर दी गई थी। इस पर शेख हसीना ने अगरतला बार्डर से 31 मई 1981 को भारत में फिर से प्रवेश करना चाहा, लेकिन बांग्लादेश राइफल्स ने उन्हें अगरतला सीमा पर गिरफ्तार कर लिया था। इस बार भी शेख हसीना भारत में त्रिपुरा के अगरतला में ही हेलिकॉप्टर से उतरीं।

अगस्त पड़ा भारी
बांग्लादेश की पांच बार प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना पर अगस्त का महीना भारी पड़ता रहा। वर्ष 1975 में अगस्त में उनके मां-पिता और तीन भाइयों की हत्या हुई तो वर्ष 1989 में उन पर अगस्त में ही जानलेवा हमला हुआ। इस बार भी 4 और 5 अगस्त के प्रदर्शन के बाद तख्ता पलट में उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा।
छात्र आंदोलनों ने नहीं छोड़ा पीछा
बांग्लादेश में अवामी लीग की अध्यक्ष रही शेख हसीना राजनीति की शुरूआत से ही छात्र आंदोलनों से घिरी रहीं। 11 अगस्त 1989 को उनके ऊपर दो ऑटो में सवार बंदूकधारियों ने हमला किया था, जिसमें वह बाल बाल बच गईं। उनके ढाका के धानमंडी स्थित घर पर 28 गोलियां दागी गई थीं। दो हथगोले भी बरामद किए गए थे। छात्र लीग के युवकों ने उन पर यह हमला किया था। 1996 में वह पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं, पर छात्र आंदोलनों से उनका पीछा नहीं छूटा। इस बार भी छात्र आंदोलन के बढ़ जाने और आक्रोश के बाद उन्हें देश छोड़कर फिर से भारत आना पड़ा।