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कुत्‍ता काट ले तो तुरंत लगाएं घर में रखी ये चीज, खाने में न दें ये सब्जियां, डॉ. की सलाह लक्षणों का रखें ध्‍यान, नहीं होगा रेबीज

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रायपुर – डॉगी पालने का शौक किसी को भी हो सकता है लेकिन कुत्‍ता पालना इतना आसान भी नहीं है. अगर आपके घर में बच्‍चे हैं तो आपको बहुत सावधान होने की जरूरत है. बहुत ज्‍यादा लाड़-प्‍यार से पाले गए कुत्‍ते भी कई बार गुस्‍से में या खेल-कूद में काट लेते हैं या खरोंच देते हैं. जिससे रेबीज होने का खतरा होता है. विश्व में रेबीज से होने वाली कुल मौतों में 36 फीसदी मौतें भारत में होती हैं. यहां रेबीज से हर साल 18 से 20 हजार लोगों की जान जाती है. इनमें बच्‍चों की संख्‍या ज्‍यादा है क्‍योंकि बच्‍चे कुत्‍तों का आसान शिकार होते हैं.

बच्‍चों को ज्‍यादा काटते हैं कुत्‍ते
भारत में रिपोर्ट किये गए रेबीज़ के लगभग 30 से 60 फीसदी मामलों और मौतों में 15 साल से कम उम्र के बच्‍चे शामिल हैं. यानि कुत्‍ते बच्‍चों को सबसे आसान शिकार मानते हैं. इसके अलावा बच्चों में काटने या खरोंचने के निशान को अक्सर पहचाना नहीं जाता एवं रिपोर्ट नहीं किया जाता, जिसकी वजह बच्‍चों में रेबीज का खतरा बढ़ जाता है. भारत में मानव रेबीज के लगभग 97 फीसदी मामलों के लिये कुत्ते जिम्मेदार हैं, इसके बाद बिल्लियां (2%), गीदड़, नेवले एवं अन्य (1%) हैं

अगर काट ले कुत्‍ता तो सबसे पहले करें ये काम
अगर किसी भी पालतू या आवारा कुत्‍ते ने काट लिया है तो तुरंत उस जगह को धो देना चाहिए. इसके बाद घर में रखे डिटर्जेंट साबुन जैसे कि रिन या सर्फ एक्सेल साबुन को घाव पर रगड़कर इस जगह को अच्‍छी तरह गर्म पानी से साफ कर लेना चाहिए. अगर जख्म बहुत गहरा है तो इस जगह पर पहले साबुन से धोएं और उसके बाद बीटाडिन मलहम लगा लें.

ध्यान रखें कि कुत्ता काटने के बाद घाव पर पट्टी नहीं बांधना चाहिए. घाव पर तेल, हल्दी या किसी घरेलू चीज को लगाने से बचें. घाव को धोने के बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

खाने में न दें ये चीजें 
चूंकि रेबीज का वायरस फैलता है ऐसे में उसकी रोकथाम के लिए वैक्‍सीनेशन के अलावा खानपान भी ठीक रखना जरूरी है. मरीज को इम्‍यूनिटी बढ़ाने वाला खाना जैसे ताजा फल, सब्जियां, जूस, सुपाच्‍य खाना दें. तला-भुना भोजन, चिप्‍स आदि ज्‍यादा मसालेदार चीजें, आलू, टमाटर, धनिया आदि सब्जियां और मीट कुछ दिन खाने के लिए न दें.

रेबीज के इन लक्षणों पर करते रहें गौर
फेलिक्‍स अस्‍पताल के एमडी डॉ. डीके गुप्‍ता कहते हैं कि रेबीज बीमारी के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में प्रकट होने लगते हैं. अधिकतर मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं. ऐसे जिसको भी कुत्‍ते ने काटा है उसके लक्षणों पर गौर करते रहें.

रेबीज बीमारी का खास लक्षण यह है कि जहां पर पशु ने काटा है वहां मासपेशियों में सनसनाहट होगी. इसके अलाव ये लक्षण अगर होते हैं तो तत्‍काल अस्‍पताल जाना जरूरी है..

. थकावट महसूस करना. सिरदर्द होना. बुखार आना. मांसपेशियों में जकड़न होना. घूमना-फिरना ज्यादा हो जाता है. चिड़चिड़ा होना या उग्र स्वाभाव होना. व्याकुल होना. अजोबो-गरीब विचार आना. कमजोरी होना या लकवा होना. लार व आंसुओं का बनना ज्यादा हो जाता है. तेज रौशनी, आवाज से चिड़न होने लगती है. बोलने में बड़ी तकलीफ होती है. अचानक आक्रमण का धावा बोलना.

वहीं जब संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और नसों तक पहुंच जाता है तो सभी चीजें या वस्तुएं दो दिखाई देने लगती हैं. मुंह घुमाने में परेशानी होती है. सीना या पेट का घुमाव विचित्र तरीके से होता है. लार ज्यादा बनने लगती है और मुंह में झाग बनने लगते हैं. मुंह से मरीज आवाज करने लगता है.

रेबीज का नहीं कोई इलाज
डॉ. गुप्‍ता कहते हैं कि कुत्‍ते के काटने या खरोंचने के बाद एक बार संक्रमण होने पर रेबीज का कोई इलाज नहीं है. हालांकि कुछ लोग जिंदा रहने में कामयाब रहे हैं लेकिन यह बीमारी जान ले लेती है. ऐसे में जरूरी है कि इस बीमारी को घातक होने से पहले ही रोक दिया जाए और कुत्‍ते के काटने या खरोंचने पर तुरंत वैक्‍सीनेशन कराया जाए.

पालतू कुत्‍तों के लिए बरतें ये सावधानी

जिन लोगों के घर में पालतू जानवर या कुत्ते है, वे डॉग के खानपान और उसको दिया जाने वाले माहौल का खास ध्‍यान रखें. ज्‍यादा खूंखार बनाने या छेड़ते रहने से वह किसी को भी अपना शिकार बना सकता है. इसके साथ ही कुत्‍ते को पालने से पहले वैक्‍सीनेशन जरूर करवाएं.

थकावट महसूस करना. सिरदर्द होना. बुखार आना. मांसपेशियों में जकड़न होना. घूमना-फिरना ज्यादा हो जाता है. चिड़चिड़ा होना या उग्र स्वाभाव होना. व्याकुल होना. अजोबो-गरीब विचार आना. कमजोरी होना या लकवा होना. लार व आंसुओं का बनना ज्यादा हो जाता है. तेज रौशनी, आवाज से चिड़न होने लगती है. बोलने में बड़ी तकलीफ होती है. अचानक आक्रमण का धावा बोलना.

वहीं जब संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और नसों तक पहुंच जाता है तो सभी चीजें या वस्तुएं दो दिखाई देने लगती हैं. मुंह घुमाने में परेशानी होती है. सीना या पेट का घुमाव विचित्र तरीके से होता है. लार ज्यादा बनने लगती है और मुंह में झाग बनने लगते हैं. मुंह से मरीज आवाज करने लगता है.

रेबीज का नहीं कोई इलाज
डॉ. गुप्‍ता कहते हैं कि कुत्‍ते के काटने या खरोंचने के बाद एक बार संक्रमण होने पर रेबीज का कोई इलाज नहीं है. हालांकि कुछ लोग जिंदा रहने में कामयाब रहे हैं लेकिन यह बीमारी जान ले लेती है. ऐसे में जरूरी है कि इस बीमारी को घातक होने से पहले ही रोक दिया जाए और कुत्‍ते के काटने या खरोंचने पर तुरंत वैक्‍सीनेशन कराया जाए.

पालतू कुत्‍तों के लिए बरतें ये सावधानी

जिन लोगों के घर में पालतू जानवर या कुत्ते है, वे डॉग के खानपान और उसको दिया जाने वाले माहौल का खास ध्‍यान रखें. ज्‍यादा खूंखार बनाने या छेड़ते रहने से वह किसी को भी अपना शिकार बना सकता है. इसके साथ ही कुत्‍ते को पालने से पहले वैक्‍सीनेशन जरूर करवाएं.