कठुआ रेलवे स्टेशन पर एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां रुकी एक मालगाड़ी ढलान के कारण बिना ड्राइवर के अचानक पठानकोट की ओर चलने लगी. यह देखकर हड़कंप मच गया. सूचना मिलने के बाद ट्रेन को मुकेरियां पंजाब में ऊंची बस्सी के पास रोका गया. डिविजनल ट्रैफिक मैनेजर जम्मू का कहना है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है. बताया गया है कि ट्रेन 70-80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी
सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही रेलवे के अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दी गई तो हड़कंप मच गया. आनन-फानन में कठुआ रेलवे स्टेशन से एक मालगाड़ी बिना लोकोमोटिव पायलट के पठानकोट की तरफ निकली. बिना लोकोमोटिव पायलट के ट्रेन को रोकने के लिए रिकवरी इंजन भेजा गया. काफी जद्दोहजद के बाद जब बिना ड्राइवर के दौड़ रही मालगाड़ी मुकेरियां पंजाब में ऊंची बस्सी के पास रुकी, तो लोगों ने राहत की सांस ली.
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
बिना ड्राइवर के अपने आप खड़ी ट्रेन के चलने के मामले पहले भी आ चुके हैं. जानकारी के मुताबिक, 2012 में बिहार में श्रमजीवी एक्सप्रेस को ड्राइवर पटना यार्ड में खड़ी करके चला गया था. तकनीकी खामी की वजह से ट्रेन सही से बंद नहीं हो पाई थी. ऐसे में धीरे-धीरे करके ट्रेन चलने लगी. यह देखकर वहां हड़कंप मचने लगा था. स्टेशन मास्टर ने फौरन उस रूट से गुजरने वाली सभी ट्रेनों को रोकने का अलर्ट जारी किया. इसके बाद दूसरे ड्राइवर ने ट्रेन का पीछा किया और ट्रेन में चढ़कर ब्रेक लगाई और ट्रेन रोकी.
A Freight Train which was at a halt at Kathua Station suddenly started running due to a slope towards Pathankot, without the driver. The train was stopped near Ucchi Bassi in Mukerian Punjab. An inquiry into the matter has been started: Divisional Traffic Manager, Jammu.… pic.twitter.com/ERv122pi4P
— ANI (@ANI) February 25, 2024
#WATCH | Hoshiarpur, Punjab: The freight train, which was at a halt at Kathua Station, was stopped near Ucchi Bassi in Mukerian Punjab. The train had suddenly started running without the driver, due to a slope https://t.co/ll2PSrjY1I pic.twitter.com/9SlPyPBjqr
— ANI (@ANI) February 25, 2024
अमेरिका में भी हो चुकी है ऐसी घटना
इसी तरह का एक मामला 15 मई 2001 में अमेरिका में सामने आया था. यहां उत्तर-पूर्व में ओहायो राज्य में CSX नाम की मालगाड़ी चलाने वाली एक कम्पनी के रेलयार्ड में मागाड़ियों से सामना उतारना, चढ़ाना, इंजन, बोगियां, ट्रैक चेंज करना आदि काम चल रहा था. उस दिन क्रू में एक कंडक्टर, एक इंजीनियर और एक ब्रेकमैन, ये तीन ही लोग थे. 8888 नंबर के एक लोकोमोटिव इंजन के साथ 47 बोगियां थीं. जिसमें से ज्यादातर तो खाली थीं लेकिन कुछ बोगियों में लोहा-लक्कड़ भरा हुआ था और दो बोगियां किसी टॉक्सिक केमिकल से भरी थीं, जो पेंट और गोंद बनाने के काम आता है.
इंजीनियर दोपहर 12 बजे इंजन पर चढ़ता है और उसे दूसरे ट्रैक पर ले जाने के लिए एक स्विच दबाना होता था. वो ब्रेक दबाकर उतर कर स्विच चेंज करने चला गया. उसे लगा था कि स्विच बदलकर वह दोबारा ट्रेन में चढ़ जाएगा. लेकिन यह क्या…! उसने देखा कि ट्रेन की स्पीड तो बढ़ रही है. घबराते हुए उसने ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की लेकिन उसका पैर फिसल गया. इस सबके बीच ट्रेन 20 किमी/घंटा की रफ़्तार पकड़ चुकी थी.