Home छत्तीसगढ़ बस्तर में गणतंत्र स्थापित करने को गनतंत्र से टकराएंगे 60 हजार जवान

बस्तर में गणतंत्र स्थापित करने को गनतंत्र से टकराएंगे 60 हजार जवान

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जगदलपुर – छत्तीसगढ़ में प्रथम चरण के चुनाव के पहले राजनांदगांव में भाजपा नेता की हत्या कर नक्सलियों ने लोकतंत्र के महायज्ञ में विघ्न डालने की मंशा स्पष्ट कर दी है। यही वजह है कि बस्तर में शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए सुरक्षा बलों के लगभग 60 हजार जवान तैनात रहेंगे। इसमें करीब 40 हजार अतिरिक्त अर्धसैनिक बल मतदान करवाने अन्य राज्यों व केंद्र से आ रहे हैं।

केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने इस बार यहां के ऐसे क्षेत्र जहां मतदान केंद्र दूर होने के कारण लोग नक्सल दहशत के चलते मतदान करने को नहीं जाते थे, वहां भी चार-पांच गांवों के बीच एक मतदान केंद्र बना दिया है। ऐसे 126 मतदान केंद्र हैं, जहां पहली बार वोट डाले जाएंगे। इनके अंतर्गत कई गांव ऐसे भी हैं जहां से पिछले चुनाव में एक भी वोट नहीं डाले गए थे। शत-प्रतिशत मतदान के लक्ष्य के चलते यह सारी कवायदें की गई हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बस्तर में कम हुई है नक्सलियों की दहशत

 

 

बस्तर में सुरक्षाबलों के कैंपों की संख्या बढ़ने के बाद से नक्सली दहशत कम जरूर हुई है, लेकिन विशेषकर चुनाव के दौर में नक्सली दहशत फैलाने से बाज नहीं आते। बताते चलें कि बस्तर में पिछले एक वर्ष में आधा दर्जन भाजपा नेताओं की हत्या कर नक्सलियों ने भय का वातावरण बनाने का प्रयास किया है। यही वजह है कि यहां के 22 भाजपा नेताओं को चुनाव के ठीक पहले एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। इसके अतिरिक्त संभाग में 120 नेताओं को एक्स, वाय व जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सुरक्षा के साये में अधिक मतदान की उम्मीद

 

 

विगत चार वर्ष में बस्तर संभाग में चांदामेटा, नंबी, कुदूर सहित 65 नवीन सुरक्षा बल के कैंप स्थापित किए गए हैं। नक्सल प्रभावित 2710 गांव में से करीब 650 गांव को नक्सलियाें के प्रभाव से मुक्त करा लिया गया है। नक्सलियों को अपने आधार क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा है। इससे चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद रहेगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार 2018 के प्रथम चरण के चुनाव में 76.28 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 2013 के 75.93 से 0.35 प्रतिशत अधिक रहा। इसमें नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 55.30 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2013 में 48.36 फीसदी मतदान हुआ था। बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 47.35 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2013 में 45.01 प्रतिशत था। नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 74.40 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2013 में 70.28 प्रतिशत मतदान हुआ था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बस्तर में कम हुई है नक्सलियों की दहशत

 

 

बस्तर में सुरक्षाबलों के कैंपों की संख्या बढ़ने के बाद से नक्सली दहशत कम जरूर हुई है, लेकिन विशेषकर चुनाव के दौर में नक्सली दहशत फैलाने से बाज नहीं आते। बताते चलें कि बस्तर में पिछले एक वर्ष में आधा दर्जन भाजपा नेताओं की हत्या कर नक्सलियों ने भय का वातावरण बनाने का प्रयास किया है। यही वजह है कि यहां के 22 भाजपा नेताओं को चुनाव के ठीक पहले एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। इसके अतिरिक्त संभाग में 120 नेताओं को एक्स, वाय व जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सुरक्षा के साये में अधिक मतदान की उम्मीद

 

 

विगत चार वर्ष में बस्तर संभाग में चांदामेटा, नंबी, कुदूर सहित 65 नवीन सुरक्षा बल के कैंप स्थापित किए गए हैं। नक्सल प्रभावित 2710 गांव में से करीब 650 गांव को नक्सलियाें के प्रभाव से मुक्त करा लिया गया है। नक्सलियों को अपने आधार क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा है। इससे चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद रहेगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार 2018 के प्रथम चरण के चुनाव में 76.28 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 2013 के 75.93 से 0.35 प्रतिशत अधिक रहा। इसमें नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 55.30 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2013 में 48.36 फीसदी मतदान हुआ था। बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 47.35 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2013 में 45.01 प्रतिशत था। नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 74.40 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2013 में 70.28 प्रतिशत मतदान हुआ था।