नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को नये संसद भवन में कार्यवाही की शुरुआत को आजादी के अमृतकाल का ‘उषा काल’ करार दिया और कहा कि ”जब हम नये अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए.” नये संसद भवन स्थित लोकसभा में अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का नया भवन 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है. उन्होंने कहा, ”प्रथम सत्र के प्रथम दिवस का यह अवसर कई मायनों में अभूतपूर्व है. यह आजादी के अमृतकाल का उषाकाल है. भारत अनेक सिद्धियों के साथ नये संकल्प लेकर, नये भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा, ”जब हम नये अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए. इस भावना के साथ कि हम यहां से हमारे आचरण से, हमारी वाणी से, हमारे संकल्पों से जो भी करेंगे, देश के लिए, राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के लिए वह प्रेरणा का कारण बनना चाहिए. हमें इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए.” प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गणेश चर्तुथी का शुभ दिन है.
उन्होंने कहा, ”गणेश जी शुभता और सिद्धि के देवता हैं. गणेश जी विवेक और ज्ञान के भी दवेता हैं. इस पावन दिवस पर हमारा यह शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की ओर एक नये विश्वास के साथ यात्रा को आरंभ करने का है.” मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव को सार्वजनिक उत्सव के रूप में प्रस्थापित करके पूरे राष्ट्र में सुराज की संकल्पना को शक्ति दी, उन्होंने स्वतंत्र भारत की प्रेरणा जगाई. प्रधानमंत्री ने कहा, ”आज हम गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर समृद्ध भारत की प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं.” मोदी ने कहा कि आज संवत्सरी का भी पर्व है और इस दिन को एक प्रकार से क्षमावाणी का पर्व भी कहते हैं. उन्होंने कहा कि यह ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहने का भी दिन है, अगर जाने-अनजाने किसी को भी दुख पहुंचाया है तो यह पर्व मन से, कर्म से, वचन से उसकी क्षमा याचना का अवसर है.
उन्होंने कहा, ”मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ, पूरे हृदय से सभी संसद सदस्यों और समस्त देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म.” मोदी ने कहा कि विज्ञान जगत में चंद्रयान-3 की गगनचुंबी सफलता हर देशवासी को गर्व से भर रही है, भारत की अध्यक्षता में जी20 का असाधारण आयोजन विश्व में इच्छित प्रयास की उपलब्धियां हासिल करने वाला अवसर बना.
उन्होंने नये संसद भवन में स्थापित किये गये ‘सेंगोल’ (राजदंड) की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह भवन नया है, व्यवस्थाएं नई हैं, लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई एक बहुत बड़ी विरासत का प्रतीक भी मौजूद है, वह नया नहीं है, वह पुराना है. उन्होंने कहा कि आज जब हम नये सदन में प्रवेश कर रहे हैं, संसदीय लोकतंत्र का नया गृहप्रवेश हो रहा है, तब आजादी की पहली किरण का साक्षी रहा यह ‘सेंगोल’ आने वाली पीढि.यों को भी प्रेरणा देता रहेगा.
मोदी ने कहा, ”यह पवित्र सेंगोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था. उनके हाथों से पूजा विधि करके आजादी के पर्व का प्रारंभ हुआ था, और यह हमें बहुत महत्वपूर्ण अतीत से जोड़ता है.” प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन के निर्माण में लगे सैनिकों, इंजीनियर और कामगारों को धन्यवाद जताते हुए कहा कि उन्होंने कोरोना काल में भी लगातार काम करके इस बहुत बड़े सपने को पूरा किया है. मोदी ने कहा कि नई संसद के निर्माण के लिए 30 हजार से अधिक श्रमिकों ने पसीना बहाया है और यह कई पीढि.यों के लिए उनका बहुत बड़ा योगदान है.
उन्होंने कहा, ”आज हम सब हमारे श्रमिकों, कामगारों, हमारे इंजीनियर का हृदय से धन्यवाद करें. इस अवसर पर 140 करोड़ देशवासियों की ओर से, लोकतंत्र की महान परंपरा की ओर से श्रमिकों का अभिनंदन.” मोदी ने बताया कि संसद भवन में एक नई परंपरा शुरू करते हुए एक डिजिटल बुक रखी गई है, जिसमें इन श्रमिकों का पूरा परिचय रखा गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद राष्ट्रसेवा का सर्वोच्च स्थान है. उन्होंने कहा कि यह दलहित के लिए नहीं, सिर्फ देशहित के लिए है.
उन्होंने नई संसद में उचित आचरण और व्यवहार रखने की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अपेक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा, ”मैं सदन के नेता के तौर पर अपनी तरफ से आश्वासन देता हूं कि हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि आपकी (अध्यक्ष की) आशा, अपेक्षा पर खरे उतरें और अनुशासन का पालन करें. देश हमें देखता है.” मोदी ने यह भी कहा कि अभी चुनाव तो दूर है और इस लोकसभा में जितना समय बचा है, उसमें सदस्यों का व्यवहार निर्धारित करेगा कि कौन सत्ता में बैठेगा और कौन विपक्ष में.
प्रधानमंत्री ने कहा, ”मैं पक्का मानता हूं कि यहां हमारा व्यवहार निर्धारित करेगा कि कौन यहां (सत्ता पक्ष की तरफ) बैठने के लिए व्यवहार करता है, कौन वहां (विपक्ष में) बैठने के लिए. आने वाले महीनों में इस अंतर को देश देखेगा. हमारे विचार अलग हो सकते हैं, विमर्श अलग हो सकते हैं, लेकिन संकल्प एकजुट होते हैं. इसलिए हमें एकजुटता के लिए भरपूर प्रयास करते रहने चाहिए.” उन्होंने कहा कि हमारी संसद ने राष्ट्रहित के तमाम बड़े अवसरों पर इसी भावना से काम किया है. मोदी ने कहा, ”मुझे आशा है कि नई शुरुआत के साथ इस संवाद में, चर्चा में हम इस भावना को जितना मजबूत करेंगे, आने वाली पीढि.यों को उतनी प्रेरणा मिलेगी. संसदीय परंपराओं की लक्ष्मण रेखा का हम सभी को पालन करना चाहिए.”
संख्या बल नहीं होने के बावजूद सरकार राज्यसभा की उदार सोच के कारण कडे निर्णय कर पायी : मोदी
भारत के संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उच्च सदन के सदस्यों की उदार सोच के कारण ही यह संभव हो पाया कि संख्या बल नहीं होने के बावजूद उनकी सरकार पिछले नौ वर्ष में कुछ कड़े निर्णय कर पायी. प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात नये संसद भवन में राज्यसभा की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि आज का दिवस यादगार भी है और ऐतिहासिक भी.
उन्होंने भारत के संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा के योगदान की चर्चा करते हुए हुए कहा कि संविधान निर्माताओं का यह आशय रहा है कि राज्यसभा राजनीति की आपाधापी से ऊपर उठ कर गंभीर बौद्धिक विचार-विमर्श का केंद्र बने और देश को दिशा देने का सामर्थ्य यहीं से निकले. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में संघवाद की सुगंध भी है उन्होंने कहा कि नया संसद भवन केवल एक नयी ‘बिल्डिंग’ नहीं है बल्कि एक नयी शुरुआत का प्रतीक भी है. उन्होंने कहा, ”हमें तय समय सीमा में लक्ष्यों को पूरा करना है क्योंकि देश ज्यादा प्रतीक्षा नहीं कर सकता.”
उनहोंने कहा, ”हम अपने आचरण, अपने व्यवहार से संसदीय शुचिता के प्रतीक के रूप में देश की विधानसभाओं को, देश की स्थानीय स्वराज संस्थाओं को, बाकी सारी व्यवस्थाओं को प्रेरणा दे सकते हैं.” प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के सदस्यों की उदार सोच का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके कारण सरकार पिछले नौ साल में संख्या बल नहीं होने के बावजूद कुछ कड़े निर्णय कर पायी. उन्होंने कहा, ” जब हम आजादी की शताब्दी मनायेंगे तो वह विकसित भारत की स्वर्ण शताब्दी होगी. पुराने संसद भवन में हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में पहुंचे थे और नये संसद भवन में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे.”
आज की नारी शक्ति को जितनी सुविधाएं दी जाएंगी, वे उतना ही सामर्थ्य दिखाएंगी: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आज की नारी शक्ति के मन में ‘किंतु-परंतु’ का युग खत्म हो चुका है और उन्हें जितनी सुविधाएं दी जाएंगी, वे उतना ही सामर्थ्य दिखाएंगी. नए संसद भवन में राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होने के बाद अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात कही. उन्होंने लोकसभा में महिला आरक्षण संबंधी विधेयक पेश किए जाने का उल्लेख करते हुए सदन के सदस्यों से इसे सर्वसम्मति से पारित किए जाने का अनुरोध किया.
उन्होंने यह भरोसा जताया कि देश जब आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा तो वह ‘विकसित भारत’ होगा. उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि पुराने संसद भवन में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना और नए संसद भवन में वह दुनिया की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा.
मोदी ने कहा, ”नया संसद भवन सिर्फ एक नयी इमारत नहीं है बल्कि एक नयी शुरुआत का प्रतीक भी है. अमृत काल की शुरुआत में ही इस भवन का निर्माण होना और हम सब का प्रवेश होना अपने आप में हमारे देश के 140 करोड़ नागरिकों की आशाओं और आकांक्षाओं में एक नई ऊर्जा भरने वाला बनेगा. नई आशा और विश्वास पैदा करने वाला बनेगा.” प्रधानमंत्री ने लोकसभा में महिला आरक्षण से संबंधित नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि नए संसद भवन में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसला लिया गया है और महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का प्रयास जीवन जीने की सुगमता और जीवन जीने की गुणवत्ता में सुधार का रहा है और जब यह बात की जाती है तो उसकी पहली हकदार महिलाएं होती हैं. मोदी ने कहा, ”नारी शक्ति के मन में आज किंतु-परंतु का युग खत्म हो चुका है. हम उन्हें जितनी सुविधा देंगे, हमारी बहनें और बेटियां उतना ही अपना सामर्थ्य दिखाएंगी.”
उन्होंने कहा, ”इसके लिए नारी शक्ति वंदन विधेयक संविधान संशोधन के रूप में सरकार लोकसभा में लेकर आई है. कल लोकसभा में इस पर चर्चा होगी और उसके बाद यह राज्यसभा में आएगा. मैं आज राज्यसभा के सभी साथियों से आग्रह करने आया हूं कि जब भी यह विधेयक हमारे सामने आए, तो आप सब सर्वसम्मति से उस पर निर्णय करें.” नारी सशक्तीकरण की दिशा में केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत महिला सशक्तीकरण से महिला नीत विकास की ओर बढ़ा है और अब जी20 के माध्यम से दुनिया भर में पहुंचा है.