Home देश महिला आरक्षण विधेयक को मंत्रिमंडल की ‘मंजूरी’ एक बड़ा कदम : महबूबा...

महिला आरक्षण विधेयक को मंत्रिमंडल की ‘मंजूरी’ एक बड़ा कदम : महबूबा मुफ्ती

21
0

श्रीनगर/लखनऊ –  ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दिए जाने की खबरों का मंगलवार को स्वागत किया और इस फैसले को एक ”बड़ा कदम” करार दिया. मुफ्ती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि पुरुषों के वर्चस्व वाले कठिन राजनीतिक क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के बाद मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आखिरकार महिला आरक्षण विधेयक एक वास्तविकता बन जाएगा. आधी आबादी होने के बावजूद हमारा प्रतिनिधित्व बेहद कम है. यह एक बड़ा कदम है.

केंद्रीय मंत्री प्र”ाद सिंह पटेल ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था कि मंत्रिमंडल ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है. लेकिन उन्होंने एक घंटे के भीतर ही अपनी यह पोस्ट हटा ली थी. मुफ्ती ने कहा, ” यह एक अच्छा कदम है. हालांकि काफी देर से उठाया गया…. पुरुषों के वर्चस्व वाले राजनीतिक क्षेत्र में आपकों कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, महिला होने के नाते मुझे भी इनका सामना करना पड़ा.” जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री (मुफ्ती) ने कहा कि यह बिल्कुल उचित समय है कि महिलाएं निर्णयकारी भूमिका में हों – चाहे वह विधानसभा हो या संसद.

उन्होंने कहा, ” देश में महिलाएं जिन चुनौतियों और अत्याचारों का सामना कर रही हैं, उन्हीं देखते हुए मैं समझती हूं कि यह बिल्कुल सही समय है जब यह विधेयक लाया गया है.” मुफ्ती ने पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की इस टिप्पणी से सहमति जतायी कि ‘विधेयक उनका (कांग्रेस का) ही है.’ सोनिया गांधी ने संकेतों में कहा था कि यह उनके पति दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही थे जिन्होंने पंचायतों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर उनके लिए समान प्रतिनिधित्व की बुनियाद डाली.

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जो विधानसभाओं और संसद में जाने के लिए तैयार है. उन्होंने पंचायतों को एक ऐसी आधारक्षेत्र बताया जहां महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जा सकता है. मुफ्ती ने कहा, ” संप्रग के शासनकाल में राज्यसभा से यह विधेयक पारित हो गया था लेकिन लोकसभा से पारित नहीं हो पाया क्योंकि कई क्षेत्रीय दलों ने इसका विरोध किया. दरअसल ये राजनीतिक दल चाहते थे कि आरक्षण के अंदर पिछड़े -दलित वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण हो जो भिन्न बात है.” उन्होंने कहा, ” लेकिन मैं समझती हूं कि सोनिया जी सही हैं कि यह कांग्रेस द्वारा लाया गया और अब भाजपा ऐसा कर रही है. उन्हें मिलकर इसे (पारित) कराना है, यह अच्छी बात है.”

महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए : सपा प्रमुख यादव

महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किये जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. सपा प्रमुख यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा,”महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.”

इससे पहले सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”जहां तक इस (महिला आरक्षण) विधेयक का सवाल है, हमारा रुख यह है कि इस विधेयक के तहत पिछड़ों को कितना आरक्षण मिलेगा. कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा जब यह विधेयक पेश किया गया था तो हमने इसका विरोध किया था और आज जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे ला रही है, तो हम (उनसे) पूरी तरह सहमत नहीं हैं.”

चौधरी ने कहा, ”हम महिलाओं के साथ न्याय चाहते हैं और उनके लिए आरक्षण भी चाहते हैं. लेकिन पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों के लिए कितना आरक्षण होगा?” उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक में यह बताया जाना चाहिए कि अन्य पिछड़ी जाति, दलित, अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) समुदाय की महिलाओं को दिए जाने वाले आरक्षण का कोटा क्या होगा? चौधरी ने यह भी बताया कि इस संबंध में फैसला दिल्ली में लिया जाएगा, क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव और डिंपल यादव दिल्ली में हैं.

वर्ष 2009 में सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने (प्रस्तावित) महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करते हुए इसे ”कठिन संघर्षों” के माध्यम से लोकसभा तक पहुंचने वाले नेताओं के खिलाफ एक ”साजिश” करार दिया था. उस वक्त सपा कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी.

सिंह के बयान के समर्थन में जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) के तत्कालीन नेता शरद यादव ने तर्क दिया था कि अगर विधेयक आम सहमति के बिना पारित किया गया तो यह ”जबरन जहर देने” के समान होगा. केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया.