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आज 11 सितंबर को निकलेगी उज्जैन में बाबा महाकाल की शाही सवारी, 10 रूपों में दर्शन देंगे भगवान

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उज्जैन में स्थित भगवान महाकालेश्वर का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां हर साल सावन-भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। भगवान महाकाल की शाही सवारी 11 सितंबर को निकाली जाएगी।

उज्जैन – देश भर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इनमें से महाकालेश्वर तीसरे स्थान पर है। ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में स्थित है। सावन और भादौ मास में भगवान महाकाल की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर सवारी निकाली जाती है। भादौ के दूसरे सोमवार को निकाली जाने वाली सवारी को शाही सवारी कहते हैं। इस बार शाही सवारी 11 सितंबर को निकाली जाएगी। जानें क्या-क्या खास रहेगा भगवान महाकाल की शाही सवारी में…

10 स्वरूपों में दर्शन देंगे महाकाल
शाही सवारी में भगवान महाकाल 10 स्वरूपों में अपने भक्तों को दर्शन देंगे। सवारी में 10 बैंड के साथ-साथ 70 भजन मंडलियां शामिल होंगी। सवारी के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। शाही सवारी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल होंगे। शाही सवारी का मार्ग भी करीब सात किलोमीटर का होगा।

शाम 4 बजे शुरू होगी शाही सवारी
महाकाल की पालकी मंदिर से बाहर आने से पहले शहर के आला अधिकारी और जनप्रतिनिधि भगवान चंद्रमौलेश्वर की पूजा करेंगे। शाम 4 बजे पालकी मंदिर से बाहर आएगी। यहां पुलिस जवान महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर देंगे। यहां से सवारी गुदरी चौराहा और कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी। यहां पूजन के बाद भगवान महाकाल की पालकी विभिन्न मार्गों से होते हुए रात लगभग 10 बजे पुन: मंदिर परिसर में प्रवेश कर जाएगी।

इसे क्यों कहते हैं शाही सवारी?
परंपरा के अनुसार, सावन के प्रत्येक सोमवार और भादौ के प्रथम 2 सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। भादौ के दूसरे सोमवार को निकाली जाने वाली सवारी अंतिम सवारी होती है। इस सवारी में भगवान महाकाल के सभी स्वरूपों को शामिल किया जाता है, साथ ही अन्य सवारियों के मुकाबले इसमें भजन मंडली, बैंड आदि की संख्या भी ज्यादा होती है। इस सवारी का मार्ग भी अन्य सवारियों की अपेक्षा बड़ा होता है, इसलिए इसे शाही सवारी कहते हैं।