नई दिल्ली – भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) का चंद्रयान-3 तेजी से चांद की ओर बढ़ रहा है. आज 5 अगस्त को शाम करीब सात बजे इसे चांद के पहले ऑर्बिट में डाला जाएगा. इसके बाद चंद्रयान की गति को लगातार 23 अगस्त तक कम किया जाएगा.
चंद्रयान 3 के जरिए भारत चांद की स्टडी करना चाहता है. वो चांद से जुड़े तमाम रहस्यों से पर्दा हटाएगा. चंद्रयान 3 चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा, वहां के वातावरण, खनिज, मिट्टी वगैरह जुड़ी तमाम जानकारियों को जुटाएगा. बता दें 2008 में जब इसरो ने भारत का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, तब इसने चंद्रमा की परिक्रमा की और चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की थी।
ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए इंजन को कुछ देर के लिए चालू किया था
ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए बेंगलुरु में मौजूद इसरो के हेडक्वार्टर से वैज्ञानिकों ने चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू किया था। इंजन फायरिंग तब की गई जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 km की दूरी पर था। इसरो ने कहा- चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है।
चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।
जानिए प्रक्रिया
17 अगस्त को 5 चक्कर लगाने के बाद स्पेसक्राफ्ट 100 किमी की ऊंचाई पर आ जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग होगा.
– 18 अगस्त को डीबूस्टिंग प्रक्रिया से चंद्रयान के लैंडर मॉड्यूल की गति को कम किया जाएगा. गति कम करने के लिए इसे 180 डिग्री का घुमाव देकर उल्टी दिशा में घुमाया जाएगा. चांद की तरफ जाने के लिए गति को 1 किमी प्रति सेकेंड किया जाएगा.
– 20 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल डीऑर्बिटिंग की जाएगी. चंद्रयान-3 के लैंडर को 100X30 किमी के लूनर ऑर्बिट में डाला जाएगा.
– 23 अगस्त को शाम को करीब 5:47 बजे चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर उतारा जा सकता है.