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नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन – प्रदेश में 3 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल, कई विभागों का काम हो सकता है ठप!

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नियमितीकरण रथयात्रा के बाद अब प्रदेशभर के 54 सरकारी विभागों के क़रीब 45 हज़ार संविदाकर्मी बघेल सरकार के ख़िलाफ़ हड़ताल पर जाने को तैयार हैं।

रायपुर – छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी विभागों में काम करने वाले संविदा कर्मचारियों ने एक बार फिर नियमितीकरण की मांग को लेकर 3 जुलाई से हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। ये हड़ताल छत्तीसगढ़ सर्वविभागीय संविदा कर्मचारी संघ के बैनर तले होगी और अनिश्चितकाल तक चलेगी। इससे पहले ये सभी संविदाकर्मी इस साल की शुरुआत में हड़ताल पर गए थे और बीते 16 मई से करीब एक महीने से अधिक इन कर्मचारियों ने राज्य के सभी जिलों में नियमितीकरण रथयात्रा भी निकाली थी। बीते शुक्रवार, 23 जून को राजधानी रायपुर में संविदाकर्मियों ने आक्रोष रैली निकाल कर सरकार के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन कर अपनी यात्रा समाप्त की थी।

बता दें कि चुनावी समर के बीच सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संविदा कर्मचारियों से लगातार चुनौती मिल रही है। कभी धरना प्रदर्शन, तो कभी हड़ताल ने इन कर्मचारियों के साथ-साथ आम लोगों की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिसकी जिम्मेदार खुद सरकार है। ये कर्मचारी लगातार सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं और अब प्रदेशभर के लगभग सभी 45,000 संविदा कर्मचारी सरकार के खिलाफ एकजुट होकर अनिश्चितकालिकन हड़ताल पर जाने को तैयार हैं।

हड़ताल पर जाने को विवश हैं संविदाकर्मी

महासंघ के प्रदेश सचिव श्रीकांत लास्कर ने बताया कि 3 जुलाई से होने वाली आगामी हड़ताल में कृषि, स्वास्थ्य, श्रम और पंचायत ग्रामीण विकास सहित सभी विभागों के सभी संविदाकर्मी शामिल होंगे। इस दौरान कई काम ठप हो जाएंगे, जिसकी जिम्मेदार सरकार खुद होगी। क्योंकि बीते चुनावों में नियमितीकरण का वादा भी सरकार का ही था और उस वादे के दम पर ही वो वोट पाकर सत्ता में आई थी। लेकिन अब जब सरकार का कार्यकाल खत्म होेने जा रहा है, तो सबका धैर्य भी समाप्त हो गया है।

श्रीकांत लास्कर आगे कहते हैं कि लगभग 40 दिन की नियमितीकरण रथयात्रा के दौरान सभी 33 जिलों के कलेक्टर और 90 विधानसभा के विधायक, जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपे गए। इसके बावजूद संगठन का सरकार से कोई संवाद स्थापित नहीं हो सका। मांगे मानना तो दूर सरकार ने एक मीटिंग तक के लिए नहीं बुलाया। ऐसे में अब संविदाकर्मियों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

ध्यान रहे कि छत्तीसगढ़ के संविदाकर्मियों से साल 2018 में कांग्रेस ने वादा किया था कि उनकी सरकार बनते ही इन सभी को नियमित कर दिया जाएगा। हालांकि जब सरकार बन गई और इसे लेकर कुछ नहीं किया गया, तो इन कर्मचारियों ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया। जिसके बाद साल 2019 में नियमित करने को लेकर सरकार ने कमेटी बनाई। तबसे लेकर अब तक हर साल बस कमेटी बना दी जाती है, लेकिन कोई ठोस नतीज़ा सामने नहीं आता। न ही कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होती है और न ही कोई कर्मचारी नियमित होता है।

छत्तीसगढ़ में किसकी बनेगी सरकार, ये संविदाकर्मी करेंगे तय

महासंघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष विजय यादव ने मीडिया से कहा कि कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने हमें  पक्का करने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। हर बार सिर्फ आश्वासन और लिस्ट मंगवाने के नाम पर पूरे मामले को टाल मटोल कर दिया जाता है। ऐसे में अब 2024 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में किस पार्टी की सरकार बनेगी ये संविदाकर्मी तय करेंगे। हमने अभी से बघेल सरकार और कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया है। अगर सरकार एक सप्ताह के भीतर हमारी मांगों को संज्ञान में नहीं लेती तो बड़ा आंदोलन तो होगा ही, चुनावों में कांग्रेस को हार का मुंह भी देखना पड़ेगा।

राज्य के कुछ संविदा कर्मचारियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि 14 फरवरी 2019 को प्रदर्शन के दौरान मंच पर खुद मुख्यमंत्री साहब ने आकर यह घोषणा की थी कि, यह वर्ष किसानों का है अगला वर्ष आप कर्मचारियों का होगा। लेकिन अभी तक हमारा टाइम नहीं आया और अब मुख्यमंत्री बघेल के पास ज्यादा समय नहीं है। इसलिए अगर जल्द ही वो नियमितीकरण की ओर कोई कदम नहीं उठाते तो उनकी सरकार गिरना तय है क्योंकि प्रदेश में फिलहाल 54 सरकारी विभागों में करीब 45 हजार संविदाकर्मी तैनात हैं, जो सरकार का एक बड़ा वोट बैंक हो सकते हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्यकर्मी पहले ही 4 जुलाई से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर चुके हैं। हाल ही में राज्य के पटवारियों और पंचायत सचिवों का अनिश्चितकालीन धरना देखने को मिला था, इसके अलावा कई अन्य विभागों के कर्मचारियों के साथ ही प्रदेश के अनियमित कर्मचारी भी आंदोलनरत हैं। ऐसे में आने वाला चुनाव कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोनों के लिए आसान होता दिखाई नहीं दे रहा है।