कसेकेरा के सरस्वती ग्राम गंगा उ.मा. विद्यालय में विद्याभारती अभा शिक्षा संस्थान की महासमुंद जिला ग्राम भारती का 10 दिवसीय नवीन आचार्य संकल्पना वर्ग आहूत
बागबाहरा – सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ रायपुर के महासमुंद जिला प्रतिनिधि और सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (बागबाहरा) की संचालन समिति के सदस्य अनिल पुरोहित ने कहा है कि आज का समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के साथ विदेशी चैनलों और मीडिया जगत में सक्रिय राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा भारत की संस्कृति पर तो आक्रमण हो ही रहा है, राष्ट्र के प्रति अनास्था के साथ-साथ हमारी सामाजिक संरचना को भी धर्मांतरण, आतंकवाद, बाजारवाद के जरिए नष्ट करने के प्रयास जारी हैं। श्री पुरोहित ने कहा कि ऐसे चुनौतीपूर्ण कालखंड में सरस्वती शिशु मंदिरों के आचार्यों-दीदीजी को आचार्य चाणक्य, जीजाबाई, स्वामी विवेकानंद, महात्मा ज्योति बा फुले, राजा राममोहनराय आदि असंख्य भारतीय मनीषियों की तरह अपनी भूमिका के प्रति लक्ष्यनिष्ठ होकर भारत की भावी पीढ़ी का निर्माण करना है। श्री पुरोहित रविवार को विद्याभारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की महासमुंद जिला ग्राम भारती इकाई के तत्वावधान में समीपस्थ ग्राम कसेकेरा के सरस्वती ग्राम गंगा उ.मा. विद्यालय में आहूत नवीन आचार्य संकल्पना वर्ग को ‘हमारा लक्ष्य’ विषय पर संबोधित कर रहे थे।

श्री पुरोहित ने कहा कि सशिमं के नवीन आचार्यों को शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रभक्त व संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित पीढ़ी के निर्माण के लक्ष्य को सतत स्मरण रखना होगा। पुस्तकीय पाठ्यक्रम से इतर विद्यार्थियों की मौलिक प्रतिभा को तलाशना और तराशना तथा अपने ज्ञान की सर्वश्रेष्ठ विरासत भावी पीढ़ी को सौंपना आचार्यों का महती दायित्व है। इसके लिए नवीन आचार्य-दीदीयों से अपने लक्ष्य के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण व प्रामाणिकता के साथ कार्य करना होगा। श्री पुरोहित ने सरस्वती शिशु मंदिर योजना की वैचारिक अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचरण सिखाने व आचरण करने के कारण ही हमारी परंपरा में शिक्षक को आचार्य कहा गया है और इस दृष्टि से सशिमं के आचार्यो व दीदीयों का यह गुरुत्तर दायित्व होता है कि विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें व स्वयं को भी पढ़ें।

विद्यार्थियों को सिर्फ ज्ञान की घुट्टी न पिलाएं बल्कि व्द्यिार्थियों की सभी योग्यताओं व मौलिक विकास को केन्द्र में रखकर बचपन से ही उनमें उन सद्गुणों का विकास करें जो आगे चलकर एक अच्छे, जागरूक व संस्कारक्षम नागरिक के रूप में विद्यार्थियों को समाज व राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करे। सशिमं योजना के इस लक्ष्य की प्राप्ति में आचार्य-दीदी अपनी महती भूमिका समझें। श्री पुरोहित ने कहा कि आज के परिवर्तनशील युग में शैक्षणिक जगत में परिवर्तन तभी आएगा जब हमारी शिक्षा में हिन्दुत्व से प्रेरित राष्ट्रीय सोच को विकसित कर उसमें हमारी सांस्कृतिक अवधारणा का समावेश किया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा का स्वरूप बदलेगा और भारत की सनातन धरोहरों को संजोते हुए साक्षरता, संस्कार, सामाजिक समरसता, स्वास्थ्य, स्वदेशी, स्वावलंबन और विद्यार्थी के सर्वागीण कौशल विकास के अपने दायित्व का निर्वहन भलीभांति हम सब कर सकेंगे।
सत्र का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन व अतिथि स्वागत के साथ हुआ। इस अवसर पर ग्राम भारती के जिला सह समन्वयक व वर्ग प्रमुख परमानंद बंजारा, कसेकेरा विद्यालय के प्राचार्य वीरेंद्र साहू भी मंचस्थ थे। सत्र का संचालन देवरी विद्यालय के प्रधानाचार्य राजीव साहू ने किया।