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दुनिया में पहली बार भारत ने हासिल की यह अनूठी उपलब्धि, नितिन गडकरी हुए गदगद

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नई दिल्ली  – बांस उगाने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। दुनिया में पहली बार क्रैश बैरियर के लिए बांस का इस्तेमाल किया गया है और यह उपलब्धि भारत ने हासिल की है। अमूमन इसके लिए स्टील का इस्तेमाल किया जाता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र में चंद्रपुर और यवतमाल जिलों को जोड़ने वाले एक राजमार्ग पर 200 मीटर लंबा बांस का क्रैश बैरियर  लगाया गया है। गडकरी ने कहा कि यह दुनिया में तरह की पहली कवायद है। गडकरी ने इसे देश और इसके बांस क्षेत्र के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह क्रैश बैरियर स्टील का एक सही विकल्प प्रदान करता है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करता है।

गडकरी ने एक ट्वीट में कहा, ‘दुनिया के पहले 200 मीटर लंबे बांस के क्रैश बैरियर के निर्माण के साथ ही आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक असाधारण उपलब्धि हासिल की गई है, जिसे वाणी-वरोरा राजमार्ग पर लगाया गया है।’ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि इस बांस के क्रैश बैरियर को बाहु बल्लीनाम दिया गया है। क्रैश बैरियर राजमार्ग के किनारे लगाए जाते हैं। किसी तेज रफ्तार गाड़ी को अनियंत्रित होकर इनसे टकराने पर ये गाड़ी को सड़क ने नीचे जाने से रोक देते हैं। इससे टकराने से गाड़ी की गति भी कम हो जाती है।

क्या होगा फायदा

केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कि इंदौर के पीतमपुर में नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स (NATT) जैसे विभिन्न सरकारी संस्थानों में इसका कठोर परीक्षण किया गया। साथ ही रुड़की में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) में आयोजित फायर रेटिंग जांच के दौरान इसे कैटगरी-वन का दर्जा दिया गया। इसके अतिरिक्त, इसे इंडियन रोड कांग्रेस ने भी मान्यता दी है। गडकरी ने कहा कि बांस बैरियर की रिसाइकलिंग प्राइस 50-70 प्रतिशत है, जबकि स्टील बैरियर का 30-50 प्रतिशत है।

गडकरी ने कहा, ‘इस बैरियर को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली बांस की प्रजाति बंबूसा बालकोआ  है, जिसे क्रेओसोट तेल से उपचारित किया गया है और पुनर्चक्रित हाई-डेंसिटी पॉली एथिलीन (एचडीपीई) के साथ लेपित किया गया है। यह उपलब्धि बांस क्षेत्र और पूरे भारत के लिए उल्लेखनीय है, क्योंकि यह क्रैश बैरियर स्टील का एक सही विकल्प प्रदान करता है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं और उनके परिणामों को संबोधित करता है।’