Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यों को राज्यपाल ने सराहा, पढ़े 71 बिंदुओं का...

छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यों को राज्यपाल ने सराहा, पढ़े 71 बिंदुओं का पूरा अभिभाषण

31
0

बस्तर की पहचान अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि ‘विकासगढ़’ के रूप में –  राज्यपाल

रायपुर 

माननीय सदस्यगण,
अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि छत्तीसगढ़ की पंचम विधानसभा का सोलहवां सत्र, फाल्गुन चैत्र के पावन माह में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर मैं आप सबका हार्दिक अभिनंदन करता हूं। आप सभी को बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में प्राप्त जनादेश से वर्तमान राज्य सरकार का गठन हुआ था। मेरी सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल का यह पांचवां बजट सत्र है। वर्ष 2023-24 के बजट सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श और निर्णय की कार्यवाही आप लोगों द्वारा की जाएगी। ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ तथा सेवा जतन-सरोकार के ध्येय वाक्य के साथ जो ‘छत्तीसगढ़ मॉडल की शुरुआत हुई थी, उसे मुकाम तक पहुंचाने में मेरी सरकार के प्रयासों में भागीदार बनने के लिए, मैं आप सबको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।

2. किसान, खेती, ग्रामीण विकास और इससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों का समन्वित और सर्वांगीण विकास मेरी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है। इस दिशा में प्रचलित परिपाटियों में सुधार के साथ अनेक नए उपाय भी किए गए, जिसके कारण छत्तीसगढ़ के किसान व ग्रामीण परिवार तेजी से समृद्ध और खुशहाल हुए हैं।
3. अपने प्रदेश की माटी को जहरीले रसायनों से मुक्त करने की बड़ी चुनौती मेरी सरकार ने स्वीकार की है ताकि जमीन का उपजाऊपन, फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में वृद्धि हो। इसके लिए विभिन्न तकनीकी उपायों के साथ ही जनभावनाओं के स्तर पर भी पहल की गई और प्रतिवर्ष अक्ति त्यौहार को माटी पूजन दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई।

4. मेरी सरकार ने ‘सुराजी गांव योजना के माध्यम से ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ के संरक्षण, बहुआयामी विकास और उसके माध्यम से आजीविका के अवसरों को बढ़ाया है। ‘नरवा’ के उपचार से भूमिगत जलस्तर में वृद्धि हो रही है, वहीं गौठानों को गौमाता की सेवा के साथ ही जैविक खाद बनाने व अन्य आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया गया है। सतत एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट को सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
5. ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत गोबर खरीदी की मात्रा 100 लाख क्विंटल तथा गोबर खरीदी की राशि 200 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है। 28 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन किया गया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। गौठान समिति के माध्यम से गौ-मूत्र का क्रय भी किया जा रहा है और इससे जैविक कीट नियंत्रक एवं जीवामृत जैसे उपयोगी उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। गोधन और गौ-मूत्र के कार्य से पशु पालकों, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को होने वाली आय 400 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है। गौठानों को ‘ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करने की नई पहल से गांव-गांव में बड़े पैमाने पर अनेक वस्तुओं के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण हेतु 75 गौठानों का चयन कर 84 लोगों को प्रशिक्षण हेतु राजस्थान भेजा गया है। 13 जिलों में 23 पेंट निर्माण इकाई लगाने की कार्यवाही शुरू की गई हैं, जिसमें 3 जिलों रायपुर, दुर्ग एवं कांकेर में उत्पादन भी शुरू किया जा चुका है।
6. 5 हजार 874 गौठानों में चारागाह विकसित किए जा चुके हैं, जिसमें 2 लाख 30 हजार क्विंटल हरा चारा का उत्पादन तथा 15 लाख 80 हजार क्विंटल सूखा चारा पैरा इकट्ठा किया जा चुका है जो पैरादान के लिए मेरी सरकार के आह्वान का सुखद परिणाम है।

7. मेरी सरकार ने प्रदेश की प्रमुख फसल धान को भरपूर सम्मान दिया है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सटीक व्यवस्था और मिलिंग की सही नीति से राष्ट्रीय स्तर के कीर्तिमान बने हैं। वर्ष 2017-18 में 12 लाख 6 हजार किसानों ने 19 लाख 36 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 56 लाख 89 हजार मीटरिक टन धान बेचा था, वहीं मेरी सरकार के विशेष प्रयासों के कारण इस वर्ष 23 लाख 50 हजार किसानों ने 30 लाख 14 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 1 करोड़ 7 लाख 53 हजार मीटरिक टन धान समर्थन मूल्य पर बेचा है। इस तरह छत्तीसगढ देश में सर्वाधिक किसानों से धान खरीदने वाला प्रथम, धान की सर्वाधिक कीमत देने वाला अव्वल और सेंट्रल पूल में चावल देने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है। धान के साथ ही अन्य फसलों के उत्पादन में भी छत्तीसगढ़ तेजी से आगे बढ़ रहा है।
8. प्रदेश में पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली कोदो, कुटकी, रागी लघु धान्य फसलों के लिए समर्थन मूल्य घोषित कर इनका उपार्जन किया जा रहा है। मेरी सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 से ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ कार्यक्रम लागू किया गया है। मिलेट्स के उत्पादन, विपणन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। राज्य में चाय और कॉफी की खेती को बढ़ावा देने ‘छत्तीसगढ़ टी कॉफी बोर्ड का गठन किया गया है।
9. खाद्यान्न व उद्यानिकी फसलों की लागत में राहत देने हेतु कृषकों को आदान सहायता राशि प्रदान करने वाली राजीव गांधी किसान न्याय योजना मेरी सरकार ने खरीफ वर्ष 2019 से प्रारंभ की। इसके तहत अभी तक 16 हजार 415 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है
10. बिना ब्याज के कृषि ऋण प्रदाय योजना के तहत वर्ष 2022-23के लक्ष्य 6 हजार 610 करोड़ रुपए के विरुद्ध 6 हजार 141 करोड़ रुपए का कृषि ऋण दिया जा चुका है, जो अब तक का सबसे बड़ा कीर्तिमान है ।
11. सीधे मेरी सरकार ने किसानों, ग्रामीणों, वन आश्रितों के बैंक खाते में भुगतान के साथ ही बैंकिंग सुविधाओं में भी आशातीत वृद्धि की है। वर्ष 2018 की स्थिति में 14 लाख 16 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे, जो अब बढ़कर 21 लाख 23 हजार हो गए हैं। नक्सल प्रभावित 8 जिलों में बैंक शाखाएं 338 से बढ़कर 573 हो गई हैं। एटीएम की संख्या 222 से बढ़कर 456 हो गई है। बस्तर और सरगुजा संभाग में सहकारी बैंक की 10 नई शाखाएं संचालित करने हेतु स्वीकृति दी गई है। बैंक मित्रों की संख्या भी दोगुनी से अधिक बढ़ाकर 35 हजार कर दी गई है। 725 नई प्राथमिक साख सहकारी समितियों में गोदाम-सह कार्यालय का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें 645 के लिए कार्यादेश जारी किया जा चुका है।
12. प्रदेश में कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु नवीन उद्यानिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय प्रारंभ किए गए हैं। किसानों को आसानी से कृषि यंत्रों की सुविधा दिलाने हेतु 3 हजार 63 कृषि यंत्र सेवा केन्द्र की स्थापना की जा चुकी है।
13. प्रदेश में 5 लाख 91 हजार मीटरिक टन मछली का उत्पादन किया जा रहा है। अंतर्देशीय मछली उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ देश का छठवां बड़ा राज्य बन गया है। जलाशयों में केज कल्चर के द्वारा मछली पालन के क्षेत्र में राज्य अग्रणी है। प्रदेश के 30 जलाशयों में अब तक 4 हजार 21 केज लगाए गए हैं, जिनसे मछली पालकों को लगभग 80 हजार 1 लाख 20 हजार रुपए प्रति केज आय प्राप्त हो रही है।
14. कृषि उपज मंडी समिति बेमेतरा, साजा, उपमंडी धमधा एवं पाटन की उपमंडियों में एग्री प्लाजा बनाए जा रहे हैं। कृषकों को स्थानीय स्तर पर गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने के लिए जगदलपुर, कांकेर एवं धमतरी में कम्युनिटी सीड बैंक की स्थापना की गई है। तमाम प्रयास बताते हैं कि प्रदेश में किसानों व इससे जुड़े काम करने वाले ग्रामीणों का भविष्य उज्ज्वल हो गया है।
15 मेरी सरकार वनों के संरक्षण, संवर्धन के साथ ही इसके माध्यम से स्थानीय निवासियों को आजीविका के नए-नए साधन उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रही है। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक को 2500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा करने से 13 लाख संग्राहकों को प्रतिवर्ष लगभग 250 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हो रही है। प्रोत्साहन राशि के रूप में विगत तीन वर्षों में 340 करोड़ रुपए दिए गए हैं। लघु वनोपज से आजीविका मजबूत करने की दिशा में बड़ी सोच से काम लिया गया, जिससे 7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है। इनके प्रसंस्करण और विपणन हेतु भी अनेक उपाय किए गए हैं। 130 से अधिक उत्पादों का प्रसंस्करण कर ‘छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के नाम पर विक्रय किया जा रहा है।
16. प्रदेश में हरित आवरण की सुरक्षा के लिए विगत एक वर्ष में 1 करोड़ 35 लाख से अधिक पौधों का रोपण, 1 करोड़ 33 लाख से अधिक पौधों का वितरण तथा नदी तटों पर 15 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया जाना अपने आप में बड़ी पहल है। वृक्षारोपण के साथ आजीविका को जोड़ने हेतु ‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’ शुरू की गई है, जिससे किसानों की निजी भूमि पर वाणिज्यिक वृक्ष प्रजातियों का रोपण कराया जाएगा। कुल पांच वर्षो में 1 लाख 80 हजार एकड़ में 15 करोड पौधों के रोपण का लक्ष्य है, जिसके परिपक्व होने से हितग्राहियों को लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की आय प्राप्त होने की संभावना है।
17. कैम्पा मद से वन क्षेत्रों  6 हजार 395 नरवा एवं लगभग 23 लाख हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्र को उपचारित किया गया है। कैम्पा मद से 66 लाख 56 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन इसी वित्तीय वर्ष के 9 माह में किया जा चुका है, जो वन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वन्यप्राणियों के संरक्षण और उनके रहवास में सुधार की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। ‘हाथी-मानव संगवारी योजना’ से हाथियों के उत्पात से निजात मिलने की उम्मीद बढ़ी है। बाघ, मगरमच्छ, कृष्णमृग, पहाड़ी मैना, गिद्ध आदि के संरक्षण हेतु विशेष कार्ययोजनाएं संचालित की जा रही हैं।

18.  मेरी सरकार ने अनुसूचित जनजाति, अन्य परंपरागत वन निवासियों, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय के वैधानिक अधिकारों को लेकर विशेष संवेदनशीलता दिखाई है ताकि ऐसे सभी समाज सम्मान, स्वाभिमान और स्वावलंबन के साथ राज्य के विकास में भागीदार बन सकें। विगत 4 वर्षों में व्यक्तिगत तथा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्रों के वितरण में तेजी लाई गई तथा नगरीय क्षेत्र में वन अधिकार पत्र देने की शुरुआत भी की गई, जिसके कारण कुल वन अधिकार पत्रों की संख्या बढ़कर 5 लाख 15 हजार से अधिक हो गई तथा इसके तहत आवंटित भूमि 11 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर हो गई है। विशेष पिछड़ी जनजातियों को पर्यावास का अधिकार देने की शुरुआत भी धमतरी जिले की गई है।
19. मेरी सरकार ने लोहंडीगुड़ा में जमीन वापस करने के साथ यह संदेश दिया था कि आदिवासी समाज को उनकी परंपरा से जोड़े रखते हुए उनके आर्थिक स्वावलंबन की व्यवस्था की जाएगी। इस दिशा में तेजी से प्रगति करते हुए 50 से अधिक वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किए गए। फूडपार्कों की स्थापना के लिए मात्र चार वर्षों में 112 विकासखंडों में भूमि का चिन्हांकन और 52 विकासखंडों में भूमि हस्तांतरण किया जा चुका है। प्रदेश में 562 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां भी स्थापित
की जा चुकी हैं।

20. मेरी सरकार ने नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक बनाने के लिए एक ओर जहां देवगुड़ी तथा गोटुल के विकास हेतु आर्थिक सहायता दी है, ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ का आयोजन,  ‘विश्व आदिवासी दिवस’ पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा, ‘शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय तथा गिरौदपुरी धाम के विकास जैसी पहल की है, वहीं दूसरी ओर नए जमाने की शिक्षा से सक्षम बनाने के लिए ‘आदर्श छात्रावास योजना’, ‘एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना’, ‘शिष्यवृत्ति योजना’, ‘छात्र भोजन सहाय योजना’, ‘राजीव युवा उत्थान योजना’, ‘राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा योजना’, ‘जवाहर विद्यार्थी उत्कर्ष योजना’ जैसी योजनाओं के बेहतर संचालन की व्यवस्था की है और इनसे मिलने वाले लाभ को भी बढ़ाया है।
21. विभिन्न परंपरागत काम करने वाले समुदायों की आय वृद्धि हेतु समुचित पहल करने के लिए मंडलों का गठन किया है। वहीं ‘चिराग परियोजना’ के माध्यम से 14 आदिवासी बहुल जिलों में कृषि एवं इससे जुड़े अवसरों का लाभ स्थानीय लोगों को दिलाने का कार्य भी शुरू किया गया है।
22. पेसा कानून का लाभ आदिवासी समाज को न मिल पाना एक विडम्बना थी, जिसका समाधान करते हुए प्रदेश में पेसा कानून के लिए नियम बनाए गए। मेरी सरकार ने न्याय की अवधारणा को व्यापक विस्तार देते हुए जेल में बंद व अनावश्यक मुकदमेबाजी में उलझे आदिवासियों की रिहाई सुनिश्चित की। उनके आर्थिक, सामाजिक सशक्तीकरण के लिए उठाए गए कदमों से विश्वास का वातावरण बना, जिसके कारण दुर्गम अंचलों में भी सडक निर्माण, बिजली प्रदाय, स्वास्थ्य, शिक्षा, राशन, पानी, पोषण, रोजगार, ‘बस्तर फाइटर्स’ बल में भर्ती जैसे अनेक उपाय किए जा सके हैं। 13 वर्षों से बंद 300 स्कूलों का जीर्णोद्धार और पुनः संचालन संभव हुआ। यही वजह है कि बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि ‘विकासगढ़ के रूप में नई पहचान पा रहा है। इस तरह नक्सलवादी तत्वों को कमजोर करते हुए लोगों की अपने गांवों में वापसी सुनिश्चित की गई।
23. मेरी सरकार ने ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के अंतर्गत आर्थिक रूप से सर्वाधिक कमजोर तबकों ग्रामीण भूमिहीन खेतिहर मजदूर, चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी, पुरोहित जैसे पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक, अनुसूचित क्षेत्रों के बैगा, गुनिया, मांझी, पुजारी, हाट पहरिया, बाजा मुहारिया आदि को सालाना 7 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की पहल की है। विगत वर्षों में इन परिवारों को 326 करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी जा चुकी है।
24. प्रदेश के कुल 26 लाख 70 हजार 308 गरीब परिवारों की महिलाओं को 2 लाख 48 हजार 134 स्व-सहायता समूहों से जोड़ा गया है तथा गठित स्व-सहायता समूह को आवश्यक सहयोग करने हेतु कुल 13 हजार 954 ग्राम संगठन एवं 568 संकुल स्तरीय संगठन संचालित हैं।
25. विभिन्न तरह के कार्यों में लगे श्रमिकों के कल्याण हेतु मेरी सरकार द्वारा योजनाएं संचालित की जा रही हैं तथा पूर्व योजनाओं में सुधार करते हुए उससे जरूरतमंदों को अधिक लाभ दिलाने का काम भी किया जा रहा है। ‘मुख्यमंत्री श्रमिक सियान योजना’, ‘मुख्यमंत्री आधारभूत शिक्षण-प्रशिक्षण सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री नोनी – बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना’ तथा ‘निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग सहायता योजना’ इस प्रसंग में नए उदाहरण बने हैं।
26. प्रदेश की युवा शक्ति को संगठित करने, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं खेल गतिविधियां आयोजित कराने तथा सरकार की योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए अब तक 13 हजार 107 राजीव युवा मितान क्लबों का गठन किया जा चुका है। इन क्लबों से युवाओं को अपनी ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करने का उचित मंच तथा सुविधाएं मिली हैं।
27. मेरी सरकार के प्रयासों से प्रदेश में खेल अधोसंरचना के विकास में तेजी आई है और अब आवासीय तथा गैर आवासीय खेल अकादमियाँ  का संचालन किया जा रहा है। राज्य खेल प्रशिक्षण केन्द्र बहतराई – बिलासपुर में हॉकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स की आवासीय अकादमी संचालित है, जिसे भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा एक्सीलेंस सेंटर की मान्यता दी गई है। रायपुर में आवासीय तीरंदाजी अकादमी का संचालन किया जा रहा है। हॉकी, तीरंदाजी, फुटबॉल एवं एथलेटिक्स की गैर आवासीय खेल अकादमियां रायपुर में तथा तीरंदाजी प्रशिक्षण उपकेन्द्र शिवतराई-बिलासपुर में संचालित है।
28. भारत सरकार की ‘खेलो इंडिया योजना’ के तहत प्रदेश में 14 ‘खेलो इंडिया लघु केन्द्र’ की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इनमें शिवतराई -बिलासपुर, बीजापुर, राजनांदगांव, नारायणपुर, सरगुजा एवं जशपुर में लघु केन्द्र स्थापित कर, खेल प्रशिक्षण गतिविधियों का संचालन प्रारंभ किया जा चुका है।
29. प्रदेश में पहली बार पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक का आयोजन किया गया। इससे ग्राम, वार्ड से लेकर जिला/ संभाग और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं हुईं, जिनमें हर आयु, हर वर्ग के लोगों की उत्साहजनक भूमिका रही। युवाओं से लेकर बुजुर्ग माताओं तक की ऊर्जा देखने लायक थी। इससे खिलाड़ी भावना के साथ एकता और समरसता की भावना मजबूत हुई।
30. मेरी सरकार ने अधोसंरचना विकास के काम को आम जनता की सहूलियत से जोड़कर किया। यही वजह है कि प्रशासनिक अधोसंरचना के विस्तार और विकेन्द्रीकरण के लिए विगत 4 वर्षों में 6 नए जिले, 19 नए अनुविभाग और 83 नई तहसीलों का गठन किया गया।
31. सड़क अधोसंरचना के विकास हेतु बहुस्तरीय प्रयास किए गए। राज्य मद के अंतर्गत विगत वर्ष में 2 हजार 247 किलोमीटर सड़क कार्य पूर्ण किए गए। 41 वृहद पुल निर्माण पूर्ण किया गया तथा 159 वृहद पुल निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। 10 रेलवे ओव्हर ब्रिज तथा अण्डर ब्रिज के कार्य पूर्ण किए गए हैं। ‘जवाहर सेतु योजना’ के तहत अभी तक 36 पुल निर्माण के कार्य पूर्ण किए गए हैं तथा 56 पुलों के कार्य प्रगति पर हैं। छत्तीसगढ़ सड़क एवं अधोसंरचना विकास निगम द्वारा अभी तक 568 किलोमीटर लंबी 95 सड़कों तथा 3 पुलों के कार्य पूर्ण किए गए हैं।
32. एशियन डेव्हलपमेंट बैंक की तृतीय ऋण परियोजना अंतर्गत 826 किलोमीटर लंबी 3 हजार 370 करोड़ रुपए लागत की सड़कों का कार्य प्रगति पर है। ए.डी.बी. चतुर्थ ऋण परियोजना अंतर्गत 539 किलोमीटर लंबी सड़कों का चयन किया गया है।
33. केन्द्रीय सड़क निधि (सी.आर.एफ.) योजना के तहत 2 कार्य पूर्ण हुए एवं 16 कार्य प्रगति पर है। आर. सी. पी. एल. डब्ल्यू.ई. योजना के तहत 204 कार्य पूर्ण हुए एवं 102 कार्य प्रगति पर हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 42 किलोमीटर कॉरीडोर योजना अंतर्गत 14 किलोमीटर एवं एन.एच.डी.पी.  योजना में 6 किलोमीटर का कार्य पूर्ण किया गया है। इसी के साथ 11 पुल कार्य भी प्रगति पर हैं।
34. ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक 40 हजार 222 किलोमीटर लंबी 8 हजार 174 सड़कें तथा 349 बड़े पुलों का निर्माण किया जा चुका है। जिन सड़कों की संधारण अवधि 5 वर्ष हो चुकी है, वैसी 22 हजार 637 सड़कों की मरम्मत और 3 हजार 201 किलोमीटर सड़कों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। इसके अलावा जो सड़कें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के मापदण्ड में नहीं आतीं, उनके लिए ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना’ मेरी सरकार ने लागू की है, जिसके अंतर्गत 4 हजार 786 किलोमीटर लंबी 1 हजार 709 सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना’ के अंतर्गत भी 2 हजार 155 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूर्ण किया गया है।
35. छत्तीसगढ़ को सभी ओर से विमानन सेवाओं से जोड़ने के लिए मेरी सरकार ने गंभीरता से प्रयास किए, जिसके कारण जगदलपुर से विमान सेवाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं, साथ ही जगदलपुर को देश के बड़े शहरों जोड़ने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। बिलासपुर को तीन राज्यों से जोड़ा जा चुका है, और अब नाइट लैंडिंग की सुविधा विकसित की जा रही है। अम्बिकापुर, बैकुण्ठपुर और कोरबा में भी हवाई अड्डों का विकास किया जा रहा है।
36. प्रदेश की सिंचाई क्षमता में वृद्धि को मेरी सरकार ने प्राथमिकता प्रदान की है, जिसमें एक ओर परंपरागत उपायों को अपनाया गया है, वहीं दूसरी ओर जल संसाधन के विकास पर भी जोर दिया गया है यही वजह है कि प्रदेश में राज्य गठन के समय जो निर्मित सिंचाई क्षमता 13 लाख 28 हजार हेक्टेयर थी, वह अब बढ़कर 21 लाख 49 हजार हेक्टेयर हो गई है। सिंचाई का रकबा 38.79 प्रतिशत हो गया है। यह प्रसन्नता का विषय है कि बेहतर प्रबंधन से विगत वर्ष में जो खरीफ सिंचाई 12 लाख 86 हजार हेक्टेयर में की गई थी, वह इस वर्ष बढ़कर 13 लाख 5 हजार हेक्टेयर हो गई है, अर्थात एक वर्ष में वास्तविक सिंचाई क्षमता में 19 हजार हेक्टेयर की वृद्धि अपने आप में उत्साहजनक  है ।
37. मेरी सरकार ने विभिन्न जरूरतों के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 1 अप्रैल 2019 की स्थिति में प्रदेश में मात्र 3 लाख 85 हजार घरेलू नल कनेक्शन थे, जो अब बढ़कर 18 लाख से अधिक हो गए हैं। सभी बसाहटों में कम से कम एक स्रोत के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। 2 लाख 61 हजार से अधिक हैण्डपम्प के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। 45 हजार 844 ग्रामीण शालाओं, 41 हजार 661 आंगनवाड़ी केन्द्रों, 4 हजार 551 ग्रामीण नल जल योजनाओं, 2 हजार 128 ग्रामीण स्थल जल प्रदाय योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण अंचलों में शुद्ध पेयजल दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण जन-जीवन बहुत हद तक आसान हुआ है। वन अंचलों तथा कुछ मैदानी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था की गई है, जिससे 1 लाख 91 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों को राहत मिली है। 133 शहरी जल प्रदाय योजनाएं पूर्ण कर संचालित हैं तथा ऐसी 32 परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है।
38. पेयजल की शुद्धता और इसके बारे में जागरुकता बनाए रखने के लिए ‘जल बहिनी’ तथा ‘जल मितान’ के नाम से महिलाओं और युवाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। आर्सेनिक,  खारे पानी और फ्लोराइड की समस्या से प्रभावित 201 गांवों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं।
39. मेरी सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए हर संभव उपाय किए हैं, जिसके कारण छत्तीसगढ़, देश में बेरोजगारी दर न्यूनतम स्तर पर है।
40. निर्माण कार्यों में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें रोजगार प्रदान करने के लिए मेरी सरकार ने ‘ई- श्रेणी’ में पंजीयन की योजना लागू की है, जिसमें 20 लाख रुपए तक के कार्य आवंटित किए जा रहे हैं, 6 हजार से अधिक बेरोजगारों का पंजीयन कर, 337 करोड रुपए के कार्य आवंटित किए गए हैं।
41. छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग एवं व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में राज्य के स्थानीय प्रतिभागियों का परीक्षा शुल्क माफ किया गया है। इससे अधिक संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए हैं।
42. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किए जाने वाले प्रशासनिक नवाचारों तथा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु समय-समय पर राज्य शासन को सुझाव देने के उद्देश्य से ‘नवाचार  आयोग का गठन किया गया है। इससे छत्तीसगढ़ में नवाचार को बढ़ावा देने एवं पूर्व से राज्य में प्रचलित नवाचार की प्रथाओं में निरंतरता बनाए रखने से कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन होगा।
43. मेरी सरकार आदिम जाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को शासकीय सेवा व व्यावसायिक पाठ्यक्रम में विधि अनुसार आरक्षण का लाभ देने हेतु कटिबद्ध है। इसी अनुक्रम में राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ लोक सेवाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण हेतु छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 एवं छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 सर्वसम्मति से विधानसभा में पारित किया गया है, जो अभी अनुमति हेतु विचाराधीन है।