अहमदाबाद – गुजरात हाईकोर्ट के आणंद कोर्ट ने 9 जजों के बिना शर्त माफी मांगने पर उन्हें अवमानना के मामले में राहत दी है। हाईकोर्ट इन जजों से कहा कि वे भविष्य में सिविल मामलों को दाखिल करने के संबंध में हाईकोर्ट और उच्च कोर्ट के महत्वपूर्ण अवलोकनों और निर्देशों का पालन करें। जमीन के विवाद में आणंद कोर्ट की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसमें 9 जजों को पार्टी बनाया गया था।
1977 का केस बना मुश्किल
यह पूरा मामला 1977 में सामने आए एक जमीन के विवाद से जुड़ा हुआ है। इस मामले में हाईकोर्ट ने आणंद कोर्ट निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने 31 दिसंबर, 2005 की समय सीमा भी तय की थी, जब आणंद कोर्ट की तरफ इस मामले को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई तो 88 साल याचिकाकर्ता ने गुजरात हाईकोर्ट की शरण ली। इसमें उन्होंने मामले में 17 साल से फिर केस लंबित रहने का तथ्य हाईकोर्ट के समक्ष रखा और 9 जजों को इसमें पार्टी बनाया। इसके बाद हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए सर्कुलर जारी किया। इसमें हाईकोर्ट ने कहा कि उसके स्टे के फैसले हों, निर्देश हों या फिर कोई निर्धारित की गई समय सीमा। निचली अदालत की कार्यवाही में दर्ज किया जाए। अगर किसी स्थिति में हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हो पा रहा है तो अतरिक्त समय की मांग कर सकते हैं।
दीवानी के केसों पर दें ध्यान
जजों ने हाईकोर्ट के सर्कुलर के बाद जब बिना शर्त माफी मांगी और भूल स्वीकार की तो फिर गुजरात हाईकोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई की रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि भविष्य में निचली अदालतों को आपराधिक मामलों के साथ दीवानी मामलों पर भी ध्यान देना चाहिए। जजों की माफी और हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब इस 40 साल पुराने मामले के शीघ्र निस्तारण की उम्मीद जगी है। 40 साल पुराने जमीन-जायदाद के मामले के हल के लिए आणंद के एक बुजुर्ग सालों से भटक रहे हैं। अब उनकी उम्र 88 साल से अधिक हो चुकी है।