नई दिल्ली – कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार, न्यायपालिका पर ‘कब्जा करने के इरादे’ से उसे ‘धमका’ रही है. पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि कानून मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा कॉलेजियम प्रणाली के पुनर्गठन के लिए लिखा गया पत्र न्यायपालिका के लिए ‘विष की गोली’ है.
पार्टी ने यह आरोप रिजीजू द्वारा प्रधान न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र के मद्देनजर लगाया, जिसमें उन्होंने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है. रिजीजू ने प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग करते हुए कहा कि इससे न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारर्दिशता और जनता के प्रति जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘उपराष्ट्रपति ने हमला बोला. कानून मंत्री ने हमला किया. यह न्यायपालिका के साथ सुनियोजित टकराव है, ताकि उसे धमकाया जा सके और उसके बाद उसपर पूरी तरह से कब्जा किया जा सके.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कॉलेजियम में सुधार की जरूरत है, लेकिन यह सरकार उसे पूरी तरह से अधीन करना चाहती है. यह उपचार न्यायपालिका के लिए विष की गोली है.’’ भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को लिखे पत्र को सही ठहराते हुए रिजीजू ने ट्वीट किया, ‘‘ सीजेआई को लिखे गए पत्र की सामग्री उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ की टिप्पणी और निर्देश के अनुरूप है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘सुविधा की राजनीति सही नहीं है, खासतौर पर न्यायपालिका के नाम पर. भारत का संविधान सर्वोच्च है और उससे ऊपर कोई नहीं है.’’ रिजीजू ने कहा कि सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसी) को रद्द करने के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है.
रिजीजू ने यह टिप्पणी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए की. केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से कॉलेजियम में अपने प्रतिनिधियों को शामिल करने की उच्चतम न्यायालय से की गई मांग को ‘‘बेहद खतरनाक’’ करार दिया है.
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे उम्मीद है कि आप अदालत के निर्देश का सम्मान करेंगे. यह उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द किए जाने के दौरान दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है. उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली के प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) में संशोधन करने का निर्देश दिया था.’’ इससे पहले, केजरीवाल ने ट्वीट किया था, ‘‘यह बहुत ही खतरनाक है. न्यायिक नियुक्तियों में सरकार का निश्चित तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.’’
उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में रिजीजू ने कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली संविधान से ‘‘बिलकुल अलग व्यवस्था’’ है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी दावा किया था कि न्यायपालिका, विधायिका की शक्तियों में अतिक्रमण कर रही है.
सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा, ‘‘किरेन रिजीजू जी उच्चतम न्यायालय के एनजेएसी फैसले के कैसे अनुरूप है. कॉलेजियम प्रणाली को लेकर कुछ अंर्तिनहित मुद्दे हैं, लेकिन देश में भावना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए. हम पुर्निवचार का अनुरोध करते हैं.’’
‘‘डिसअपीयंिरग आजाद पार्टी’’ के और नेता कांग्रेस में लौटेंगे: जयराम रमेश
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि गुलाम नबी आजाद की ‘‘डिसअपीयंिरग (गायब हो रही) आजाद पार्टी’’ से और नेता मंगलवार को कांग्रेस में वापस आएंगे. जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद और जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के पूर्व प्रमुख पीरजादा मोहम्मद सईद सहित 17 नेता इस महीने की शुरुआत में आजाद की ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ (डीएपी) को छोड़कर कांग्रेस में पुन: शामिल हो गए थे.
कांग्रेस ने इन नेताओं का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा था कि ये सभी नेता कांग्रेस छोड़कर नहीं गए थे, ‘‘बल्कि ये दो महीने के अवकाश पर थे.’’ रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘डीएपी – ‘डिसअपियंिरग (गायब हो रही) आजाद पार्टी’ के और नेता अवकाश समाप्त कर उस जगह लौटेंगे, जिससे उनका नाता है.’’ उन्होंने कहा कि जम्मू से समाचार मिलने की उम्मीद कीजिए, जहां 19 जनवरी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का स्वागत किया जाएगा.
मुट्ठी भर लोगों के लिए काम कर रही सरकार, अमीरों पर कर लगाने की सलाह नहीं सुनेगी : कांग्रेस
कांग्रेस ने सोमवार को अधिकार समूह आॅक्सफैम की नवीनतम असमानता रिपोर्ट जारी होने के बाद कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार केवल ‘मुट्ठी भर लोगों’ के लिए काम कर रही है और सबसे अमीर 21 भारतीयों के पास देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा संपत्ति है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी दावा किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भारत के अमीरों पर संपत्ति कर लगाने का आॅक्सफैम का सुझाव अनसुना कर दिया जाएगा.
रमेश ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘सबसे अमीर 21 भारतीय अरबपतियों के पास 70 करोड़ भारतीयों की तुलना में अधिक संपत्ति है. भारत के शीर्ष एक प्रतिशत के पास अब कुल संपत्ति का 40.5 प्रतिशत हिस्सा है. कोविड-19 के प्रकोप के बाद से भारत के अरबपतियों की संपत्ति में 121 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह सरकार की वजह से है, जो मुट्ठी भर लोगों के लिए काम करती है.’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘आॅक्सफैम इंडिया ने वित्त मंत्री से अमीरों पर संपत्ति कर लगाने का आग्रह किया है. उसका सुझाव निश्चित रूप से अनसुना कर दिया जाएगा.’’ आॅक्सफैम की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत के पास अब देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, जबकि नीचे की आधी आबादी के पास केवल तीन प्रतिशत संपत्ति है.
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के पहले दिन सोमवार को दिल्ली में अपनी वार्षिक असमानता रिपोर्ट में आॅक्सफैम इंटरनेशनल ने यह जानकारी दी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के दस सबसे धनी लोगों पर पांच प्रतिशत कर लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए पूरा धन मिल सकता है.
इसमें कहा गया है, ‘‘सिर्फ एक अरबपति गौतम अडानी को 2017-2021 के बीच मिले अवास्तविक लाभ पर एकमुश्त कर लगाकर 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं, जो भारतीय प्राथमिक विद्यालयों के लिए 50 लाख से अधिक शिक्षकों को एक साल के लिए नियुक्त करने के वास्ते पर्याप्त हैं.’’ ‘सबसे धनी की उत्तरजीविता’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अगर भारत के अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर दो फीसदी की दर से एकमुश्त कर लगाया जाए, तो इससे देश में अगले तीन साल तक कुपोषित लोगों के पोषण के लिए 40,423 करोड़ रुपये की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा.