नई दिल्ली / रायपुर – छत्तीसगढ़ कोटे से राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय प्रधानमंत्री की नई कैबिनेट का हिस्सा हो सकती हैं. नरेंद्र मोदी की टीम में छत्तीसगढ़ कोटे से जिन सांसदों का नाम सामने आ रहा है, उनमें सरोज पांडेय सबसे आगे बताई जा रही हैं. हालांकि, अब तक इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. भाजपा की कद्दावर नेता और राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सरोज पांडेय राज्यसभा के लिए एक साल पहले निर्वाचित हुईं. डॉ. सरोज पांडेय ने सीधे मुकाबले में कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू को हराया था.
अक्टूबर 2017 में सरोज पांडेय को राष्ट्रीय स्तर पर तब और चर्चा मिली थी, जब केरल में आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों के मामले उन्होंने एक बयान दिया था. बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडेय ने कहा कि अगर अब हमारे कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह से आंख दिखाने की कोशिश की गई, तो हम घर में घुसकर उनकी आंखें निकाल लेंगे. इस बयान पर विरोधियों ने निशाना भी साधा, लेकिन सरोज पांडेय राष्ट्रीय मीडिया के सुर्खियों में आ गईं.
दर्ज है ये रिकॉर्ड
छात्र राजनीति से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाली सरोज पांडेय के सिर राजनीति के कई अनोखे रिकॉर्ड के ताज हैं. राजनीति में फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाली डॉ. सरोज पांडेय एक साथ महापौर, विधायक और सांसद रहकर विश्व रिकॉर्ड बना चुकी हैं. सरोज का ये रिकॉर्ड गिनिज और लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है. डॉ. सरोज पांडेय संभवत: छत्तीसगढ़ की ऐसी पहली नेता हैं, जो अपने राजनीतिक कॅरियर में छात्रसंघ अध्यक्ष, महापौर, विधायक, लोकसभा सांसद और राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुई हैं. इसके अलावा दुर्ग में महापौर रहते लगातार दस साल के कार्यकाल में बेस्ट मेयर का अवार्ड भी सरोज पांडेय को मिल चुका है.
लगातार दो बार भाजपा से महापौर का चुनाव जीतने के बाद सरोज को साल 2008 में भिलाई के वैशाली नगर सीट से विधानसभा का भाजपा प्रत्याशी बनाया गया. इस चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रत्याशी कांग्रेस के बृजमोहन सिंह को 15 हजार से अधिक वोटों से हराया.
ऐसे बढ़ा राजनीतिक कद
साल 2009 के आम चुनाव में विधायक और महापौर सरोज को भाजपा दुर्ग की लोकसभा सीट का उम्मीदवार घोषित कर दिया. सरोज का सीधा मुकाबला भाजपा से ही अलग होकर लगातार तीन बार से लोकसभा सांसद रहे ताराचंद साहू था. सरोज ने लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल की. इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में भी उनका कद बढ़ता गया. सांसद रहते ही सरोज को भाजपा की राष्ट्रीय महिला मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया.
…तो मिली बड़ी जिम्मेदारी
हालांकि साल 2014 के आम चुनाव में सरोज को हार का सामना करना पड़ा. देश भर में नरेन्द्र मोदी लहर होने के बाद भी छत्तीसगढ़ से सरोज ही इकलौती भाजपा प्रत्याशी थीं, जिनकी हार हुई थी. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में सरोज की आलोचना हुई और कहा जाने लगा कि इनका कॅरियर अब समाप्त है, लेकिन इसके बाद भी भाजपा ने उन्हें महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी जिम्मेदारी दी और वे उसमें सफल हुईं. इसके बाद केन्द्रीय स्तर पर उनकी पकड़ और मजबूत होती गई.