रायपुर – स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है। विवेकानंद जी की जयंती को देश युवा दिवस के तौर पर मनाता है। स्वामी विवेकानंद का नाम इतिहास में एक ऐसे विद्वान के रूप में दर्ज है, जिन्होंने मानवता की सेवा को अपना सर्वोपरि धर्म माना। अमेरिका के शिकागो में धर्मसभा में अपने धाराप्रवाह भाषण से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आए भारतीय संन्यासी स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को बंगाल में हुआ था। स्वामी विवेकानंद अपने ओजपूर्ण और बेबाक भाषणों के कारण काफी लोकप्रिय हुए।
स्वामी विवेकानंद का नाता छत्तीसगढ़ से भी रहा है। उन्होंने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण वर्ष छत्तीसगढ़ की धरा पर बिताए हैं। स्वामी विवेकानंद 1877 में अपने पिता के साथ राजधानी रायपुर आए हुए थे। दरअसल, स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त रायपुर में काम करते थे। उनके यहां रहने के दौरान 1877 में 14 साल के नरेंद्र नाथ दत्त भी रायपुर आए। उनके साथ उनकी मां भुवनेश्वरी देवी, उनके छोटे भाई महेंद्र नाथ दत्त और बहन जोगेंद्र बाला भी थीं। विश्वनाथ दत्त का परिवार इसी डे-भवन नाम की इमारत में 1879 तक रहा। इस दौरान उन्होंने पिता से खाना बनाना सीखा। संगीत शिक्षा, सतरंज और तैराकी भी यहीं से शुरू हुई। नरेंद्र यहां के बूढ़ातालाब में नहाने जाते रहे। अब इस तालाब को विवेकानंद सरोवर कहा जाने लगा है। बाद में यह परिवार कोलकाता चला गया।
स्वामी विवेकानंद ही बचपन में राजधानी की मालवीय रोड से बूढ़ा तालाब की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित डे भवन में ही दिन-रात बिताया और पढ़ाई की। इतिहासकारों की मानें तो इस मकान में आज भी उनकी उपयोग की गई वस्तुएं सुरक्षित हैं। इस कमरे में जब वे आए थे, तबसे यहां लकड़ी का पाटा, कुर्सी और एक मिरर रखा हुआ है। लकड़ी के पाटे पर ही स्वामीजी विश्राम करते थे। ये तीनों चीजें आज भी उसी स्थिति में है।