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आरक्षण संशोधन विधेयक से संतुष्ट नहीं हुईं राज्यपाल तो राष्ट्रपति को भेज सकती हैं विधेयक, कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने

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रायपुर – राज्य विधानसभा से तीन दिसंबर को पारित आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 पर राज्यपाल अनुसुईया उइके की मुहर लगना अभी बाकी है। जानकारों के अनुसार राज्यपाल के पास संवैधानिक अधिकार है। वह चाहें तो इस विधेयक को स्वीकृत, अस्वीकृत अथवा राष्ट्रपति को विचार के लिए भेज सकती हैं। बताया जा रहा है कि राजभवन नए आरक्षण के संशोधन विधेयक पर विधि विशेषज्ञों से रायशुमारी करने में व्यस्त है। ऐसे में आरक्षण संशोधन विधेयक पर कब तक हस्ताक्षर होगा, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
दूसरी ओर आरक्षण संशोधन विधेयक में हो रही देरी को लेकर प्रदेश में कांग्रेस-भाजपा दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने एक बार फिर राजनीति तेज कर दी है। भाजपा जहां कांग्रेस पर आरक्षण के मामले में निम्न स्तरीय राजनीति करने और राज्य के संवैधानिक प्रमुख राजभवन को निशाने पर लेते हुए अनावश्यक भ्रम फैलाने का आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस ने राज्यपाल से आरक्षण संशोधन विधेयकों पर अविलंब हस्ताक्षर करने का आग्रह किया है। साथ ही भाजपा के बयानों पर प्रश्न उठाया है कि भाजपा नेता राज्यपाल से हस्ताक्षर के लिए कब अनुरोध करेंगे?
 दूसरी ओर आरक्षण संशोधन विधेयक में हो रही देरी को लेकर प्रदेश में कांग्रेस-भाजपा दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने एक बार फिर राजनीति तेज कर दी है। भाजपा जहां कांग्रेस पर आरक्षण के मामले में निम्न स्तरीय राजनीति करने और राज्य के संवैधानिक प्रमुख राजभवन को निशाने पर लेते हुए अनावश्यक भ्रम फैलाने का आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस ने राज्यपाल से आरक्षण संशोधन विधेयकों पर अविलंब हस्ताक्षर करने का आग्रह किया है। साथ ही भाजपा के बयानों पर प्रश्न उठाया है कि भाजपा नेता राज्यपाल से हस्ताक्षर के लिए कब अनुरोध करेंगे?