Home देश राज्यसभा में पेश किया गया यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल – विपक्ष ने...

राज्यसभा में पेश किया गया यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल – विपक्ष ने किया कड़ा विरोध

28
0

नई दिल्ली – राज्यसभा में शुक्रवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड के संबंध में बीजेपी के एक सदस्य द्वारा लाए गए प्राइवेट बिल पेश किया गया। इस बिल को विपक्ष के भारी विरोध व हंगामे के बीच पेश किया गया। उच्च सदन में गैर सरकारी कामकाज शुरू होने पर सबसे पहले बीजेपी के किरोड़ीमल मीणा ने भारत में एक समान नागरिक संहिता विधेयक, 2020 पेश किया। एमडीएमके के वाइको सहित विभिन्न विपक्षी सदस्यों ने इस बिल को संविधान विरूद्ध करार देते हुए भारी विरोध किया।

‘जब बिल को सदन में चर्चा के लिए रखा जाएगा,तब रखूंगा अपनी बात’

विपक्षी दलों ने सभापति जगदीप धनखड़ से इस बिल को सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया। सभापति ने मीणा को इस विधेयक के बारे में बोलने का अवसर दिया। लेकिन बीजेपी मेंबर ने कहा कि जब इस बिल को सदन में चर्चा के लिए लिया जाएगा, तब वह अपनी बात रखेंगे। इसके बाद सभापति ने विपक्षी सदस्यों को एक-एक कर अपनी बात रखने का मौका दिया। वाइको, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, आईयूएमएल के अब्दुल वहाब, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलामरम करीम, वी शिवदासन, डॉ जान ब्रिटास, ए ए रहीम, विकास रंजन भट्टाचार्य, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संतोष कुमार पी, DMK के तिरुचि शिवा, कांग्रेस के एल हनुमंथैया, जे बी हीशम एवं इमरान प्रतापगढ़ी, तृणमूल के जवाहर सरकार, RJD के मनोज कुमार झा एवं NCP की फौजिया खान ने इस बिल का विरोध किया।

‘इस बिल से देश की विविधता की संस्कृति को नुकसान पहुंचेगा’

विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को संविधान के विरूद्ध बताते हुए कहा कि इससे देश की विविधता की संस्कृति को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि इससे देश के सामाजिक तानेबाने को नुकसान पहुंचने की आशंका है। उन्होंने बीजेपी सदस्य मीणा से यह बिल वापस लेने का आग्रह किया। कुछ विपक्षी सदस्यों का कहना था कि इस प्रकार के कानून को देश की न्यायपालिका द्वारा खारिज कर दिया जाएगा। सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर सहित संविधान निर्माताओं ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के विषय को नीति निर्देशक सिद्धान्तों में रखा था।

सदन में 63 वोटों से मिली अनुमति

बीजेपी नेता ने कहा कि सदन के हर सदस्य को संविधान से जुड़े विषय पर बिल लाने का अधिकार है और उसके इस अधिकार पर सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता। बाद में इस बिल पर विपक्षी सदस्यों की मांग पर वोटिंग करवाई गई। इसमें सदन ने 63 वोट से इस विधेयक को पेश करने की अनुमति प्रदान कर दी, जबकि विपक्ष में 23 मत पड़े। मीणा द्वारा पेश प्राइवेट बिल में संपूर्ण भारत के लिए एकसमान नागरिक संहिता तैयार करने और इसके क्रियान्वयन के लिए एक National Inspection & Investigation Commission गठित करने का प्रोविजन है।