स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि यह गंभीर मामला है। किन परिस्थितियों में बच्चों की मौत हुई, इसकी जांच की जाएगी। जांच स्वास्थ्य सचिव आर. प्रसन्ना करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने किन परिस्थितियों में बच्चों की मौत हुई, इसकी जानकारी भी मांगी है।
अंबिकापुर – सरगुजा मेडिकल कॉलेज के एसएनसीआईयू की रविवार देर रात दो घंटे तक बिजली बंद रही। इसके चलते वहां भर्ती चार बच्चों की मौत हो गई है। मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जांच के आदेश दे दिए हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन आधा घंटे भी बिजली गुल होने की बात से इनकार कर रहा है।
एसएनसीयू में 46 बच्चे भर्ती थे
जानकारी के मुताबिक, सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर स्थित राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कालेज के एमसीएच में एसएनसीयू वार्ड है। यहां पर घटना के समय 46 नवजात भर्ती थे। इनमें से ज्यादातर बच्चों को वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस दौरान देर रात करीब दो घंटे के लिए बिजली गुल हो गई। इसके चलते वहां लगे वेंटिलेटर और अन्य मशीनें बंद हो गईं। आक्सीजन सप्लाई भी प्रभावित हुई।
मेन लाइन चालू करने बैकअप भी बंद किया
बैकअप लाइन से सप्लाई की जा रही थी, लेकिन मेन लाइन को चलाने के लिए उसे भी बंद कर दिया गया। फॉल्ट होने के कारण मेन लाइन से बिजली नहीं आई और बैकअप भी बंद था। इस दौरान चार बच्चों ने दम तोड़ दिया। वहीं अन्य बच्चों की हालत भी खराब हो गई। हालांकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जिन चार बच्चों की मौत हुई है, उनमें दो की हालत पहले से ठीक नहीं थी। बच्चों की मौत की जानकारी भी सुबह परिजनों को दी गई।
परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप
वहीं घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया। थोड़ी ही देर में कलेक्टर कुंदर कुमार, एसपी भावना गुप्ता, मेडिकल कालेज के डीन डा. आर. मूर्ति सहित प्रशासनिक अमला व स्वास्थ्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए। अधिकारियों ने एसएनसीयू वार्ड का निरीक्षण किया। अधिकारियों के सामने मृत बच्चों के परिजन बिलखते रहे और अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। अस्पताल अधीक्षक डा. लखन सिंह भी बाहर हैं, जानकारी मिलने पर रवाना हुए हैं।
अस्पताल प्रबंधन का दावा- आधे घंटे भी नहीं गई बिजली
मेडिकल कालेज अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया है कि बिजली आधे घंटे के लिए भी नहीं गई। मेन लाइन के बंद होने के बाद इलेक्ट्रीशियन ने लाइन को चालू करने के लिए बैकअप लाइन बंद कर बिजली सप्लाई शुरू करने की कोशिश की। इस दौरान फाल्ट आ गया। दो बच्चों की हालत गंभीर थी, उनकी मौत सामान्य है। वहीं परिजनों ने इससे इनकार किया है। उनका कहना है कि वेंटिलेटर बंद होने और ऑक्सीजन सप्लाई प्रभावित होने से मौत हुई है।
स्वास्थ्यमंत्री ने दिया जांच का आदेश
सरगुजा स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का गृहजिला है। यहीं से वे विधायक भी हैं। स्वास्थ्य सचिव आर.प्रसन्ना रायपुर से वहां पहुंच रहे हैँ। सिंहदेव ने जांच का आदेश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि यह गंभीर मामला है। किन परिस्थितियों में बच्चों की मौत हुई, इसकी जांच की जाएगी। जांच स्वास्थ्य सचिव आर. प्रसन्ना करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने किन परिस्थितियों में बच्चों की मौत हुई, इसकी जानकारी भी मांगी है।
कलेक्टर ने कहा-बंद नहीं हुई मशीनें
मामले की सूचना मिलने पर मेडिकल कालेज पहुंचे कलेक्टर कुंदन कुमार ने वार्ड का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों से करीब एक घंटे तक चर्चा की। कलेक्टर ने कहा कि लाइन के फ्लक्चुएशन से मशीनें बंद नहीं हुई थीं। वेंटीलेटर पर छह बच्चे थे, जिनमें दो बच्चों की मौत हुई है। गंभीर बच्चों को ही वेंटीलेटर में रखा जाता है। चार अन्य बच्चों में दो ही स्थिति गंभीर है। दो अन्य बच्चों की मौत हुई है, लेकिन इसमें बिजली गुल होने का कारण नहीं है। बेकअप लाइट से मशीनें चल रही थीं।
स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य सचिव अंबिकापुर के लिए रवाना
मेडिकल कालेज हास्पीटल में चार बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जांच का आदेश दे दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अंबिकापुर आने के लिए चापर मांगा था। जिसे उपलब्ध करा दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव व स्वास्थ्य सचिव आर. प्रसन्ना अंबिकापुर के लिए दोपहर करीब पौने दो बजे रवाना हो गए हैं। वे अस्पताल पहुंचकर बच्चों की मौत मामले की जांच करेंगे।
एक वर्ष पहले भी हुई थी चार बच्चों की मौत
मेडिकल कालेज अस्पताल अंबिकापुर में एक वर्ष पूर्व भी चार बच्चों की मौत तीन घंटों के भीतर हो गई थी। इसे लेकर परिजनों ने हंगामा कर दिया था। इनमें तीन बच्चां का जन्म मेडिकल कालेज अस्पताल में हुआ था। इन बच्चों की आयु दो दिन से 36 दिन की थी। इससे आक्रोशित परिजनों ने मेडिकल कालेज के सामने हंगामा करते हुए चक्काजाम कर दिया था। इस मामले को लेकर भी स्वास्थ्य अमला कटघरे में आ गया था।