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दो माह में दूसरी बार छत्तीसगढ़ पहुंच रहे संघ प्रमुख, तेज होगी हिंदुत्व और धर्मांतरण की मुहिम

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भागवत 14 नवंबर को जशपुर और 15 नवंबर को अंबिकापुर में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होंगे। वे 14 नवंबर को जशपुर में भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसके बाद 15 नवंबर को अंबिकापुर में संघ के बड़े कार्यक्रम में शामिल होंगे…

रायपुर – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन राव भागवत नवंबर में फिर छत्तीसगढ़ जाएंगे। भागवत 14 नवंबर को जशपुर और 15 नवंबर को अंबिकापुर में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होंगे। वे 14 नवंबर को जशपुर में भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसके बाद 15 नवंबर को अंबिकापुर में संघ के बड़े कार्यक्रम में शामिल होंगे। यहां बड़ी तादाद में प्रदेशभर के स्वयं सेवक जुटेंगे। इससे पहले सितंबर माह में करीब सप्ताह भर रायपुर में ही रहकर भागवत ने संघ और उससे जुड़े संगठनों के साथ बैठक की थी।

करीब नौ सालों से छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण अटका हुआ है। 14 नवंबर को जशपुर में भागवत इसका अनावरण करेंगे। जूदेव परिवार भाजपा से जुड़ा है और पूरे इलाके में इनका प्रभाव माना जाता है। दिलीप सिंह इस इलाके में आदिवासियों की घर वापसी (क्रिश्चन बने आदिवासियों को हिंदू धर्म में वापसी) के लिए जाने जाते हैं। अब उनके बेटे प्रबल प्रताप इस इलाके में यही काम कर रहे हैं। संघ भी पूरी तरह से घर वापसी के कार्यक्रमों का समर्थन करता रहा है। ऐसे में जशपुर जैसे आदिवासी इलाके में भागवत का ये दौरा हिंदुत्व और धर्मांतरण की मुहिम को जोर दे सकता है। जिसका जाहिर तौर पर असर आगामी चुनावों के लिहाज से सियासी होगा।

पिछले साल केंद्र सरकार ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती पर आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के एक भाग के रूप में 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के समारोह के रूप में मनाने की स्वीकृति दी थी। संघ हमेशा से आदिवासी इलाकों में धर्म, संस्कृति और सेवा के कामों को लेकर एक्टिव रहा है। 15 नवंबर के दिन संघ प्रमुख अंबिकापुर में रहेंगे। वे यहां एक संघ के बडे कार्यक्रम में शामिल भी होंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में आए थे। तब उन्होंने अपने भाषण में धर्मांतरण के संबंध में बात कही थी। मंच से अपनी बातें रखते हुए इशारों-इशारों में भागवत धर्म परिवर्तन करने वालों को भी चेतावनी दे गए थे। अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा था, दुनिया के कई देश मानते हैं कि हम एक से होंगे, तब एक होंगे। वो मानते हैं कि विविध होंगे तो हम अलग हो जाएंगे। मगर एक सा होने की जरूरत नहीं है, हमारी कई भाषाएं हैं, प्रांत हैं, जाति-उपजाति सभी की विशेषता है। यह सभी एक सुंदर देश बनाती हैं। एक देश को पूर्ण करती हैं। हमें संपूर्ण दुनिया को बताना है कि संतुलन के साथ चलना और विविधता का सम्मान करना हमारी विशेषता है। किसी को बदलने की चेष्टा मत करो, सभी का सम्मान करो, विविधता के साथ चलो। हमारे पूर्वज कई देशों की यात्रा पर गए मगर कभी किसी पर अपनी पूजा नहीं थोपी।