नई दिल्ली – मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार आज संभाल लिया। 24 साल बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष मिला है। एक के बाद एक चुनावों में मिल रही हार और लगातार घटते जनाधार के बीच अध्यक्ष बने खरगे के आगे कई चुनौतियां हैं।
अब ये देखना होगा कि खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा? कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालते ही खरगे ने अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि अगर खरगे इसमें सफल हुए तो कांग्रेस में नई जान आ सकती है। आइए जानते हैं खरगे की रणनीति और उसपर कैसे वो काम कर रहे हैं?

खरगे की रणनीति
कांग्रेस नेता कहते हैं, ‘राहुल गांधी से इतर मल्लिकार्जुन खरगे नए मिशन की तरफ आगे बढ़ेंगे। दक्षिण भारत के दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले खरगे देशभर में दलितों, पिछड़ों, गरीबों, किसानों, अल्पसंख्यकों की लड़ाई लड़ेंगे।’ कांग्रेस नेता के अनुसार, खरगे इस दौरान दो वर्ग को खासतौर पर पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे।


अगले दो साल में मल्लिकार्जुन खरगे के सामने 19 राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव की बड़ी चुनौती होगी। इनमें वो राजस्थान भी है, जहां अभी कांग्रेस की सरकार है। इस सरकार को बचाने की चुनौती भी खरगे के कंधों पर होगी। इसके साथ-साथ खरगे के गृह राज्य कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव होना है। ये चुनाव कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। इन्हीं चुनावों के जरिए खरगे की परफॉरमेंस का आंकलन होगा। इसी से पार्टी और पार्टी के बाहर उनकी काबिलियत परखी जाएगी।

मल्लिकार्जुन खरगे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। पिता मपन्ना खरगे और मां का नाम सबावा था। खरगे ने कर्नाटक के गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद यहां सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। खरगे की रुचि शुरू से ही राजनीति में रही। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह छात्रों के मुद्दों को लेकर संघर्ष किया करते थे। इसी के कारण वह यहां स्टूडेंट यूनियन के महासचिव भी चुने गए थे।


1969 में ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गुलबर्गा कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक बने। खरगे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2008 तक वह इस पद पर बने रहे। 2009 में पहली बार सांसद चुने गए।
खरगे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। साल 2014 में खरगे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तो खरगे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।अमर उजाला