प.अरविन्द मिश्रा रायपुर – भाई दूज तिथि ठीक गोवर्धन पूजा के अगले पड़ती है.हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि पर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस साल भाई दूज की तारीख को लेकर लोग कन्फ्यूज हैं. कुछ का लोगों का मनाना है कि गोवर्धन पूजा के साथ ही 26 अक्टूबर को ही इस बार भाई दूज भी मनाया जायेगा वहीं कुछ का मानना है कि उदया तिथि के अनुसार 27 अक्टूबर को भाई दूज मनाया जायेगा. हिंदू धर्म में रक्षाबंधन की तरह की भाईदूज का त्योहार भी विशेष महत्व होता है. इसमें भाई का मतलब भईया और दूज का मतलब द्वितीया तिथि से है. इस लिए द्वितीया तिथि में ही भाई दूज की रस्में पूरी की जायेंगी. जानें भाई दूज 2022 की सही तारीख और शुभ मुहूर्त.
भाई दूज 2022 तिथि, शुभ मुहूर्त
26 अक्टूबर भाईदूज तिलक करने का शुभ मुहूर्त-
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 व 27 अक्टूबर दोनों दिन लग रही है.
26 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से द्वितीया तिथि शुरू होगी, जो कि 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
26 अक्टूबर को भाई दूज का त्योहार मनाना है तो बता दें कि द्वितीय तिथि प्रारंभ होने के बाद दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक पूजा और तिलक का शुभ मुहूर्त बन रहा है.
इस दिन दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा.
इसके बाद शाम 05 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 07 मिनट तक गोधुलि मुहूर्त.
26 अक्टूबर को भाई दूज मनाने वाली बहनें इनमें से किसी भी मुहूर्त में भाई का तिलक करें.
27 अक्टूबर को पूजन का यह है शुभ मुहूर्त-
उदया तिथि के हिसाब से भाईदूज का पर्व 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
27 अक्टूबर को भाईदूज शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है.
27 अक्टूबर को भाई दूज का त्योहार मनाने वाले हैं, तो सुबह 11 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भाई दूज मना सकते हैं.
सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. इस मुहूर्त में भाई को तिलक करना बहुत ही शुभ है.
भाई दूज तिलक करने की विधि
- भाई दूज के दिन अपने बहन अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है.
- अपने भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं.
- भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं.
- भाई को तिलक लगाएं.
- अब तिलक लगाने के बाद अपने भाई की आरती उतारें.
- अपने भाई के हाथ में कलावा बांधें.
- अब भाई को प्यार से मिठाई खिलाएं.
- मिठाई खिलाने के बाद भाई को शुद्ध भोजन कराएं.
- भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार दें.
भाई दूज क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक मान्यताओं अनुसार यमुना के अनेकों बार अपने घर बुलाने के बाद यमराज इस दिन उनके घर गए थे. अपने भाई के आने की खुशी में यमुना ने यमराज को तरह-तरह के पकवानों का भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की थी. प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा तो ऐसे में यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेरे घर आना और मेरी तरह जो भी बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं रहेगा. कहते हैं तभी से भाई दूज की शुरुआत हुई.
भाई दूज पूजा थाली ऐसे करें तैयार
भाई दूज पूजा थाली में सिंदूर, फूल, साबुत चावल के कुछ दाने, चांदी का सिक्का, पान का पत्ता, सूखा नारियल यानी गोला, फूल माला, कलावा, मिठाई, दूब घास और केला रखें.
पूजा करते समय पढ़ें ये मंत्र
बहन भाइयों की खुशी के लिए इस दिन पूजा के दौरान ये मंत्र भी पढ़ा जाता है.
मंत्र- ”गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े.