सोंढूर पहाड़ी पर मुचकुंद ऋषि ने किया था तप,पहाड़ी पर अनेक गुफाए व धार्मिक स्थान
उदंती सीतानादी टाइगर रिजर्व के सोंढूर से लौटकर हमारे संवाददाता
गरियाबंद– उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के सोंढूर जलाशय में वनविभाग द्वारा पर्यटकों को तमाम प्रकार के सुविधाएं उपलब्ध कराने लगातार प्रयास किया जा रहा है। तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 25 कि.मी. दूर धमतरी जिले के सोंढूर जलाशय में इन दिनो नौका विहार करने भारी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे है क्योकि पूरे गरियाबंद जिले में नौका विहार की सूविधाएं कही नही है और उंदती सीतानदी टाईगर रिजर्व के सोंढूर जलाशय में पहली बार पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चार मोटर बोट लाये गये है ,
30 रूपये प्रति व्यक्ति के दर से नौका विहार का लोग आनंद ले रहे है
नौका विहार करने वाले पर्यटकों के लिए नौका चालक के साथ लाईफ जॉकेट सुरक्षा की इंतजार किए गये है। साथ ही इंको टूरिजम पार्क का निर्माण कार्य किया जा रहा है जहां वर्तमान में बच्चों के लिए झुला व कई आकर्षक मनोरंम प्राकृतिक दृश्य है चारो तरफ हराभरा माहौल दिल को काफी सुकून देता है और लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। लगातार रूटीन कार्यो और आफिस का तनाव परेशानियों से कुछ समय निकाल कर लोग यहां सुकून की तलाश में पहुंच रहे है जहां नौका विहार के साथ प्रकृति जंगल और धार्मिक स्थल मुचकुंद ऋषि के आश्रम पहाड़ी के उपर पहुंच कर पर्यटको को आनंद मन में एक नई ताजगी का संचार हो रहा है।
टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया यहां पंहुचने वाले पर्यटको के लिए ईको पार्क का निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसमें आने वाले तीन माह के भीतर पर्यटको को रूकने के लिए काटेज की निर्माण किया जा रहा है पूरी तरह बांस और लकड़ी से निर्माण किये जा रहे इस काटेज का लाभ जल्द ही यहां पर्यटको को मिलेगा। साथ ही यहां पर्यटको के लिए दिपावली पर्व से पूर्व दो जिप्सी की भी व्यवस्था किया जा रहा है जिससे पर्यटक जिप्सी में पूरे टाईगर रिजर्व के जंगल क्षेत्र का भ्रमण कर सकेंगे।बहरहाल गरियाबंद और धमतरी जिले से प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक सोंढूर जलाशय के पर्यटन स्थल को निहारने पहुंच रहे है।
मुचकुंद ऋषि आश्रम ,अनेक गुफाए धार्मिक इतिहास को अपने गर्भ में समेटे यह स्थल लोगों को आकर्षित करने की पूरी क्षमता रखता है।
सोंढूर जलाशय ग्राम मेचका में मुचकुंद ऋषि आश्रम पुरातत्व महत्ता को समेटे हुए है अनेक गुफाएं तथा धार्मिक इतिहास को अपने गर्भ में समेटे यह स्थल लोगों को आकर्षित करने की पूरी क्षमता रखता है साल के घने जंगल और सोंढूर बांध के विशाल जल संचय के लिए ग्राम मेचका प्रसिद्घ तो है ही, इस स्थल की महत्ता मुचकुंद ऋषि पहाड़ की वजह से और भी बढ़ जाती है, मुचकुंद ऋषि पर्वत का उल्लेख महाभारत काल में है,कथा के अनुसार गंधमर्दन पर्वत (मेचका पहाड़ी) में महर्षि मुचकुंद ने तप किया था। पहाड़ी के चारों ओर आज भी महर्षि मुचकुंद की तप की गाथा और उनके अवशेष उपलब्ध है महर्षि के साधना स्थल पर एक प्रतिमा ग्रामवासियों ने स्थापित की है।
इसी पहाड़ी में एक और कथा राजा धरमदेव एवं रानी हीरादेही के बलिदान की गाथा का यह पर्वत गवाह है इस चट्टान को रानी चट्टान एवं सती स्थल को सत्ती चौरा कहा जाता है, जो आज भी स्थित है पहाड़ के उपरी हिस्से में अनेक स्थानों पर पराक्रमी राजा एवं रानी की पाषाण प्रतिमा है युद्घ कौशल एवं धर्म प्रेम को प्रतिमाओं में प्रदर्शित किया गया है, विशेषता यह है कि सभी प्रतिमाएं एक ही पत्थर को तराशकर बनाई गई है जिसमें सूर्य, चांद, तारा एवं हत्था का चिन्ह उकेरा गया है, जो इसके निर्माण काल एवं उसकी सभ्यता को प्रकट करता हैपहाड़ी पर प्राचीन पवित्र तालाब जिसका पानी कभी नही सुखता है,