जगदलपुर – बस्तर में भाजपा समेत आदिवासी इस मामले पर छ्त्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को जमकर घेर रहे हैं। छ्त्तीसगढ़ में हाईकोर्ट के आरक्षण के फैसले के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।
कोर्ट में सरकार की तरफ से मजबूती से पक्ष न रखने के विरोध में पिछले 2 दिनों से बस्तर में तनाव पूर्ण स्थित बनी हुई है। इधर, अब आदिवासी नेताओं ने कहा है कि, यदि 32 प्रतिशत आरक्षण की मांग पूरी नहीं होती है तो वे सरकार के खिलाफ उग्र भूमकाल आंदोलन करेंगे।
जगदलपुर में कांग्रेस कमेटी की जिलाध्यक्ष (ग्रामीण) रुकमणी कर्मा ने कहा कि, हम यहां के मूल निवासी हैं। यहां के जल-जंगल-जमीन के रखवाले हैं। यदि हमारे आरक्षण पर बात आएगी तो आंदोलन होगा ही।
अभी ज्ञापन सौंपे हैं। यदि इसकी पॉजिटिव रिजल्ट नहीं आता है तो उस स्थिति में अगला कदम उठाएंगे। उन्होंने खुद अपनी ही कांग्रेस सरकार को चेतावनी दे दी है कि मांग पूरी नहीं होती है तो सभी आदिवासी मिलकर भूमकाल आंदोलन करेंगे।
दरअसल, एक दिन पहले बीजापुर में आदिवासियों ने महाबंद करवाया था। शहर की सारी दुकानें बंद थी। जबकि जगदलपुर में आदिवासी सड़क पर बैठ मार्ग जाम कर दिए थे। उधर, कांकेर में भी आदिवासियों ने उग्र आंदोलन किया था। पहले रैली निकाली फिर भगवान परशुराम चौक पर लगे फरसा को उखाड़कर तालाब में फेंक दिया। आरक्षण के मामले को लेकर पूरे बस्तर में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जगदलपुर पहुंचे थे। उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा था कि, बाबा साहेब ने जो आरक्षण की व्यवस्था की है, उसे हम लागू करेंगे। पिछली सरकार ने ढिलाई की उसका यह नतीजा है कि एक भी दस्तावेज हाईकोर्ट में नहीं लगाए गए। ननकीराम कंवर के नाम से कमेटी बनाई गई। लेकिन, उसकी रिपोर्ट को हाईकोर्ट में रखना था। उसे रखा ही नहीं गया। इसी वजह से वह खारिज हुआ। अब हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।
साल 1910 में आदिवासियों ने अंग्रेजों के अत्याचार और जल-जंगल-जमीन पर अपना हक बताते हुए उनके खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंक दिया था। इसका नेतृत्व आदिवासी नेता गुंडाधुर ने किया था। इस उग्र आंदोलन ने अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए थे। अब आरक्षण को लेकर बस्तर के आदिवासी भी 1910 के भूमकाल आंदोलन की तर्ज पर आंदोलन करने की बात कह रहे हैं।