रायपुर – हिंदू धर्म में हर एक व्रत त्योहार की अपनी एक परंपरा है। ऐसी परंपराएं जो सदियों से ऐसी ही चली आ रही हैं। ऐसी ही एक परंपरा दशहरा को लेकर है। माना जाता है कि दशहरे के दिन पान जरूर खाना चाहिए। पान खाकर व्यक्ति अधर्म की हार का जश्न मनाते हैं। लेकिन आखिर पान ही क्यों। जानिए आखिर दशहरे के दिन पान ही खाना क्यों शुभ मानते हैं।
पान में होता है देवी देवताओं का वास
जहां मां दुर्गा को भोग के रूप में पान के साथ लौंग, इलायची, सुपारी, बताशा आदि चढ़ाए जाते हैं। इसी तरह अन्य देवी -देवता को भी चढ़ाना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि पान के पत्ते में कई देवी-देवता वास करते हैं। पान के ऊपरी हिस्से में इंद्र देव और शुक्र देव विराजमान है। इसके साथ ही मध्य हिस्से में सरस्वती मां, बिल्कुल नीचे मां लक्ष्मी विराजमान हैं।
इसके साथ ही पान के जुड़े हुए भाग में ज्येष्ठा लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। इतना ही नहीं जो पत्ते के दो हिस्से को एक नली से जोड़ता है वहां पर भगवान शिव विराजमान हैं। इसके साथ ही पान के बाएं ओर मां पार्वती और दाएं ओर मां भूमि विराजमान हैं, साथ ही भगवान विष्णु पान में हर जगह विराजमान हैं।
क्यों खाते हैं पान?
नवरात्र के समापन के साथ ही दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही इस समय के साथ मौसम में भी बदलाव होने लगता है, जिससे संक्रामक बीमारियां होने का खतरा सबसे अधिक होता है। जिसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में पान खाना लाभकारी होता है।
इसे तुलसी के बराबर माना जाता है। नवरात्र के दिनों में कई भक्तगण पूरे नौ दिनों का व्रत रखते हैं। जिसके कारण पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में पान खाने से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है और व्यक्ति भोजन आसानी से पचा लेता है।