पटना/नई दिल्ली/हैदराबाद/तिरुवनंतपुरम – राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को एक ंिहदू चरमपंथी संगठन बताते हुए बुधवार को कहा कि इसपर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. प्रसाद ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इस्लामिक चरमपंथी संगठन पीएफआई पर प्रतिबंध के बारे में पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की.
दिल्ली में अपनी पार्टी के शीर्ष (अध्यक्ष) पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद सत्तर वर्षीय प्रसाद ने कहा कि वे (सरकार के बैठे लोग) पीएफआई के चरमपंथी होने का दावा करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस ंिहदू चरमपंथी संगठन है जिसपर पहले प्रतिबंध लगना चाहिए .
सन् 1997 में राजद की स्थापना के बाद से राजद का नेतृत्व कर रहे प्रसाद के अगले महीने फिर इस पद पर चुने जाने की संभावना है.
प्रसाद की इस टिप्पणी पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उसने प्रसाद पर वोट बैंक और छद्म धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने का आरोप लगाया.
भाजपा की बिहार इकाई के प्रवक्ता निखिल आनंद ने एक बयान में कहा, ‘‘ लालू जी का लक्ष्य पीएफआई का समर्थन कर अपने मुस्लिम आधार को मजबूत करना है. इसी कारण से वह आरएसएस और उसके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आदर्श के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखते हैं.’’ सन् 1990 में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को रोककर उन्हें गिरफ्तार करने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री प्रसाद ने यह भी दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पार्टी का सफाया हो जाएगा .
स्वास्थ्य की दृष्टि से कमजोर राजद प्रमुख से जब यह पूछा गया कि क्या उन्हें उम्मीद है कि उनके बेटे बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक दिन राज्य पर शासन करेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘‘ बिलकुल.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसी स्थिति में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश की कमान संभालेंगे, प्रसाद ने कहा, ‘‘सब लोग मिल कर संभालेंगे.’’ संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के कट्टर समर्थक रहे प्रसाद ने कुमार के साथ पिछले रविवार को गांधी से मुलाकात की थी.
संप्रग की पहली सरकार में रेल मंत्री रहे प्रसाद ने कहा कि सोनिया गांधी के साथ हमारी बातचीत उपयोगी रही है , आगे और भी बैठकें होंगी. जब उनसे यह कहा कि भाजपा के कई नेताओं ने यह सवाल उठाया कि सोनिया गांधी के साथ बैठक की तस्वीरें क्यों जारी नहीं की गईं, तब कुछ नाराजगी के साथ प्रसाद ने कहा, ‘‘‘ हम एक महिला से उनके चैंबर में मिलने गये थे. क्या यह फोटो सेशन था? हमने एक घंटा या उससे अधिक समय तक बात की होगी और वे दावा करते हैं कि बैठक ही नहीं हुई.’’
पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता: ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने हालांकि हमेशा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के दृष्टिकोण का विरोध किया है, लेकिन कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता. सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘‘संबंध’’ होने के कारण पीएफआई और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर बुधवार को पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया.
इस बीच तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पीएफआई पर केंद्र के प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा ‘‘समय पर की गई कार्रवाई’’ यह सुनिश्चित करेगी कि विभाजनकारी ताकतें सामाजिक संगठनों की आड़ में राष्ट्रीय नेटवर्क का निर्माण नहीं कर पाये.
ओवैसी ने कई ट्वीट में कहा, ‘‘मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है.
जिस तरह से भारत की ‘चुनावी निरंकुशता’ फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के ‘काले’ कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा.’’ तेलंगाना में भाजपा के मुख्य प्रवक्ता के. कृष्णा सागर राव ने आरोप लगाया कि गैर-भाजपा राज्य सरकारों ने वर्षों से ‘‘अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की अपनी राजनीतिक मजबूरी के चलते’’ पीएफआई जैसे खतरनाक संगठनों को राष्ट्रीय स्तर पर विकसित होने दिया है.
उन्होंने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार ही राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगाने जैसी निर्णायक कार्रवाई कर सकती है. राव ने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा समय पर की गई यह कार्रवाई इस बात को सुनिश्चित करेगी कि भारत में सांप्रदायिक और धार्मिक वैमनस्य पैदा करने संबंधी उनके घृणित एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए विभाजनकारी ताकतें सामाजिक संगठनों की आड़ में राष्र्ट्व्यापी नेटवर्क का निर्माण न करें.’’
एसडीपीआई ने पीएफआई पर प्रतिबंध को ‘लोकतंत्र पर सीधा हमला’ करार दिया
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने बुधवार को पीएफआई और उससे सम्बद्ध संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को ‘‘लोकतंत्र पर सीधा हमला’’ करार दिया. पार्टी अध्यक्ष एम. के. फैजी ने एक बयान में कहा कि ‘‘जो कोई भी भाजपा सरकार की गलत और जनविरोधी नीतियों’’ के विरुद्ध बोलता है उसे गिरफ्तारी और छापेमारी के खतरे का सामना करना पड़ता है.
एसडीपीआई को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा माना जाता है. केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएफआई और उससे संबद्ध कई संगठनों पर आतंक रोधी कानून के तहत पांच वर्षों के लिए प्रतिबंध लगा दिया. एसडीपीआई की वेबसाइट पर डाले गए बयान में कहा गया कि सत्ता द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विरोध प्रदर्शन और संगठन की आजादी का दमन किया जा रहा है और यह भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. बयान में कहा गया, ‘‘सरकार जांच एजेंसियों और कानून के दुरुपयोग से विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है और लोगों को असहमति के स्वर बुलंद करने से रोकना चाहती है. देश में स्पष्ट रूप से आपातकाल लागू है.’’
संगठन को प्रतिबंधित करना समाधान नहीं, उन्हें राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने की जरूरत : येचुरी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि पॉपुरल फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है बल्कि बेहतर विकल्प यह होता कि उन्हें राजनीतिक रूप से अलग-थलग कर उनकी आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाती.
अपनी पार्टी के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) द्वारा शासित केरल पर भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा ‘‘आतंकवाद का गढ़’’ होने का आरोप लगाए जाने पर पलटवार करते हुए येचुरी ने उनसे (नड्डा से) ‘‘प्रतिशोध के चलते मार डालने के चलन’’ पर रोक लगाने और राज्य प्रशासन को चरमपंथी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की इजाजत देने के लिये कहा. वामपंथी नेता ने कहा कि नड्डा अगर केरल को आतंकवाद व उपद्रवी तत्वों का गढ़ बनने से रोकना चाहते हैं तो ‘‘सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करना, नफरत फैलाना, आतंक और बुलडोजर की राजनीति’’ जवाब नहीं है.
उन्होंने यह भी कहा कि आरोप लगाना आसान है, लेकिन अगर वह चाहते हैं कि राज्य प्रशासन कार्रवाई करे तो उन्हें (आरोपों को) साबित करने के लिये साक्ष्य दिखाना होगा. संवाददाताओं से बातचीत में येचुरी ने कहा कि बुलडोजर की राजनीति और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति से उपद्रवी संगठनों और उनकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिये अनुकूल माहौल बनेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि केरल आतंकवाद का गढ़ है. अगर वह इस तरह के आतंकवाद को रोकना चाहते हैं तो उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को उसकी, प्रतिशोध के चलते की जाने वाली हत्याओं को रोकने के लिए कहना चाहिए. राज्य प्रशासन को कार्रवाई करने दीजिए. राज्य प्रशासन चरमपंथी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, चाहे वह पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) हो या कोई अन्य.’’
उन्होंने कहा, ‘‘सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करने, नफरत और आतंक फैलाने और बुलडोजर की राजनीति भारत की धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक नींव को मजबूत करने का जवाब नहीं थी. यह केवल चरमपंथी संगठनों और उनकी गतिविधियों के विकास के लिए माहौल बनाने का काम करती है.’’ उन्होंने सुझाया कि समाधान प्रतिबंध नहीं बल्कि ऐसे संगठनों का ‘‘राजनीतिक अलगाव’’ और प्रशासन द्वारा उनकी आपराधिक व अवैध गतिविधियों के खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई है.
उन्होंने कहा, ‘‘इस समस्या से निपटने के लिये प्रतिबंध समाधान नहीं है. हमने देखा है कि हमारा अपना अनुभव और भारत का अनुभव क्या रहा है. महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ को तीन बार प्रतिबंधित किया गया था. क्या कुछ हुआ? नफरत और आतंक के ध्रुवीकरण अभियान, अल्पसंख्यक विरोध, अल्पसंख्यकों का नरसंहार, ये सब जारी है.’’