रायपुर– लंबे समय से सिकलसेल जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के अब सभी जिलों में इसकी जांच और उपचार की सुविधा मिलेगी। इसके लिए प्रदेश भर के जिला अस्पतालों में केंद्र खोले जाएंगे। इसकी शुरुआत अगले महीने गांधी जयंती के दिन से होगी। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि अगले महीने से सस्ती दर पर पैथोलॉजी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हमर लैब के आसपास के क्षेत्रों से सैंपल एकत्र किए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव बुधवार को हेल्थ अफसरों की बैठक ले रहे थे।
स्थानीय होटल में राज्य स्तरीय कार्यशाला और नेशनल हेल्थ प्रोग्राम की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने सिकलसेल प्रबंधन केंद्रों के संबंध में की जा रही तैयारियों की जानकारी ली। साथ ही मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना, वेलनेस सेंटर, बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन सहित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा की। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को बैठक में सभी अस्पतालों में आने वाले अधिक से अधिक मरीजों को उपचार और परामर्श सुविधा उपलब्ध कराने कहा।
क्या है यह सिकलसेल रोग
सिकलसेल एक अनुवांशिक बीमारी है। सामान्य रूप में हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल चपटे और गोल होते हैं। यह नसों में आसानी से आवाजाही करते हैं, लेकिन अगर इनमें असामानता आ जाए। जैसे इनका रूप गोल न रहे तो यह नसों में सही तरीके से प्रवाहित नहीं हो पाते हैं। ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके चलते मरीज को एनिमिया हो जाता है और उसे बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत होती है।
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- एक अनुमान के मुताबिक, छत्तीसगढ़ की 10 फीसदी आबादी या तो इस बीमारी से पीड़ित है या फिर वह इसको आगे बढ़ाने का कारण बन रही है। कुछ समुदायों में यह 30 फीसदी तक है। ऐसे में इस बीमारी का अगली पीढ़ी में ट्रांसफर होने का खतरा बना हुआ है।
- सिकलसेल कई बीमारियों का एक समूह है। यह खून में मौजूद हीमोग्लोबीन को प्रभावित करता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है जो बच्चों को अपने माता-पिता से मिलती है।
- मरीज को इससे तेज दर्द महसूस होता है। साथ ही चेस्ट सिंड्रोम, स्ट्रोक, हड्डियों और जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने, किडनी डैमेज होने, दृष्टि संबंधी समस्या होने का सामना करना पड़ सकता है।
स्वास्थ्य योद्धा हुए सम्मानित
स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड वैक्सीनेशन में उल्लेखनीय योगदान के लिए बीजापुर जिले के उसूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तीन स्वास्थ्य अधिकारी ज्योति सिदार, नागमणी चिलमुल और रमेश गड्डेम को प्रशस्ति पत्र व शाॉल भेंट कर सम्मानित भी किया। इन तीनों स्वास्थ्य योद्धाओं ने कोविड वैक्सीनेशन के लिए घुटने तक पानी से भरे तीन नदियों को पैदल पार कर ग्राम मारूड़बाका पहुंच लोगों का वैक्सीनेशन किया था।