रायपुर – साल 2018 में अदद एक चुनावी हार से हताश छत्तीसगढ़ बीजेपी अब तक हताशा से बाहर नहीं आ पाई है. विधानसभा चुनाव हारने के साथ ही चुनाव-दर-चुनाव में मिली हार ने बीजेपी की पोल खोल कर रख दी. आपसी गुटबाजी और एक दूसरे को कमतर दिखाने की होड़ ने सार्वजनिक मंचों तक को नहीं छोड़ा. विधानसभा के भीतर की तस्वीर हो या फिर बारह की कई मौकों पर नेताओं के बीच की सीधी गुटबाजी आसानी से देखने को मिली है. प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने शुरुआती दौर में हंटर चलाने की कोशिश तो की मगर वह भी उस स्तर कामयाब नहीं हो पाईं. जिसके बाद बीजेपी केंद्रीय संगठन ने क्षेत्रीय संगठन महामंत्री के रूप में अजय जामवाल को छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी दी है.
पहले ही दौरे पर जामवाल ने दिए बदलाव के संकेत
अपने पहले ही दौरे में जामवाल ने आधा दर्जन प्रवक्ताओं की नियुक्ति कर संगठन में फेरबदल का इशारा कर दिया. जिसके बाद बदलाव की चर्चा का बाजार बेहद ही गर्म है. आलम यह है कि ना केवल प्रदेशाध्यक्ष बल्कि नेता प्रतिपक्ष, युवामोर्चा अध्यक्ष को भी बदलने की चर्चा तेज हो गई है. और ना केवल बदलाव की बयार तेज बह रही है बल्कि बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि बदलाव प्रकृतिक का नियम है. जो जरूरत के अनुसार हो रहा है. बीजेपी के भीतर बदलाव के बीच अध्यक्ष विष्णुदेव के स्थान पर नया चेहरा कौन होगा इस पर सियासी गुणागणित तेज है.
जो संकेत मिल रहे हैं उसके हिसाब से भाजपा का एक गुट बिलासपुर संभाग के एक ओबीसी नेता को प्रदेशाध्यक्ष बनाने में जुटा हुआ है. उसके लिए रायपुर से लेकर दिल्ली तक गणित बैठाया जा रहा है. वहीं OBC वर्ग से अध्यक्ष बनने के बाद OBC वर्ग से ही नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के स्थान पर किसी सामान्य या आदिवासी वर्ग से नेताप्रतिपक्ष बनाने की चर्चा तेज है. तो वहीं युवामोर्चा की सुस्त गति से नाराज संगठन नया अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर रहा है.
कांग्रेस ने कसा तंज
बीजेपी के भीतर बदलाव की बयार के सावल पर कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे कहते हैं कि बीजेपी इतने गुटों और टुकड़ों में बंट गई हैं कि चुनाव तक उबरना संभव नहीं है. बीजेपी के नेता कार्यकर्ता हताश हो चुके हैं और बदलाव से कुछ नहीं होने वाला है. कांग्रेस के तंज पर बीजेपी पलटवार करते हुए कहती है कि सही बात है कि अब सीधे सरकार बदलेगी.
बीजेपी के भीतर बदलाव की बयार कोई पहली बार नहीं बह रही है. इससे पहले भी यह बयार तेजी से बह चुकी है. मगर केंद्रीय संगठन ने हर बार रमन-धरम और साय की जोड़ी पर ही भरोसा जताया है. मगर इस बार जानकार मानते हैं कि अगर समय रहते बदलाव नहीं हुआ तो 2023 में बीजेपी को वह चुनावी परिणाम नहीं मिल पाएगा जिसकी उम्मीद वह कर रही है.