बीजापुर/सुकमा– छत्तीसगढ़ के बस्तर में आंध्र प्रदेश स्ट्रेन का खतरा बढ़ गया है। पड़ोसी राज्यों को जोड़ने वाली सभी सीमाएं सील हैं। चेकपोस्ट बनाकर जांच भी की जा रही है, पर ग्रामीण अब जंगल के रास्ते एंट्री कर रहे हैं। यह मजदूर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मिर्ची तोड़ने के लिए गए थे। अफसरों को भी इसका पता है, लेकिन नक्सली इलाका होने के कारण उनके सामने भी समस्या है। ऐसे में बीजापुर और सुकमा जिला प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती आ गई है।
2 दिनों में 200 किमी का सफर तय कर बीजापुर पहुंचे ग्रामीण
लॉकडाउन के कारण अंतरराज्यीय परिवहन बंद है। जो वाहन आ रहे हैं, उनकी जांच की जा रही है। ऐसे में ग्रामीणों ने अपने घरों तक पहुंचने के लिए जंगल का रास्ता पकड़ लिया है। ये ग्रामीण बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और जगदलपुर से तेलंगाना के धर्माराम मजदूरी करने गए थे। मजदूरों ने बताया कि वे 2 दिन पहले सुबह निकले थे। दोपहर में पेड़ के नीचे रुकते और रात में फिर सफर शुरू होता। ऐसे में 200KM का सफर तय कर बीजापुर पहुंचे हैं।
बीजापुर में 2200 और सुकमा में 7700 से ज्यादा नामों की एंट्री
बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र तारलागुड़ा में चेक पोस्ट बनाया गया है। इस चेक पोस्ट में तेलंगाना और अन्य राज्यों से आने वाले करीब 2200 से ज्यादा लोगों के नामों की एंट्री हो चुकी है। इनमें 6 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। वहीं सुकमा के कोंटा चेक पोस्ट पर 7764 लोगों के नाम प्रशासन ने रजिस्टर में दर्ज किए हैं। इनमें से 117 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। हालांकि यह सिर्फ वह लोग हैं, जो सड़क मार्ग से प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं।
नक्सल प्रभावित इलाकों से होकर कई मजदूर अपने घर भी पहुंच गए
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से आ रहे कई मजदूरों के सुकमा, बीजापुर सहित पड़ोसी जिलों में अपने घर पहुंचने की जानकारी मिल रही है। जिन जंगल के रास्तों का उपयोग ग्रामीण कर रहे हैं, वो पूरी तरह से नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। इसके कारण प्रशासन को भी इसका पता नहीं लग पा रहा है। यह ग्रामीण सुकमा और बीजापुर में के गांवों में पहुंचे हैं। इनकी न तो कोरोना जांच हुई है और न ही प्रशासन के रजिस्टर में इन मजदूरों के नाम दर्ज हैं।
दिक्कत तो आ रही, पर ग्रामीणों तक पहुंचने का दावा भी
बीजापुर में भोपालपट्नम के SDM हेमेंद्र बुआर्य कहते हैं कि चेक पोस्ट से गुजरने वाले हर किसी की जांच हो रही है। गर्मी के चलते नदी-नाले सूखे हुए है, इसलिए ज्यादातर मजदूर जंगल के रास्तों से भी आ रहे हैं। नक्सल इलाका होने की वजह से थोड़ी परेशानी होती है, जब ग्रामीण सड़क पर पहुंचते हैं तो उन तक पहुंच जाते हैं। वहीं सुकमा के कोंटा SDM बनसिंह नेताम ने बताया की ग्रामीण अंचलों और जंगल के रास्तों पर भी हमारी नजर है। जो भी लोग आ रहे हैं, उनके नामों की एंट्री व जांच भी की जा रही है।