- बजट में होम लाेन पर और राहत की है लोगों को उम्मीद
- पिछले साल सरकार ने रियल एस्टेट के लिए कई ऐलान किए थे
- सरकार के कदमों के बावजूद रियल एस्टेट की सुस्ती दूर नहीं हो पाई है
- होम लोन पर और राहत देकर सेंटिमेंट सुधारा जा सकता है
वित्त मंत्री के बजट से इस साल भी मकान खरीदारों को काफी उम्मीदें हैं. सरकार द्वारा पिछले साल उठाए गए कई कदमों के बावजूद रियल एस्टेट सेक्टर की सुस्ती खत्म होती नहीं दिख रही. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री टैक्स नियमों में ऐसे कुछ बदलाव करेंगी जिससे मकान खरीदारों को प्रोत्साहन मिल सके.
पिछले साल सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर को सुधारने के लिए तमाम कदम उठाए हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले सब्सिडी पर लोन की सीमा बढ़ा दी गई, किफायती मकानों के ब्याज/मूलधन भुगतान पर मिलने वाली टैक्सेबल आय कटौती की सीमा को बढ़ा दिया गया. रिजर्व बैंक के द्वारा एनबीएफसी को नकदी प्रवाह बढ़ाने की कोशिश की गई और मुश्किल में चल रहे प्रोजेक्ट्स के लिए 25,000 करोड़ रुपये का एक फंड बनाया गया.
लेकिन इन सबसे बहुत फर्क नहीं आया है. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट और मांग में कमी की वजह से रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट की बिक्री परवान नहीं चढ़ पा रही. बैंक न तो लोन देना चाह रहे हैं और न लोग मकान खरीदने में रुचि दिखा रहे.
होम लोन प्रिंसिपल पर मिलने वाला टैक्स छूट अलग से हो
कई जानकार यह कहते हैं कि हाउसिंग लोन के मूलधन यानी प्रिंसिपल अमाउंट भुगतापन के बदले छूट मिलती है वह 1.5 लाख के दायरे के भीतर नहीं बल्कि अलग से होनी चाहिए. टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, ‘अभी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत विभन्न मदों में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश के बदले टैक्सेबल आय में कटौती की जाती है और इसी में होम लोन के मूलधन का भुगतान भी शामिल है. इसी डेढ़ लाख के दायरे में कर्मचारियों का पीएफ, न्यू पेंशन योजना (NPS),जीवन बीमा प्रीमियम, बच्चों का स्कूल फीस, एनएससी, पीपीएफ जैसी कई चीजें आती हैं.’
जैन ने कहा, ‘ज्यादातर टैक्सपेयर्स पहले से इन तमाम साधनों में निवेश करते हैं, इसलिए वे होम लोन मूलधन के बदले कटौती का फायदा नहीं उठा पाते. अब मकानों की लागत काफी बढ़ गई और लोगों को एक साल में बड़ी रकम ईएमआई के रूप में देनी पड़ती है. इसलिए यह तार्किक बात है कि सरकार अब होम लोन के मूलधन भुगतान के बदले मिलने वाली कटौती की अलग व्यवस्था करे और इसे 1.5 लाख की सेक्शन 80 सी की सीमा से बाहर रखा जाए.’
ईएमआई ब्याज भुगतान पर भी बढ़े छूट
वित्त मंत्री ने पिछले साल होम लोन के ब्याज भुगतान के बदले कटौती की सीमा 1.5 लाख तक बढ़ा दी थी यानी इसे 2 से 3.5 लाख रुपये कर दिया गया था. लेकिन इसमें एक पेच यह है कि यह फायदा 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक के बीच यानी एक साल की इस अवधि में लिए जाने वाले लोन पर ही मिलेगा. यानी आपका लोन इस अवधि में ही मंजूर होना चाहिए. यानी ज्यादातर होम लोन ग्राहकों को इसका फायदा नहीं मिल रहा.
लोगों के सेंटिमेंट को सुधारना सबसे प्रमुख कदम होना चाहिए. इसके लिए मूलधन के 1.5 लाख रुपये को 80 सी से अलग करना और ब्याज भुगतान पर छूट को भी बढ़ाना प्रमुख कदम हो सकते हैं. इस तरह समूचे होम लोन ईएमआई पर टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर सभी के लिए सालाना 5 से 7.5 लाख रुपये तक करने की मांग की जा रही है. इससे मकान खरीद में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है.
अंडर कंस्ट्रक्शन मकानों पर भी मिले राहत
अभी अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले खरीदारों को टैक्स छूट हासिल करने में काफी मुश्किल आती है. बलवंत जैन ने बताया, ‘नियम के मुताबिक मकान का पजेशन मिलने के बाद हर साल पीछे चुकाई गई ईएमआई के ब्याज वाले हिस्से की 20 फीसदी हिस्से को कर छूट वाली आय में जोड़ा जा सकता है. इसके पीछे सोच यह है कि अगले पांच साल में पूरे 100 फीसदी ब्याज के बदले टैक्स छूट दे दी जाए. लेकिन अक्सर पजेशन मिलने के बाद लोगों की ईएमआई एक साल में पहले से ही 2 लाख की सीमा पार कर जाती है, इसलिए वे इसका फायदा नहीं उठा पाते.’
इसके अलावा पजेशन से पूर्व चुकाए गए मूलधन के बदले टैक्स छूट नहीं लिया जा सकता. इन प्रोजेक्ट पर ईएमआई देने वाले लोगों को साफ-साफ शुरू से ही टैक्स छूट से क्यों वंचित किया गया है, यह समझ नहीं आता, जबकि ऐसे प्रोजेक्ट में ज्यादातर मध्यम वर्ग के वो लोग निवेश करते हैं, जो रेडी टु मूव फ्लैट खरीदने की क्षमता नहीं रखते और जिनकी आय कम होती है. इन खरीदारों को ब्याज भुगतान के बदले शुरू से टैक्स छूट मिलनी चाहिए. अगर वित्त मंत्री ऐसा कोई प्रावधान करती हैं, तो यह बहुत लोगों के लिए राहत की बात होगी.