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कपड़े की दुकान के बाहर 7 साल से टंगे हैं चीथड़े, अजब डिस्प्ले की मालिक ने बताई गजब वजह…

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इस दुनिया में कई तरह के लोग होते है और हर किसी का दिमाग भी अलग होता है कोई कुछ सोचता है तो कोई कुछ |वही किसी किसी की सोच तो इतनी अच्छी होती है की हर कोई उसकी तारीफ करता है तो वही कुछ लोगो की सोच तो इतनी अजीब होती है की हमे खुद भी सोचने पर मजबूर कर देती है की आखिर क्या सोच के इसने ये काम किया होगा |आज हम आपको एक ऐसी ही वाकया बताने वाले है जो सच में आपको हैरान कर देगी |दरअसल ये वाकया है मध्यप्रदेश का जहाँ पर एक जिला है बालाघाट और उसी जिले में एक तहसील है जिसका नाम है वारासिवनी|

इस जगह की सबसे खास बात ये है की यहाँ पर एक रेडीमेड कपड़ों की दुकान है जिसका नाम है मानीबाई गोलछा साड़ी & रेडीमेड लेकिन ये दुकान और दुकानों से बिलकुल ही अलग है क्योंकि आमतौर पर कपड़ो की दुकान हो तो उसका डिस्प्ले दुकानदार एकदम बेहतरीन बनवाता है और उसे अच्छे से सजा कर रखता है क्योंकि लोग दुकान के अंदर जाने से पहले दुकान का डिस्प्ले ही देखते है |

लेकिन हम जिस दुकान की चर्चा करने वाले है उसका डिस्प्ले देख आप हैरान रह जायेंगे क्योंकि इस दुकान के बाहर भी कपडे ही टंगे है जैसे और दुकानों में टंगे होते है लेकिन लेकिन इस दुकान की अजीब बात है कि यहाँ अच्छे और नए कपड़े नहीं बल्कि कपड़ों के चीथड़े टंगे हुए है ,हर जगह से फटे हुए|इस दुकान का ऐसा नजारा देख यही लगता है की या तो इस दुकान का दुकानदार बहुत आलसी है, कि ये सामने का डिस्प्ले नहीं बदल सका या फिर उसके दिमाग में कोई अनोखा प्लान है. जिसके तहत ये दुकान की हालत ऐसी बनायीं हुई है |

मध्यप्रदेश के बालाघाट ज़िले में एक दूकान है, इस दूकान में कपड़े मिलते हैं, लेकिन जो इस दूकान के बारे में नहीं जानता होगा वह इस दूकान में कभी नहीं जाएगा, क्योंकि इस दूकान के बाहर आप को कपड़े नहीं बल्कि सिर्फ चिथड़े देखने को मिलेंगे। लेकिन अंदर जाते ही आप को हर तरह के कपड़े मिल जाएँगे।मानीबाई गोलछा साड़ी & रेडीमेड के नाम से यह दूकान पीयूष गोलछा चलाते हैं, उनकी दूकान की यही पहचान बन चुकी है, लोग अपने बिज़नस के प्रचार में लाखों रुपए लगाते हैं, लेकिन पीयूष गोलछा ने ऐसा काम किया है कि उनकी दूकान खुद ही मशहूर हो गई है।

पीयूष गोलछा अपनी दूकान को मारकीट में सब से पहले खोलते हैं, वह सुबह के आठ बजे दूकान खोल देते हैं। पीयूष गोलछा मकान भी दूकान से ही लगा हुआ है, वह सुबह पूजा पाठ करने के बाद अपनी दूकान खोल देते हैं और शाम तक दूकान पर रहते हैं।पीयूष गोलछा ने अच्छी ख़ासी पढ़ाई की है।उन्होने 2008 में बारहवीं पास की। और अपने स्कूल में टॉप किया। उसके बाद उन्होने बी.कॉम किया, एम.कॉम किया। लेकिन नोकरी नहीं मिली। पिता जी की तबीयत खराब रहने लगी इसके बाद उन्होने यह दूकान खोल ली और अब इसी से अपनी रोज़ी रोटी चलाते हैं।

पीयूष गोलछा के दूकान में हर तरह के कपड़े मिलते हैं, बच्चे बूढ़े जवान महिलाओं सभी के कपड़े इनके दूकान में मिल जाएँगे। अपने दुकान के बारे में पियूष बताते है की उनके दुकान में हर वो चीज मिल जाता है जो अक्सर बड़ी से बड़ी दुकानों में भी नहीं मिल पाता|उन्होंने बताया की उनके यहाँ 110 नंबर तक की चड्डी भी मिल जाती है जो की और दुकानों में जल्दी नहीं मिल पाती इसी के साथ ही इनके दुकान पर 1000 में 4 साड़ीयां बिह मिलती है और 10,000 में एक साड़ी भी मतलब की महंगे से महंगा और सस्ते से सस्ता हर तरह के कपड़े पियूष की इस साधारण सी अनोखी दुकान में मिल जाता है |

पियूष ने बताया की वो अपना पैसा दुकान को सजाने सवारने में खर्च नहीं करना चाहते बल्कि अपने ग्राहकों को उन्ही पैसों से अच्छे क्वालिटी के सामान देते है और ग्राहकों से कोई ज्यादा पैसा भी चार्ज नहीं करते वही और दुकान वाले ग्राहकों से दुकान के साज सज्जा पर खर्च हुए पैसों की भी वसूली कपड़ों के दाम पर जोड़ कर करते है | पीयूष ने इस दुकान से बहुत दाम भी कमाया और नाम भी. ‘जो दिखता है वो बिकता है’ वाली थ्योरी भी पलट दी. अब वो बिकता है जो भाईसाब बेचते हैं.