सिखों की अगुवाई करने वाले एक संगठन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संविधान दिवस पर पत्र लिखकर संविधान के अनुच्छेद 25(बी) (Article 25B) में एक अध्यादेश के जरिए संविधान संशोधन करते हुए सिख धर्म को अलग धर्म घोषित करने की मांग की गई है।
साथ ही संविधान में सिखों को कृपाण धारण करने के मिले अधिकार का राष्ट्रपति को हवाला देते हुए कार्यपालिका को इस संबंधी जागरूक करने की अपील की है। इसके अलावा पत्र के जरिए बताया कि भारत के संविधान में सिखों के लिए विरोधाभासी तर्क हैं। एक तरफ सिखों को अनुच्छेद 25(बी) हिंदूधर्म की शाखा बताता है, तो वहीं सिख को कृपाण डालने की आजादी है।
इसलिए कहीं न कहीं संविधान निर्माताओं ने यह एक बड़ी चूक की है, जिसे देश के 70वें गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2020 से पहले सुधारना चाहिए।धार्मिक पार्टी जागो के अध्यक्ष अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने इस बावत कहा कि विदेशों में भी सिखों को कृपाण धारण करने व अपनी परंपराओं के पालन की आजादी है। पर भारत में कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में सिखों को कड़े व कृपाण के साथ परीक्षा केंद्र में दाखिल होने पर गैर कानूनी तरीके से धातु वस्तु निषेध के नाम पर रोका जा रहा है, जो कि गलत रुझान की शुरुआत है।
सिख के लिए कड़ा व कृपाण धार्मिक आस्था के चिन्ह है। इसको रोकने से सिख को नागरिक के तौर पर संविधान से मिले धार्मिक आजादी के हक पर भी चोट पहुंचती है। एक तरफ कैनेडा में सिखों को अंतरराष्ट्रीय हवाई उड़ानों में भी कृपाण धारण करने की छूट है, वहीं दूसरी तरफ अपने देश में सिखों को कृपाण सहित परीक्षा केंद्र में जाने से रोका जा रहा है। जबकि करतारपुर कॉरिडोर व वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान जाने वाले सिख भी कृपाण सहित जाते हैं।
जीके ने राष्ट्रपति से अपील की कि संविधान दिवस की भावना के तहत संविधान में संशोधन करके सिख धर्म को अलग धर्म के तौर पर मान्यता दी जाए। सिखों को भारत से जाने वाली अंतरराष्ट्रीय हवाई उड़ानों में भी कृपाण सहित उड़ान भरने का आदेश जारी किया जाए।