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छत्तीसगढ़ : फोरेंसिक के स्टूडेंट्स के लिए बेहतर होती है इस तरह की जानकारी

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बिलासपुर रीजनल फोरेंसिक साइंस लैब के निदेशक पीएस भगत पीएस भगत ने फोरेंसिक साइंस के स्टूडेंट से कहा कि वे क्राइम सीन व पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पर फोकस करें। साक्ष्य जुटाने के दौरान अनिवार्य रूप से कैमरा, टॉर्च, स्केल, हेंडग्लोब एवं पैकेजिंग मटेरियल अपने पास रखें।

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान अध्ययनशाला के अंतर्गत फोरेंसिक साइंस विभाग में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (सीजीकॉस्ट), रायपुर द्वारा पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। एक्सप्लोरेशन ऑफ इम्पॉरटेंस ऑफ फोरेंसिक टेक्नीक्स बाय हेंड्स ऑन ट्रेनिंग टू दि बेनिफिट्स ऑफ सोसायटी विषय पर दूसरे दिन आज विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

प्रथम तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता निदेशक भगत ने आगे कहा कि बिलासपुर एवं उससे सटे क्षेत्र के विभिन्न घटना स्थलों पर लिए गए फोटोग्राफ को प्रदर्शित करते हुए बताया कि किस प्रकार घटना स्थल से साक्ष्यों को एकत्र किया जाना चाहिए। दूसरे सत्र में व्याख्यान डॉ अभय कुमार, एमडी पलमो डायबिटिक क्लीनिक, बिलासपुर ने प्रतिभागियों को बताया कि वर्तमान समय में उद्योगों से निकलने वाले विषाक्त पदार्थों को पर्यावरण में जाने से बचाने में टॉक्सीकोलॉजी की तकनीकी प्रभावकारी है।

तीसरे व्याख्यान में डॉ एसएस गोले, मेडिकोलीगल एक्सपर्ट, सिम्स, बिलासपुर द्वारा दिया गया जिसमें पोस्टमार्टम और फोरेंसिक साइंस प्रयोगशाला में मानक संचालन प्रक्रिया को समझाया।

इस दौरान प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों के पश्चात दस्तावेजीकरण में अगर किसी प्रकार की त्रुटि रह जाती है तो पीड़ित को न्याय मिलने में विलंब होने की बात कही। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक साइंस के स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थी शोध प्रबंध हेतु सिम्स में पोस्टमार्टम डेमो से संबंधित जानकारी प्रदान करने की बात कही।