प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर से एक नई पहल की- प्लॉगिंग यानी जॉगिंग के दौरान कचरा उठाते चलना. इसके तहत Fit India Plogging Run के तहत अपील की जा रही है कि सारे लोग 2 किलोमीटर दौड़ते हुए उस दायरे में आने वाला कचरा भी इकट्ठा करते चलें. स्वीडिश भाषा से आया ये शब्द प्लॉगिंग पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय हो रहा है.
फिटनेस के लिए आप क्या करते हैं? जिमिंग, योग और दौड़ लगाना! लेकिन स्वीडन में लोग अपनी सेहत बनाने के साथ पर्यावरण की सेहत के लिए जागरुक हो चुके हैं. यही वजह है कि वे जॉगिंग की बजाए प्लॉगिंग पर जोर दे रहे हैं. स्वीडिश भाषा में प्लोका मतलब कोई चीज उठाना, और जॉग यानी दौड़ना. pick and jog इन दोनों शब्दों से मिलकर बना है प्लॉगिंग.
इसलिए हुई स्वीडन से शुरुआत
अपने पर्यावरण प्रेम के लिए पूरी दुनिया में मशहूर स्वीडन के बारे में एक चौंकाने वाला तथ्य ये है कि यहां सड़कों पर मिलने वाले कचरे में लगभग 80 प्रतिशत कचरा सिगरेट बट से होता है. स्वीडिश एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी जिसे स्वीडिश भाषा में Naturvårdsverket, ने इसे साफ करने के लिए बाकायदा अभियान चलाए. फाइन लगाए जाने पर भी हालात नहीं बदलने पर कैंपेन चलाए गए. इन्हीं में से एक है प्लॉगिंग.
साल 2016 में एरिक एलस्ट्रोम ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से इसकी शुरुआत की. इसके लिए एक ब्लॉग Plogga भी शुरू हुआ. इसमें दौड़ते हुए झुक-झुककर अपने आसपास का कचरा जमा करने और उसे डस्टबिन में फेंकने की अपील की गई.
सड़कों पर मिलने वाले कचरे में लगभग 80 प्रतिशत कचरा सिगरेट बट से होता है
जल्दी ही स्वीडन की सड़कों पर सिगरेट बट कम होने लगे
और फिर इसकी धूम दुनियाभर में सुनाई पड़ने लगी. पर्यावरण की सफाई के साथ अपने हेल्थ बेनिफिट के चलते प्लॉगिंग दुनिया के 40 देशों में जल्दी ही फैल गया. दक्षिणी ब्रिटेन के ससेक्स में रह रहे अमेरिकन लेखक और कॉमेडियन David Sedaris ने भी इसे अपनाया. वे एक दिन में लगभग 60,000 कदम चला करते और पूरे वक्त रास्ते में आने वाला कचरा समेटते चलते. इसके लिए वे साथ में एक थैला लेकर चलते. उनके एक कदम से उनका आसपास एकदम साफ रहने लगा. इसी तर्ज पर कीप अमेरिका ब्यूटीफुल कैंपेन, जिसके तहत सारे स्टेट्स में जॉगिंग की बजाए प्लॉगिंग की बात होने लगी. प्लॉगिंग का विश्व रिकॉर्ड मेक्सिको सिटी के नाम दर्ज है जहां एक दिन में चार हजार लोग प्लॉगिंग में हिस्सेदार बने.
भारत में भी प्लॉगिंग की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है
इस टर्म की शुरुआत करने वाले एरिक ने Reuters से अपनी एक बातचीत में कहा था कि भारत में लगभग 10 हजार लोग रोज ये कर रहे हैं. कर्नाटक में गो प्लॉग के नाम से एक संस्था बन चुकी है जो लोगों को दौड़ने के दौरान कचरा इकट्ठा करने और उसे सही जगह पर डालने के लिए प्रेरित करती है. सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के दौरान पीएम ने लोगों से प्लॉगिंग करने की भी अपील की.
सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के दौरान पीएम ने लोगों से प्लॉगिंग करने की भी अपील की
आप भी ऐसे कर सकते हैं शुरुआत
ये बहुत ही आसान है. दौड़ने के लिए निकलते हुए अपने साथ एक कैरी बैग लेकर निकलें. अगर चाहें तो हाथों में ग्लव्स भी पहन सकते हैं ताकि किसी भी तरह का कचरा उठा सकें. जॉग के दौरान कचरा थैले में डालते चलें. अगर आप किसी पथरीली सड़क या बीच के आसपास प्लॉग कर रहे हैं तो बीच-बीच में स्ट्रेचिंग करते रहें ताकि कमर या पैरों में जकड़न न आए. सड़क पार करते हुए या बीच से कचरा उठाते हुए अपने आसपास के प्रति सचेत रहें, किसी भी हाल में ट्रैफिक के नियम न भूलें. प्लॉगिंग की अहम शर्त ये भी है कि आपके पास अच्छे जूते हों क्योंकि बार-बार झुकने, दौड़ने के दौरान पैरों को आराम मिलना चाहिए.
प्लॉगिंग काफी शारीरिक मेहनत मांगने वाली एक्टिविटी है
प्लॉगिंग से सेहत को फायदे
इसमें खूब दौड़ना और स्क्वाटिंग शामिल है. कचरा उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुकते हैं, शरीर के निचले हिस्से की एक्सरसाइज होती है. डाटा कहते हैं कि लगभग 30 मिनट की प्लॉगिंग से 288 कैलोरीज बर्न होती हैं. इससे कार्डियोवस्कुलर हेल्थ सुधरती है, बीपी कंट्रोल में रहता है, शरीर के सारे हिस्सों को पूरी ऑक्सीजन मिलती है.
हालांकि प्लॉगिंग काफी शारीरिक मेहनत मांगने वाली एक्टिविटी है इसलिए इसकी शुरुआत छोटे-छोटे स्टेप्स से की जा सकती है. प्लॉगिंग के फाउंडर एरिक के अनुसार पहले plalking यानी वॉक करते हुए कचरा उठाने से शुरू किया जा सकता है ताकि शरीर को आदत हो सके. जिन्हें लोअर बैक और घुटनों में किसी भी तरह की समस्या हो, उन्हें डॉक्टर से बात करके ही शुरुआत करनी चाहिए.