सऊदी अरब का एक प्रसिद्ध और प्राचीन कुआं है – जमजम। न कभी इसका पानी सूखा और न खराब हुआ। मक्का के इस कुएं के पानी को आब-ए-जमजम कहा जाता है। यह पवित्र धर्मस्थल काबा के पास स्थित है। इस कुएं की खासियत है कि इसका पानी कभी नहीं सूखा।
सबसे बड़े आश्चर्य की बात है कि मीलों फैले रेगिस्तान में जहां सिर्फ रेत ही रेत है, वहीं यह कुआं लाखों लोगों की पानी की जरुरतों को पूरा करता है। मक्का और मदीना के लोग तो इसका पानी लेते ही हैं, हज के समय हर वर्ष वहां लाखों की तादाद में जाने वाले यात्रियों की जल की आवश्यकता भी यही कुआं पूरी करता है।
इसके अलावा लौटते वक्त भी सभी हाजियों की यह हार्दिक इच्छा रहती है कि वे अपने साथ इस कुएं का ज्यादा से ज्यादा पानी ले जा सकें, जिससे इसको अपने सगे-संबंधियों और मित्रों में बांटा जा सके।
इस कुएं के पानी की खासियत है कि वह कभी खराब नहीं होता और यह कुदरत का चमत्कार ही है कि इसमें से चाहे कितना भी पानी निकल जाए पर यह न तो सूखता है न ही खाली होता है। मरुस्थल में यह कुआं इंसानों के लिए एक वरदान है। इस पानी के साल्ट की संरचना हमेशा एक जैसी रही है। इसका स्वाद भी जबसे यह अस्तित्व में आया तब से एक जैसा ही है। इस पानी को कभी रसायन डालकर शुद्ध करने की जरूरत नहीं होती जैसा कि अन्य कुओं पेयजल के मामले में यह तरीका अपनाया जाता है।
यह भी देखा गया है कि आमतौर पर कुओं में कई जीव और वनस्पति पनप जाते हैं। कुओं में शैवाल हो जाते हैं जिससे कुएं के पानी में स्वाद और गंध की समस्या पैदा हो जाती है लेकिन जमजम के पानी में किसी तरह कोई चिह्न भी नहीं मिला।
यह कुआं कभी नहीं सूखा। यही नहीं इस कुएं ने जरूरत के मुताबिक पानी की आपूर्ति की है। जब-जब जितने पानी की जरूरत हुई, यहां पानी उपलब्ध हुआ। इसने अपनी वैश्विक अहमियत को साबित किया है।
दुनियाभर से हज और उमरा के लिए मक्का आने वाले लोग इसको पीते हैं और इस पानी को लेकर कोई शिकायत नहीं रही। बल्कि ये इस पानी को बड़े चाव से पीते हैं और खुद को अधिक ऊर्जावान और तरोताजा महसूस करते हैं।