छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) बीजेपी (BJP) में उन नेताओं का पता नहीं चल पा रहा है, जिसे माना जाता था कि आने वाले समय में यह पार्टी के चमकरदार सितारे होंगे. साथ ही जो पुराने लोग हैं वो उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपेंगे. छत्तीसगढ़ बीजेपी के सामने अब सवाल यह है कि उनकी पार्टी में सेकेण्ड लाईन कहां है और बीजेपी (BJP) में सेकेण्ड लाईन का अभाव क्या एक बड़े खतरे की घंटी नहीं है. क्योंकि प्रदेश से सत्ता जाने के बाद बीजेपी के इन नेताओं की कोई खोज खबर नहीं है. ये न तो संगठन के कार्यक्रमों में नजर आते हैं और न ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में इनकी कोई भूमिका रहती है.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) बीजेपी में चाहे कोई धरना प्रदशर्न (Protest) हो या सड़क पर उतरने की बात हो, वही लोग नजर आते हैं जो पुराने और वरिष्ठ चेहरे हैं. जबकि किसी भी राजनीतिक दल की सड़क की लड़ाई युवा पीढ़ी और युवा नेताओं के ब्रिगेड के बिना अधूरी मानी जाती है. बीजेपी के जो युवा नेता सत्ता के समय सक्रिय नजर आते थे, वो सत्ता के जाने के बाद कम से कम सरकार के खिलाफ सड़क पर लड़ाई में तो नजर नहीं आ रहे हैं. इनमें पूर्व सांसद अभिषेक सिंह हों या बीजेवायएम के प्रदेश अध्यक्ष विजय शर्मा हों, कमलचंद भंजदेव, पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी के साथ हीं और भी कई नाम शामिल हैं.
भाजपा (BJP) के सत्ता से बेदखल होने के बाद ऐसे युवा नेता मौजूदा कांग्रेस सरकार के विरोध में तो दूर पार्टी के संगठनात्मक कार्यक्रमों में भी अपेक्षित रूप से नजर नहीं आते. ये सभी अचानक परिदृष्य से गायब हो गए हैं. यही नहीं बल्कि ऐसे युवा नेताओं की कोई कतार फिलहाल नजर नहीं आ रही, जिसे देखकर माना जाए कि वह पार्टी की बागडोर आगे लेकर जाएगा. हालांकि बीजेपी इस बात से इनकार करती है, लेकिन जब उनसे सेकेण्ड लाईन के नेताओं के नाम पूछा जाता है तो वह वही नाम दोहराते हैं जो पार्टी में पहले पायदान में माने जाते हैं. बीजेपी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी सेकेंड लाइन के युवा नेताओं में वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल तक का नाम गिनाने से नहीं चुकते हैं.
वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि बीजेपी के खुद कई वरिष्ठ नेता नहीं चाहते हैं कि कोई आगे आए. विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले बीजेपी ने जो आभामंडल बनाया था, उसका असर कम हो गया है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक रविकांत कौशिक का कहना है कि बीजेपी में अब निपटो और निपटाओ अभियान की संस्कृति शुरू हो गई है. जिससे युवा नेता हाशिये पर हैं.