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देश में एटीएम फ्रॉड केस 10 % बढ़े, 21.4 करोड़ की लगी चपत

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एटीएम कार्ड का नंबर पूछे बिना और कार्ड बदले बिना ही खाते से पैसे निकालने का खेल लगातार जारी है. वहीं, सरकार और बैंक भी अपने स्तर पर इसे रोकने के लिए कई योजनाओं पर विचार कर रहे हैं. एटीएम फ्रॉड को रोकने के लिए दिल्ली स्टेट लेवल बैंकर्स कमिटी ने दो एटीएम ट्रांजैक्शन के बीच में छह से 12 घंटे का समय रखने का सुझाव दिया है, तो केनरा बैंक ने 10000 से अधिक रुपये एटीएम से निकालने के लिए पिन जरुरी कर दिया है. पिन डाले बिना अब एटीएम से पैसे नहीं निकाले जा सकेंगे.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में एटीएम फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2017-18 में जहां एटीएम फ्रॉड के 911 मामले सामने आये, वहीं वित्त वर्ष 2018-19 में एटीएम फ्रॉड के कुल मामले बढ़कर 980 हो गये. आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक, भले ही एटीएम फ्रॉड के मामले में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन फ्रॉड में शामिल राशि में कमी दर्ज की गयी है. जहां वित्त वर्ष 2017-18 में 65.3 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था, तो वहीं वित्त वर्ष 2018-19 में 21.4 करोड़ रुपयों का ही नुकसान हुआ है. हालांकि, इन आंकड़ों में एक लाख से नीचे के मामले शामिल नहीं थे.

महाराष्ट्र में एटीएम फ्रॉड की सबसे ज्यादा केस : साल 2018-19 के दौरान महाराष्ट्र में एटीएम धोखाधड़ी के 233 मामले दर्ज किये गये. वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली में एटीएम धोखाधड़ी के 179 केस दर्ज किये गये. हाल के महीनों में कार्ड की क्लोनिंग के मामले भी सामने आये हैं जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक शामिल थे.

-1969 में यूएस में लॉन्च हुआ था एटीएम, भारत में 1987 में एचएसबीसी ने की थी शुरुआत

सबसे ज्यादा धोखाधड़ी एटीएम कार्ड से

एटीएम और प्लास्टिक कार्ड 43%

मोबाइल बैंकिंग 25%

इंटरनेट बैंकिंग 12%

बैंकिंग एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर 03%

देश में एटीएम की संख्या दो साल में 597 घट कर 2,21,703 रह गयी

980 केस दर्ज हुए एटीएम फ्रॉड के वित्त वर्ष 2018-19 में, 21.4 करोड़ रुपयों का हुआ नुकसान

911 मामले सामने आये एटीएम धोखाधड़ी के वित्त वर्ष 2017-18 में, 65.3 करोड़ रुपयों की चपत