पिछले कुछ दिनों से पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली की हालत गंभीर बनी हुई है।उन्हेंजीवनसपोर्ट सिस्टम में रखा गया है।लेकिन इस सिस्टम पर क्यों रखा जाता है इसके बारे मे डॉक्टर्स ही अच्छे से जानते हैं।तो क्या आपको पता है कि येजीवनसपोर्ट सिस्टम क्या हैवकिन हालातों में मरीज को इसमें रखा जाता है।इस सिस्टम से बचने की संभावनाएं कितनी होती हैं।तो चलिए आपको बता देते हैं क्या कहते हैं विशेषज्ञ।
दरअसल,जीवनसपोर्ट सिस्टम विज्ञान की आधुनिकतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है जिसने इंसान केज़िंदगीको बचाने की संभावनाओं को नये आयाम दिए हैं।प्रेसीडेंट हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफइंडियाऔरदिलरोग विशेषज्ञ डॉ केके अग्रवाल ने आजतक सेवार्तामें बताया कि ये वो तकनीक है जिसनेसंसारभर में अब तक लाखों लोगों कोज़िंदगीदिया है।यानि जब उनके शरीर के विभिन्न अंगों नेकार्यकरना बंद कर दिया तब भी वोजीवनसपोर्ट सिस्टम की मदद से रिकवर करने मेंसफलरहे, लेकिन इससे वापस लौटना इतना भीसरलनहीं है।
वहीं डॉ अग्रवाल बताते हैं कि इस सिस्टम के जरिये इंसान को बचानासरलहोता है, लेकिन जिस तरह पूर्व वित्त मंत्री कैंसर जैसी एक अंडरलाइन बीमारी से घिरे हैं तो ऐसे मेंआसारकम हो जाती है।उनके अनुसार, ऐसे मामलों में रोगी को सामान्य अवस्था में लानाकठिनहोता है।साथ ही उन्होंने बताया कि किस स्थिति में इसकीआवश्यकतापड़ती है।
उन्होंने बताया कि शरीर के तीन हिस्से हृदय, मस्तिष्क या फेंफड़ों की स्थिति गंभीर होने पर इस सिस्टम कीआवश्यकतापड़ती है।कई बार निमोनिया, ड्रग ओवरडोज, ब्लड क्लॉट, सीओपीडी या सिस्टिक फाइब्रोसिस, फेफड़ों में इंजरी या अन्य बीमारियों के कारण फेफड़े निम्नतम साथ देते हैं।ऐसे में इस सिस्टम की मदद से फेफड़ों को ये सपोर्ट सिस्टम मदद करता है।वहीं कभी कर्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक होने पर भीदिलको सहायक बनाने के लिए येजीवनसपोर्ट सिस्टम देना पड़ता है।ब्रेन स्ट्रोक या सिर पर चोट लगने पर भी ये सिस्टम मददगार होता है।इससे कई बार लोगों की जान बचाई भी गई है।