Home छत्तीसगढ़ इस गांव में होती है अखबार की पूजा, ये है वजह…

इस गांव में होती है अखबार की पूजा, ये है वजह…

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छत्तीसगढ़ के धमतरी (Dhamtari) के गंगरेल बांध (Gangrel Dam) के दूसरे तरफ बसे एक गांव सटियारा (Satiyara) में एक अखबार यानी न्यूज पेपर (Newspaper) की पूजा होती है. शायद आपको इस बात पर यकीन न हो लेकिन ये सच है. कहा जाता है कि इस गांव के लोगों को देश के आजादी की खबर पहली बार अखबार से ही मिली थी और तब से ही यहां के लोग उस पेपर की पूजा करते है.

लोगों ने एक मंदिर भी यहां बना दिया है. साल भर में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) और गणतंत्र दिवस (Republic Day) को यहां मेला भी लगता है. पेपर यहां के लोगों के लिए किसी देवी या देवता से भी बढ़ कर है. ये भी देश भक्ति की एक अनोखी मिसाल है.

यहां है अखबार का मंदिर:
धमतरी जिला मुख्यालय से लगभग 60-65 किलोमीटर दूर बसा है गांव सटियारा. गंगरेल बांध के दूसरे तरफ बसा ये गांव पूरी तरह से जंगल और पानी से घिरा है. यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती और मछली पकड़ना है. इस गांव तक पहुंचने के लिए लंबे पहाड़ी रास्ते पर सफर करना होता है. सटियारा में ही एक टापू पर बना है ये अनोखा मंदिर जहां नवभारत अखबार की पूजा होती है. सटियारा से नाव की सवारी कर लगभग डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. 

इस मंदिर में सन 1947 की पूजा का नजारा दिखाई देता है. इस पेपर की पूजा के पीछे की वजह जब आप जानेंगे तो ग्रामीण आदिवासियों के देशभक्ति को सलाम किए बिना नहीं रह सकेंगे. दरअसल, 1947 में जब देश आजाद हुआ तब यहां गंगरेल बांध नहीं था और ये पूरी तरह से घने जंगलों से घिरा हुआ इलाका था. सड़कें नहीं थी, बिजली नहीं थी और आने-जाने का साधन नहीं था. अखबार भी तब यहां नागपुर से छप कर आते थे. उस दौर के गिनती के हिंदी अखबारों में से एक था नवभारत. 15 अगस्त को आजादी मिलने की खबर इस गांव तक नवभारत पेपर के माध्यम से लगभग एक महीने देर से मिली थी.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उस अखबार में महात्मा गांधी की बड़ी बड़ी तस्वीरों के साथ देश को गुलामी से छुटकारे की खबर छपी थी. बस उसी दिन से ही लोग इस अखबार के मुरीद हो गए और इसकी पूजा शुरू कर दी. इसके साथ ही गांधी जी की भी पूजा ये लोग करते है. 
दरअसल धमतरी में अंग्रेज काफी पहले से आ गए थे और लंबे समय तक यहां रहे. यहां के लोगों ने
अंग्रेजों की गुलामी को करीब से महसूस किया था. उसी पैमाने पर यहां आजादी की खुशी भी हुई जिसने भक्ति का रूप ले लिया. फिलहाल पेपर पूजा करने वालों की तीसरी पीढ़ी आज यहां रहती है. इन लोगों ने एक संस्था भी बना रखी है, जिसका नाम गांधी संस्था है जिसमे नवभारत में आस्था रखने वाले लोग जुड़े है. लोगों का यहां तक मानना है कि नवभारत में दैवीय शक्ति है और इससे कई दुख और दर्द भी ठीक हो जाते है.