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इसके इस्तेमाल में छूमंतर हो जाती है ये बीमारियां, मुलेठी में हैं कई चमत्कारिक गुण..

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मुलेठी का नाम आप सबने सुना होगा। मुलेठी प्राचीन समय से ही एक खास प्रकार की औषधि के रूप में प्रयोग की गई है। आज भी यह भारतीय घरों में तो आम पाई ही जाती है। सबसे अच्छी बात यह कि यदि इसका उपयोग करना हो तो यह बाजार में आसानी से उपलब्ध भी है। अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की तरह इसे ढूंढने के लिए अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती। मुलेठी पान की दुकानों पर भी मिल जाती है। यह हल्के पीले-से रंग की होती है और इसकी गंध काफी तेज़ होती है। पतली लकड़ी जैसी इस मुलेठी में ढेरों गुण होते हैं जो हमारी कई तकलीफों से हमें छुटकारा दिलाते हैं।

अब तक मुलेठी को सिर्फ खांसी ठीक करने के लिए ही जाना जाता था, लेकिन स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल आंखों के रोग, मुंह के रोग, गले के रोग, दमा, दिल के रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है। यह बात, कफ, पित्त तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है।

इन बीमारियों में कारगर है मुलेठी…

– मुलेठी के काढे से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं। मुलेठी चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच शाम को खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा आंखों री रोशनी भी बढ़ती है। मुलेठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फाहा भिगोकर आंखों पर बांधने से आंखों के आसपास लालपन मिट जाता है।

– मुलेठी कान और नाक के रोग में भी लाभकारी है. मुलेठी और मुनक्का से पकाए हुए दूध को कान में डालने से कान की बीमारियों में लाभ होता है। 3-3 ग्राम मुलेठी और शुंडी में छह छोटी इलायची, 25 ग्राम मिश्री मिलाकर, काढ़ा बनाकर 1-2 बूंद नाक में डालने से नाक के रोगों में आराम मिलता है।

– मुंह के छालों की परेशानी के दौरान मुलेठी के टुकड़े में शहद लगाकर चूसते रहने से लाभ होता है। मुलेठी को चूसने से खांसी और गले का रोग भी दूर होता है। सूखी खांसी में कफ पैदा करने के लिए इसकी 1 चम्मच मात्रा को शहद के साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिए। इसका 20-25 मिली काढ़ा शाम को पीने से श्वास नलिका साफ हो जाती है। मुलेठी को चूसने से हिचकी दूर होती है।

– मुलेठी दिल के रोग में भी लाभकारी है। 3-5 ग्राम तथा कुटकी चूर्ण को मिलाकर 15-20 ग्राम मिश्री युक्त जल के साथ प्रतिदिन नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है। इसके सेवन से पेट के रोग में भी आराम मिलता है।

– त्वचा रोग भी यह लाभकारी है। पिंपल्स पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। मुलेठी और तिल को पीसकर उससे घी मिलाकर घाव पर लेप करने से घाव भर जाता है।