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खारुन के दोनों ओर छायादार पौधे, किनारे खस ताकि शहर का पानी साफ हो, सोर्स भी बचा रहे

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राजधानी को पानी देने वाली लाइफलाइन खारुन नदी के दोनों छोर पर पहली बार सवा लाख पौधे लगाए जाएंगे। सैटेलाइट की मदद से नदी के दोनों ओर खेत, जंगल और खाली पड़ी जमीन का ब्योरा निकाल लिया गया है। खारुन के भाठागांव एनीकट से राजधानी के 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजाना इस्तेमाल का पानी दिया जा रहा है। इसलिए वन विभाग की कोशिश है कि एनीकट से 5 किमी दूर तक जितनी भी खाली जगह है, वहां ज्यादा से ज्यादा छायादार पौधे लगा दिए जाएं। विशेषज्ञों की सलाह पर नदी तट की ढलान पर पहली बार खस लगाई जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का पौधरोपण शहर में पानी की बढ़ती जरूरत को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। इससे बरसाती नाले में बदल चुकी खारुन फिर नदी बन सकेगी और तट पर खस से मिट्टी का क्षरण रुकेगा और पानी की बर्बादी भी कम होगी।


इसके लिए वन विभाग ने सैटेलाइट की मदद से तस्वीर लेकर दोनों ओर की खेती व खाली पड़ी जमीन का ब्योरा निकाला है। इस पर रायपुर के साथ दुर्ग व धमतरी वन मंडल द्वारा पौधे लगाए जाएंगे। इसमें शीशम, नीम, करंज जैसे छायादार पौधों के साथ गुलमोहर, बेल्टाफोरम जैसे पौधे भी होंगे। नदी के किनारे की जमीन का क्षरण रोकने के लिए पहली बार खस के पौधे लगाने का फैसला किया गया है। ये पौधे नदी तट पर लगाए जाएंगे, जबकि बाकी पौधे नदी तट से कुछ सौ मीटर तक की दूरी तक भी लगाए जाएंगे। इसके लिए तीनों वन मंडल की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। 1.26 लाख पौधे तीनों मिलाकर लगाएंगे, जबकि रायपुर जिले में गुमा, बाना, खट्‌टी, लमकेनी और मुंडरा मिलाकर 35 हजार से ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य है। खारुन नदी पर पौधे लगाने में करीब 471 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।

नाले में बदली खारुन को नदी बनाने और शहर के पानी के लिए ऐसी कोशिशें जरूरी  : रविशंकर यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंस के रिटायर्ड एचओडी तथा साइंटिस्ट डॉ. एमएल नायक ने खारुन पर सबसे बड़ा रिसर्च किया था। उनका कहना है कि खारुन नदी अब बरसाती नाले में तब्दील हो गई है और इसका उद्गम सूख गया है। इसीलिए पौधरोपण से नदी के आसपास का भूजल स्तर बचाने की कोशिश की जा रही है, जिससे जब पौधे बड़े हों तो नदी में पानी बचाया जा सके। पिछले कुछ सालों से खारुन नदी गंगरेल बांध से रायपुर तक पानी लाने के लिए नहर की तरह इस्तेमाल हो रही है, क्योंकि बारिश के बाद नदी में पानी नहीं रहता। गुरूर ब्लॉक के पेटेचुआ में खारुन नदी का उद्गम है और वहां लोगों ने पिछले सात-अाठ साल से उद्गम से पानी निकलता नहीं देखा।

यहां होगा पौधरोपण 
स्थान    ऐरिया (हे.)    पौधे
गुमा    14    15400
बाना-1    5.30    5830
बाना-2    1.89    2079
बाना-3    0.58    640
खट्‌टी    2.00    2200
लमकेनी    4.80    5280
मुंडरा    3.80    4180
कुल    32.37    35609

नदी किनारे के खेतों में भी लगाएंगे फलदार पौधे : नदी किनारे ऐसे किसान जो अपनी जमीन पर फलदार पौधे लगाना चाहते हैं, उन्हें मदद दी जाएगी। यह फैसला पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर तथा वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी की नेतृत्व में हुई बैठक में लिया गया। मंत्री अकबर ने बताया कि पौधे विभाग लगवाएगा, लेकिन जिम्मेदारी किसान की होगी। हर साल जितने पौधे जीवित रहेंगे, उसके हिसाब से अनुदान दिया जाएगा। 

चार और नदियों में ऐसा ही : अरपा: बिलासपुर में 300 हेक्टेयर में लगेंगे 330000 पौधे। मरवाही में 109.67 हे. में 120637 पौधे। {इंद्रावती : बस्तर में 12 हे.में 11000, दंतेवाड़ा में 12 हे. में 13200, बीजापुर में 110 हे. में 121000 पौधे। 

शिवनाथ : राजनांदगांव    में 16.17 हेक्टेयर में 16328 पौधे। संकरी नदी में भी तट के दोनों ओर पौधरोपण।