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झारखंड में भीड़ हिंसा: तबरेज की मौत 11वां मामला, अल्पसंख्यक अधिक बने निशाना

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झारखंड में भीड़ हिंसा का निशाना बने व्यक्ति की मौत इस साल का ऐसा पहला मामला नहीं है। वेबसाइट फैक्टचैकर डॉट इन के डाटा से पता चलता है कि ये घृणा अपराध का ऐसा 11वां मामला है। इस साल भीड़ हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई है, जबकि 22 लोग घायल हुए हैं। पिछले एक दशक में भारत में 297 घृणा अपराध के मामले सामने आए हैं। जिनमें 98 लोगों की मौत हुई और 722 लोग घायल हुए हैं। विज्ञापन

डाटा से पता चलता है कि हाल के सालों में भीड़ हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है। साल 2015 के बाद से पशु हत्या और चोरी के कारण भीड़ हिंसा की 121 घटनाएं हुईं। जबकि 2012 से 2014 में ऐसी महज 6 घटनाएं हुईं। 2009 से 2019 के समग्र डाटा से पता चलता है कि 59 पीड़ित मुस्लिम थे और 28 फीसदी घटनाएं कथित पशु चोरी या हत्या से संबंधित थीं। डाटा से पता चलता है कि 66 फीसदी घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुईं और 16 फीसदी घटनाएं कांग्रेस शासित राज्यों में हुईं।

झारखंड के खरसावां जिले में मंगलवार को तबरेज के साथ चोरी के शक में मारपीट की गई। उसे खंभे से बांधा गया और पुलिस को सौंपने से पहले भीड़ ने कई घंटों तक मारा। इस घटना का वीडियो भी सामने आईं, जिनमें दिख रहा है कि तबरेज को बार-बार “जय श्री राम” और “जय हनुमान” बोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। 

पुलिस का कहना है कि शनिवार को तबरेज की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। इस हमले की देशभर में निंदा की गई। मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और दो पुलिस कर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया है। तबरेज के परिवार ने पुलिस, डॉक्टर सहित अपराध में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

तबरेज के परिवार का कहना है कि उनके कई बार अनुरोध करने के बाद भी पुलिस ने उचित इलाज की व्यवस्था नहीं की और बहुत बाद में अस्पताल में भर्ती होने के कारण उसकी मौत हो गई।