एशियाई शेरों के एकमात्र प्रश्रय स्थल गुजरात से दुनिया के कई देश शेर खरीदना चाहते हैं। भारतीय राज्यों में भी यहां के शेरों की बड़ी दीवानगी है। यही वजह है कि कुछ राज्यों ने गुजरात सरकार को शेरों के बदले दूसरे जानवर देने की पेशकश भी की है। यदि गुजरात हाल के ही खरीद प्रस्तावों पर विचार करता है तो दूसरे चरण में कुल 14 शेर राज्य से बाहर ले जाए जाएंगे। बता दें कि, मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की अगुवाई में राज्य के अधिकारियों ने यूपी, पंजाब और महाराष्ट्र को उनके जू-म्यूजियम्स के लिए हाल ही 14 शेर सौंपे थे। ये शेर जूनागढ़ के शक्करबाग जंतुआलय से ले जाए गए।
गुजरात में बचे एशियाई शेरों की दुनिया में बड़ी मांग
गिर अभयारण्य सहित राज्य के 8 जिलों में फैले 22,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 500 से ज्यादा शेर रहते हैं। वर्ष 2015 में की गई अंतिम जनगणना के अनुसार, गुजरात में शेरों की संख्या 523 थी। जबकि, 11 मृत शेर भी पाए गए थे। कुल शेरों में से कम से कम 200 शेर अभयारण्यों के बाहर असुरक्षित क्षेत्रों में रह रहे हैं। इस राज्य को एशियाई शेरों का दुनिया का आखिरी निवास स्थान माना जाता है, जो पहले कभी भारत और मध्य-पूर्व के बीच बड़े पैमाने पर मिलते थे। अब जबकि, शेर गुजरात में ही बचे हैं तो दुनियाभर से यहां के शेरों को खरीदने के आॅफर आते हैं।
अब राज्य से बाहर भेजे जा सकते हैं एकसाथ 25 शेर
वनविभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, राज्य सरकार देश के विभिन्न राज्यों में शेरों को पहुंचाने के लिये तैयार है। अगर गुजरात सरकार देश के विभिन्न राज्यों में शेरों को भेजती है, तो गुजरात के 25 से ज्यादा शेर बाहर जाएंगे। शेरों के अंतिम समूह के प्राणी संग्रहालय में स्थानांतरित होने के तीन साल बाद मुख्यमंत्री ने 14 शेरों के आदान-प्रदान की मंजूरी दी है। यह भी मालूम हुआ है कि केंद्रीय प्राणी संग्रहालय प्राधिकरण की मांग पर गुजरात सरकार ने 25 से अधिक जानवरों के हस्तांतरण के लिये मंजूरी दी।
जम्मू कश्मीर ने भी मांगे शेर, सरकार अभी देने को तैयार नहीं
वन अधिकारी ने बताया कि राज्य में एक जंतुआलय से 10 जानवरों को भेजने के लिये सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है। इन प्रस्तावों को सीजेडएआई से मंजूरी मिलने का इंतजार है। गुजरात के शेरों की मांग जम्मू-कश्मीर में भी है। मगर, वन विभाग चिंतित है, क्योंकि अधिक ठंड की वजह से शेर वहां जीवित नहीं रह पाएंगे। ऐसे में अभी चार राज्यों से आये प्रस्तावों पर अब तक कोई अमल नहीं किया गया है। वैसे जंगली शेरों को जंतुआलय में रखने की अनुमति भी नहीं दी जाती, केवल दूसरी पीढी के बंदी नस्ल के शेरों का अन्य जानवरों के लिये आदान-प्रदान किया जा सकता है।
जूनागढ़ के शक्करबाग जंतुआलय से होता है आदान-प्रदान
इससे पहले गुजरात सरकार ने कुछ शेरों को विभिन्न जंतुआलयों में स्थानांतरित किया था। जिनमें पहले से 50 जानवरों को शामिल किया गया था। मंजूरी के अंतराल का मुख्य कारण शक्करबाग जंतुआलय में दूसरी पीढी के बंदी शेरों की अनुपलब्धता थी। अब दूसरी पीढीं के उप वयस्त शेर मिल गए हैं, इसलिये आदान-प्रदान शुरू किया गया है। जूनागढ़ के शक्करबाग जंतुआलय में अभी 58 शेर हैं, जो एशियाई शेरों के आदान-प्रदान की नोडल एजेंसी भी मानी जाती है।
गुजरात से अबतक 200 ज्यादा शेर दूसरों राज्यों में भेजे गए
वन विभाग से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात ने अन्य राज्यों में जानवरों के आदान-प्रदान के लिये अब तक करीब 208 शेरों को भेजा है और उनके बदले में कई अन्य जानवर गुजरात आए हैं। इन शेरों के बदले अब तक राज्य को 120 से अधिक जानवर मिले हैं। 2009 में, एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत, सिंगापुर से जूनागढ के शक्करबाग प्राणी संग्रहालय को चार अफ्रीकी चीते मिले थे। अधिकारी का कहना है कि अगर, मांग के अनुसार अब शेरों को गुजरात से बाहर ले जाया जाता है तो यह 2016 के बाद सबसे बडा एक्सचेंज होगा। क्योंकि, एक साथ 25 शेरों को गुजरात ने कहीं भेजा नहीं है।