बाबा रामदेव की पतंजलि पर मुश्किलों में फंस सकती है, क्योंकि सिंगापुर के DBS बैंक ने रुचि सोया को खरीदने के पतंजलि के प्रस्ताव के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है. DBS का दावा है कि उसे एसेट्स की उचित कीमत नहीं मिली है. बता दें कि पतंजलि 4350 करोड़ रुपये में रुचि सोया का अधिग्रहण करने वाली है. DBS रुचि सोया के 27 वित्तीय लेनदारों में से एक है.
इसने दो बार कंपनी को एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग के जरिये पैसा जुटाने की सुविधा दी है. इसके एवज में रुचि सोया की कांडला (गुजरात ) की मैन्युफैक्चरिंग रिफाइनरी यूनिट्स और गुना, दालोदा और गदरवाड़ा (मध्य प्रदेश) व बारन (राजस्थान) की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के मौजूदा और फ्यूचर फिक्स्ड एसेट्स पर पहला दावा DBS का है.
ये तीन बैंक कर सकते हैं पतंजलि की मदद
12 हजार करोड़ के क़र्ज़ में डुबी हुई है Ruchi Soya
रुचि सोया पर करीब 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. कंपनी के कई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं और उसके पास न्यूट्रेला, महाकोश, सनरिच , रुचि स्टार और रुचि गोल्ड जैसे ब्रांड हैं. NCLT ने दिसंबर 2017 में कर्जदाता स्टैण्डर्ड चार्टर्ड और DBS बैंक के आवेदन पर रुचि सोया को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता प्रक्रिया के लिए भेजा था. दिवाला प्रक्रिया और कंपनी के कामकाज के प्रबंधन के लिए शैलेंद्र अमरेजा को समाधान पेशवर नियुक्त किया गया था.