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मौलाना आमिर रशादी बोले, ‘साध्वी प्रज्ञा का जो दर्द है, वही बेकुसूर मुसलमानों का भी’

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आजमगढ़ पर लगे ‘आतंकगढ़’ के ठप्पे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने मालेगांव बम कांड की आरोपी साध्वी प्रज्ञा से सहमति जताते हुए कहा है कि देश में भगवा या इस्लामी नहीं बल्कि ‘सरकारी आतंकवाद’ फैला है.

रशादी ने कहा कि मैं आतंकवाद के आरोप में बेकुसूर मुसलमानों को फंसाये जाने के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूं. अपनी जो व्यथा साध्वी प्रज्ञा बता रही हैं, वही उन बेकुसूर मुस्लिम युवकों की भी है जिन्हें दहशतगर्दी के आरोप में जेल में डाला गया है. उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों को आतंकवाद के आरोप में फंसाने के पीछे का मकसद मुस्लिमों को राजनीतिक रूप से ‘अछूत’ बनाने का है.

रशादी ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा का कहना है कि सरकारी एजेंसियों ने उनको बेवजह फंसाया और धर्म को आतंकवाद से जोड़ा जाना देशद्रोह है. साध्वी जी भी हमारी ही बात कह रही हैं. साध्वी की बात से साबित होता है कि कांग्रेस सरकार की एजेंसियों ने सरकार की शह पर उनको फंसाया. आज वे ही एजेंसियां उन्हें क्लीनचिट दे रही हैं. जब उस वक्त की एजेंसियों ने साध्वी जी को फंसाया तो इसका मतलब यह है कि उन्हीं एजेंसियों ने ही मालेगांव कांड किया.

उन्होंने कहा ‘ठीक यही बात बेकुसूर मुस्लिम युवकों को फंसाने के लिये की जाती है. सचाई यह है कि हिन्दुस्तान में ना तो भगवा आतंकवाद है और ना ही इस्लामी आतंकवाद. यहां पर सरकारी आतंकवाद है. रशादी ने कहा कि बेकुसूर मुसलमानों को आतंकवाद के आरोपों में फंसाने के मामले में भाजपा और कांग्रेस एक ही नीति बनाकर उनको देशद्रोही साबित करने की होड़ में लगी हुई है. इसके पीछे सीधा मकसद यह है कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों को राजनीतिक रूप से अछूत बनाया जाए और उनका कोई नेतृत्व ना तैयार हो, और अगर तैयार भी हो तो उसके बारे में कहा जाए कि इन आतंकवादियों को वोट मत देना, वरना ये हुकूमत में आ जाएंगे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सपा, बसपा और कांग्रेस पर आजमगढ़ को ‘आतंकगढ़’ के तौर पर बदनाम करने का आरोप लगाये जाने पर मौलाना रशादी ने कहा कि आजमगढ़ के सम्मान की जो लड़ाई हमने शुरू की थी, उसके मद्देनजर योगी का यह बयान हमारी जीत है. मुख्यमंत्री के बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्ष 2008 में हुआ दिल्ली का बटला हाउस मुठभेड़ कांड फर्जी था, और उसकी आड़ में आजमगढ़ को ‘आतंकगढ़’ बनाने की कोशिश की गयी.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को यह कहना पड़ा कि जब उन्होंने बटला हाउस के बारे में बताया तो तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की आंखों में आंसू आ गये थे. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी उस मुठभेड़ कांड को फर्जी बताया था. अब योगी भी कह रहे हैं कि सपा, बसपा और कांग्रेस के जमाने में आजमगढ़ को आतंकगढ़ के तौर पर बदनाम करने की साजिश की गयी. यही बात हम भी कह रहे हैं. यह हमारी जीत है.

रशादी ने कहा कि बटला हाउस मुठभेड़ काण्ड तत्कालीन कांग्रेस सरकार की साजिश का नतीजा था. इसी वजह से उसने उसकी जांच नहीं करायी. उसके बाद कांग्रेस की ही मदद से सत्ता में आयी आम आदमी पार्टी भी जांच की दिशा में नहीं बढ़ी.