रायपुर। विधानसभा अध्य्क्ष पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. चरणदास महंत ने प्रदेशवासियों को अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती की बधाई और शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में रामकथा, महाभारत, भर्तृहरि गाथा, ढोला मारू, लोरिकायन छत्तीसगढ़ी रंग में रंग कर विशिष्ट अंदाज में पीढ़ी दर पीढ़ी कथा-वाचन की समृद्ध परंपरा के दम पर जन-मन और कण-कण में परिव्याप्त है। छत्तीसगढ़ दुनिया भर की श्रेष्ठ परंपराओं को अपने ही ढंग से ग्रहण करता है। भाषा, व्यवहार, आचरण और परंपरा का छत्तीसगढ़ी अंदाज इसीलिए ज्ञानी-ध्यानियों को चकित करता है, छत्तीसगढ़ प्रदेश में अक्षय तृतीया का अपना ही अलग महत्व है अक्षय तृतीया अर्थात अक्ती के दिन बच्चे अपने मिट्टी से बने गुड्डे- गुड़ियों अर्थात पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाते हैं, जिन बच्चों को ब्याह कर जीवन में प्रवेश करना है, वे परंपरा को इसी तरह आत्मसात करते हैं। बच्चे, बुजुर्ग बनकर पूरी तन्मयता के साथ अपनी मिट्टी से बने बच्चों का ब्याह रचाते हैं, इसी तरह वे बड़े हो जाते है और अपनी शादी के दिन बचपन की यादों को संजोए हुए अक्ती के दिन मंडप में बैठते हैं। अक्ती का दिन महामुहूर्त होता है बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन शादियां तथा शुभ कार्य किये जाते हैं।