कोलंबो। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को हुए सीरियल ब्लास्ट्स के बारे में अहम जानकारी दी है। विक्रमसिंघे ने न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में कहा है कि भारत ने ईस्टर डे से पहले हमले को लेकर इंटेलीजेंस साझा की थी लेकिन सुरक्षा में चूक हुई। राजधानी कोलंबो में हुए आठ सीरियल ब्लास्ट्स में बुधवार तक 359 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से ज्यादा लोग घायल हैं। कोलंबो के तीन फाइव स्टार होटल्स के अलावा सेंट एंथोनी और सेंट सेबेस्चियन चर्च को भी हमलों में निशाना बनाया गया है।
इंटेलीजेंस को किया नजरअंदाज
विक्रमसिंघे ने इंटरव्यू में कहा, ‘भारत ने हमारे साथ इंटेलीजेंस साझा की थी लेकिन इंटेलीजेंस पर ठीक से अमल नहीं हुआ।’ उन्होंने बताया कि श्रीलंका के जांचकर्ता कई, देशों जिसमें चीन और पाकिस्तान भी शामिल हैं, के साथ संपर्क बनाए हुए हैं। ईस्टर को श्रीलंका के समयानुसार 8:30 बजे पहला ब्लास्ट हुआ और देखते ही देखते आठ ब्लास्ट्स से कोलंबो दहल उठा। इन हमलों को सात आत्मघाती हमलावारों ने अंजाम दिया था। हमलों की जिम्मेदारी मंगलवार को आईएसआईएस ने ली है। इससे पहले श्रीलंका की सरकार की ओर नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) को हमलों के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा था। इन हमलों के साथ ही पिछले 10 वर्षों से श्रीलंका में जारी शांति को भी भंग कर दिया।
तीन बार किया गया था अलर्ट
विक्रमसिंघे के इंटरव्यू से अलग इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भारत की ओर से श्रीलंका को हमलों से पहले तीन अलर्ट भेजे गए थे। पहला अलर्ट चार अप्रैल को भेजा गया था। दिसंबर 2018 में नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) के नेता मौलवी जहारान बिन हाशिम की ओर एक वीडियो के बाद भारत की इंटेलीजेंस एजेंसिया अलर्ट हो गई थीं। इस वीडियो का पता उस समय लगा था जब सुरक्षा एजेंसियां कोयम्बटूर में आईएसआईएस के एक मॉड्यूल की जांच कर रही थी। जो पहला अलर्ट श्रीलंका को भेजा गया था उसमें चर्चों के अलावा भारतीय दूतावास पर भी हमले की बात कही गई थी। दूसरा अलर्ट हमलों से पहले भेजा था और यह अलर्ट बहुत ही विस्तृत था जिसमें संभावित टारगेट्स के बारे में भी बताया गया था। आखिरी अलर्ट हमलों से चंद घंटे पहले भेजा गया था।
रक्षा सूत्रों ने भी कही अलर्ट करने की बात
दूसरी तरफ न्यूज एजेंयी रॉयटर्स ने श्रीलंका के रक्षा सूत्रों की ओर से बताया है कि भारतीय इंटेलीजेंस ऑफिसर्स की ओर से पहले हमले के दो घंटे पहले चर्चों पर हमलों से जुड़ी इंटेलीजेंस शेयर की गई थी। एक और रक्षा सूत्रों ने बताया है कि पहले हमले के कई घंटे पहले भारत की ओर हमलों से जुड़ी चेतावनी दी गई थी। विक्रमसिंघे ने कहा कि अभी तक ऐसा लग रहा है कि श्रीलंका के नागरिकों का एक ग्रुप हमलों में शामिल था लेकिन उनके विदेशों से संबंध थे। उन्होंने जांच के लिए विदेशी एजेंसियों की मदद लेने की बात भी कही है।
विदेशी एजेंसियों की मदद की बात
विक्रमसिंघे के मुताबिक श्रीलंका के पास भारत के साथ बेहतर इंटेलीजेंस शेयरिंग सिस्टम है। भारत जरूरत पड़ने पर हमेशा मदद करता आया है। लेकिन अब अमेरिका और यूके से भी मदद की जरूरत पड़ सकती है। विक्रमसिंघे ने कहा कि अभी पहली प्राथमिकता आतंकियों को गिरफ्तार करने की है। जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है।